facebookmetapixel
बीमा क्षेत्र में 100% FDI का रास्ता होगा साफ! सरकार शीतकालीन सत्र में बड़ा बदलाव लाने की तैयारी मेंCorporate Action: अगले हफ्ते मार्केट में स्प्लिट-डिविडेंड-बोनस का मिलेगा तगड़ा मिश्रण, निवेशकों की चांदीG20 में PM मोदी के बड़े सुझाव: अफ्रीका के विकास से लेकर वैश्विक पारंपरिक ज्ञान तक बड़ा एजेंडाDividend Stocks: नवंबर के आखिरी हफ्ते निवेशकों की चांदी, कई कंपनियां अपने शेयरधारकों को बांटेगी डिविडेंडUP में युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा मौका, KVIC से 21% ज्यादा नौकरियां!Car Loan Offer: सिर्फ 7.6% पर कार लोन! EMI केवल ₹10,000 के करीब; जानें कौन दे रहा है सबसे सस्ता ऑफरभारत की पहली मरीन NBFC सागरमाला फाइनेंस ने बढ़ाई कर्ज सीमा, समुद्री प्रोजेक्ट्स को ₹25,000 करोड़ की राहतSudeep Pharma IPO: सब्सक्राइब करें या नहीं? पूरा रिव्यू 3 मिनट में!Bonus Stocks: अगले हफ्ते ये दो बड़ी कंपनियां निवेशकों को बांटेगी बोनस, पोर्टफोलियो में जुटेगें नए शेयरSIP निवेशक की गाइड: कब और कैसे करें निकासी; एक्सपर्ट से समझें

H-1B वीजा पाबंदी के बाद अमेरिकी कंपनियां भारत में बढ़ाएंगी निवेश, GCC केंद्रों को मिलेगा विस्तार

दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में 1,700 जीसीसी हैं जो दुनिया भर के जीसीसी के आधे से ज्यादा है

Last Updated- September 30, 2025 | 11:14 PM IST
GCC

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा पर सख्ती किए जाने के कारण अमेरिकी कंपनियां अपने महत्त्वपूर्ण काम को भारत में तेजी से स्थानांतरित कर सकती हैं। अर्थशास्त्रियों और उद्योग के सूत्रों का कहना है कि इसके कारण ही वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) की वृद्धि में और तेजी आएगी जो वित्त से लेकर शोध एवं विकास तक से जुड़े परिचालन को संभालते हैं।

दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में 1,700 जीसीसी हैं जो दुनिया भर के जीसीसी के आधे से ज्यादा है। ये केंद्र अब केवल तकनीकी समर्थन देने तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि अब ये लक्जरी कार के डैशबोर्ड से लेकर दवाओं की खोज जैसे क्षेत्र में बेहद मूल्यवान नवाचार का केंद्र बन रहे हैं।

आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआई) के बढ़ते उपयोग और वीजा पर बढ़ती पाबंदियों के कारण अमेरिका की कंपनियों को अपनी श्रम रणनीति में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, ऐसे में भारत एक ऐसे केंद्र के तौर पर उभर रहा है जहां मजबूत घरेलू नेतृत्व के साथ ही वैश्विक कौशल को आसानी से जोड़ा जा रहा है।

डेलॉयट इंडिया में पार्टनर और जीसीसी उद्योग के नेतृत्वकर्ता रोहन लोबो ने कहा, ‘जीसीसी इस समय एकदम मुफीद है और वे एक तैयार घरेलू इंजन के रूप में काम करते हैं।’ उन्होंने कहा कि उन्हें कई ऐसी अमेरिकी कंपनियों के बारे में पता है जो अपनी कार्यबल की आवश्यकताओं का पुनर्मूल्यांकन कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि इस तरह के बदलाव की योजना पहले से ही चल रही है और उन्होंने वित्तीय सेवाओं और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अधिक गतिविधियों के संकेत भी दिए जिनमें वैसी कंपनियां शामिल हैं जो विशेष रूप से अमेरिका के संघीय अनुबंध से जुड़ी हैं। लोबो ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जीसीसी समय के साथ अधिक रणनीतिक, नवाचार-आधारित चुनौतियों पर काम करेगा।

अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने इस महीने नए एच-1बी वीजा आवेदनों की फीस मौजूदा 2,000 डॉलर से 5,000 डॉलर की सीमा से बढ़ाकर 100,000 डॉलर कर दिया, जिससे उन अमेरिकी कंपनियों पर दबाव बढ़ गया जो प्रतिभाशाली लोगों की कमी को पूरा करने के लिए विदेशी कुशल श्रमिकों पर निर्भर थीं।

First Published - September 30, 2025 | 11:09 PM IST

संबंधित पोस्ट