सरकार इस साल यानी वित्त वर्ष 2024 में सार्वजनिक उपक्रमों में संभवत: कोई नया विनिवेश नहीं करेगी। इस मामले से अवगत एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसी सरकारी बैंक के निजीकरण की भी फिलहाल कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद ही इस संबंध में कोई निर्णय लिया जाएगा।
अधिकारी ने कहा, ‘आगामी आम चुनाव 2024 से पहले हिस्सेदारी बिक्री संबंधी कोई लेनदेन होने के आसार नहीं हैं। सरकार की प्राथमिकता मौजूदा सौदों को तेजी से निपटाने पर होगी। इनमें IDBI Bank, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Concor) में विनिवेश शामिल हैं।’ उन्होंने कहा कि दो सरकारी बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण संबंधी प्रस्ताव को भी टाल दिया गया है।
सूत्रों ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव से पहले अंतिम वित्त वर्ष है। ऐसे में किसी बड़े सार्वजनिक उपक्रम के निजीकरण के लिए पर्याप्त समय नहीं उपलब्ध नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वैश्विक अनिश्चितताओं से बाजार की स्थितियां और यहां तक कि सरकार की पहल भी प्रभावित होती है।
गौरतलब है कि IDBI Bank, कॉनकॉर (Concor), शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, BEML और एनएमडीसी स्टील आदि में हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया फिलहाल जारी है।
IDBI Bank में प्रस्तावित हिस्सेदारी बिक्री के लिए प्रारंभिक बोलियां प्राप्त हो चुकी हैं। विनिवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) इसके लिए सितंबर तक वित्तीय बोली की उम्मीद कर रहा है। इसकी प्रक्रिया कुछ महीनों में शुरू होगी।
अधिकारी ने संकेत दिया कि कॉनकॉर के लिए अभिरुचि पत्र में कुछ देरी हो सकती है। शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में विनिवेश को कंपनी मामलों के मंत्रालय से जनवरी में ही हरी झंडी मिल गई थी। कंपनी में 63 फीसदी हिस्सेदारी के विनिवेश के लिए दीपम जल्द बोली प्रक्रिया शुरू करेगी।
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चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से मई की अवधि में दीपम ने ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिये विनिवेश प्राप्तियों से 50 करोड़ डॉलर और लाभांश (डिविडेंड) से करीब 400 करोड़ रुपये जुटाए। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए विनिवेश से 51,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि दो सरकारी बैंकों के निजीकरण में अभी समय लगेगा। उन्होंने कहा कि यह वित्त वर्ष 2024 के लिए निजीकरण योजना का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों के निजीकरण के मोर्चे पर दीपम की रफ्तार सुस्त दिख रही है। बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के मद्देनजर दीपम फिलहाल इसमें अधिक दिलचस्पी नहीं ले रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022 के आम बजट में निजीकरण के लिए दो सरकारी बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी का उल्लेख किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि इसके लिए कानून में संशोधन भी किया जाएगा। मगर, निजीकरण विधेयक को अब तक संसद में पेश नहीं किया गया है।
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सरकार ने इससे पहले संकेत दिया था कि प्रस्तावित निजीकरण वाले दोनों बैंकों में सरकार की पूरी हिस्सेदारी बेचने का विकल्प खुला है। शुरुआती योजना के तहत संभावित निवेशकों के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए 26 फीसदी हिस्सेदारी बरकरार रखने की बात की गई थी।
साल 2021 में तैयार की गई नई सार्वजनिक उपक्रम नीति के तहत रणनीतिक क्षेत्रों में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की संख्या को घटाने और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में कारोबार से सरकार को पूरी तरह बाहर रखने की बात कही गई थी।