विनिर्माण कंपनियों की बिक्री में निर्यात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2022-23 में समाप्त 10 साल की अवधि में करीब दो-तिहाई घट चुकी है। वित्त वर्ष 2024 के अब तक के आंकड़े बताते हैं कि इसमें और गिरावट दिख सकती है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2013 में विनिर्माण कंपनियों की कुल बिक्री में निर्यात का हिस्सा 18 फीसदी से अधिक था। मगर वित्त वर्ष 2023 में यह घटकर 6.8 फीसदी ही रह गया। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अब तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक बिक्री का 1.8 फीसदी ही निर्यात है।
आंकड़ा 961 सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों पर आधारित है। कंपनियां वित्तीय खुलासे करते समय विदेशी मुद्रा आय की भी घोषणा करती हैं। किंतु सभी कंपनियां इस प्रकार का खुलासा नहीं करती हैं, इसलिए यहां केवल वे कंपनियां ली गई हैं, जिनके विदेशी मुद्रा आय के साथ-साथ बिक्री आंकड़े भी उपलब्ध हैं।
आंकड़े विश्व बैंक के सितंबर 2024 के इंडिया डेवलपमेंट अपडेट से मेल खाते हैं, जो कहता है कि परिधान एवं फुटवियर जैसे विनिर्माण क्षेत्रों में भारत की स्थिति कमजोर हुई है। उसमें कहा गया है, ‘परिधान, चमड़ा, कपड़ा एवं फुटवियरके वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2002 में 0.9 फीसदी थी, जो 2013 में बढ़कर 4.5 फीसदी तक पहुंच गई। उसके बाद गिरावट शुरू हुई और 2022 में यह घटकर 3.5 फीसदी रह गई।’ उसमें कहा गया है कि चीन की पैठ जहां भी कम हुई, वहां वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों ने बाजार पर कब्जा कर लिया है।
इसमें आंकड़े 1990-91 से अभी तक के आंकड़े दिए गए हैं। वित्त वर्ष 2014 में इन कंपनियों के लिए बिक्री में निर्यात की हिस्सेदारी सबसे अधिक 18.45 फीसदी रही। मगर हाल के वर्षों के दौरान इसमें गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2017 से हिस्सेदारी एक अंक में रह गई। ऐसा ही चला तो वित्त वर्ष 2024 का आंकड़ा सबसे कम होगा।
आम तौर पर सूचीबद्ध कंपनियों की बिक्री में निर्यात की हिस्सेदारी गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के मुकाबले अधिक होती है। मगर दोनों में ही गिरावट दिख रही है। बिक्री के प्रतिशत में देखें तो सूचीबद्ध कंपनियों की कुल बिक्री में निर्यात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 में 19.45 फीसदी थी और यह सर्वाधिक आंकड़ा था। मगर कोविड-19 के प्रकोप से पहले वित्त वर्ष 2019 में यह आंकड़ा तकरीबन आधा होकर 9.27 फीसदी ही रह गया।
दुनिया भर में लॉकडाउन के दौरान वित्त वर्ष 2021 में यह घटकर 6.73 फीसदी रह गया। मगर वित्त वर्ष 2023 में भी यह हिस्सेदारी महामारी से पहले के मुकाबले कम रही और वित्त वर्ष 2024 के लिए अब तक उपलब्ध आंकड़े भी गिरावट की तस्दीक करते हैं।
जहां तक गैर-सूचीबद्ध कंपनियों का सवाल है तो उनकी कुल बिक्री में निर्यात की हिस्सेदारी आम तौर पर कम होती है। उनकी बिक्री में निर्यात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 में चरम पर पहुंच गई थी और उस साल आंकड़ा 16.46 फीसदी था। लेकिन 2019 में यह घटकर 7.59 फीसदी रह गया। उसके बाद से ही इसमें गिरावट जारी है। वित्त वर्ष 2023 में आंकड़ा घटकर 5.56 फीसदी रह गया था और वित्त वर्ष 2024 के हालिया आंकड़ों में हिस्सेदारी 3.52 फीसदी ही दिखती है।
भारत का कुल वस्तु निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 437.2 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले के 450.6 अरब डॉलर के मुकाबले कम है। वित्त वर्ष 2019 में यह आंकड़ा 330.2 अरब डॉलर रहा था।
बंधन म्युचुअल फंड के मुख्य अर्थशास्त्री श्रीजित बालसुब्रमण्यन ने कहा कि विनिर्माण आंकड़ों में कुछ सुधार दिख रहा है मगर इसमें असेंबलिंग की भी कुछ हिस्सेदारी है, जिसमें मूल्यवर्द्धन बहुत कम होता है।
रोहा वेंचर के मुख्य निवेश अधिकारी धीरज सचदेव ने कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी सरकार की तमाम पहल आने वाले वर्षों में इन आंकड़ों को मजबूती देगी।