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विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं? जानें इसके लिए कैसे मिलता है लोन और क्या-क्या है जरूरी

लोन मंजूर करने के नियम क्या होते हैं, रीपेमेंट का पूरा हिसाब कैसे काम करता है और लोन देने वाले कौन-कौन से छुपे हुए खर्च थोप सकते हैं, एक्सपर्ट से समझें

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अमित कुमार   
Last Updated- November 21, 2025 | 3:13 PM IST

कई भारतीयों के लिए विदेश जाकर पढ़ाई करना एक बड़ा सपना होता है। इससे न सिर्फ एक वैश्विक माहौल में पढ़ने का मौका मिलता है, बल्कि इंटरनेशनल करियर के दरवाजे भी खुलते हैं। इस सपने को पूरा करने के लिए ज्यादातर लोग एजुकेशन लोन लेते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोन लेने से पहले बैंक का क्या प्रोसेस है, लोन चुकाने का तरीका क्या है और विदेश में पढ़ाई का खर्च कितना होता है, ये सब पहले से समझ लें तो रास्ता आसान हो जाता है।

लोन मंजूर करने से पहले बैंक क्या देखते हैं?

बैंक सबसे ज्यादा ध्यान छात्र की पढ़ाई-लिखाई, कोर्स की क्वालिटी और नौकरी की संभावना पर देते हैं। एक्सिस बैंक के प्रवक्ता ने बताया कि इसमें सबसे जरूरी फैक्टर होता है छात्र का एकेडमिक रिकॉर्ड, यूनिवर्सिटी की क्वालिटी और ग्रेजुएशन के बाद संभावित कमाई। इससे बैंक को पता चलता है कि पढ़ाई के बाद छात्र लोन चुका सकते हैं या नहीं। बैंक बिना गारंटी के 1.5 करोड़ रुपये तक का लोन देता है। पार्शियल इंटरेस्ट स्कीम में पढ़ाई के दौरान हर महीने सिर्फ 3,000 रुपये देने पड़ते हैं।

लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में फाइनेंस डिपार्टमेंट की हेड प्रोफेसर बबली धीमान कहती हैं कि बैंक कोर्स की डिटेल, नौकरी की संभावना, सैलरी पैकेज, यूनिवर्सिटी की रेप्युटेशन, पुराना एकेडमिक रिकॉर्ड, माता-पिता की आय और पुराना रीपेमेंट रिकॉर्ड, और कोलेटरल (अगर हो तो) आदि देखते हैं।

जबकि BankBazaar.com के CEO अधिल शेट्टी कहते हैं कि ज्यादातर बैंक RBI की मॉडल एजुकेशन लोन स्कीम फॉलो करते हैं। इसमें ‘मान्यता प्राप्त, जॉब-ओरिएंटेड कोर्स’ में एडमिशन होने पर बिना गारंटी के भी लोन आसानी से मिल जाता है।

लोन कैसे चुकाना पड़ता है?

लोन चुकाना मोरेटोरियम पीरियड खत्म होने के बाद शुरू होता है। यानी कोर्स का टाइम + एक साल तक। इसके अलावा बैंक कई ऑप्शन भी देते हैं जैसे तुरंत EMI से लेकर पूरा मोरेटोरियम तक।

एक्सिस बैंक ने उदाहरण दिया: 15 लाख का लोन, 10% ब्याज, 180 महीने का समय, 30 महीने का मोरेटोरियम:

  • तुरंत EMI शुरू की तो कुल चुकाना पड़ा 31.6 लाख रुपये
  • सिम्पल इंटरेस्ट वाला ऑप्शन लिया तो 30.08 लाख रुपये
  • पूरा मोरेटोरियम लिया तो ब्याज चढ़ने की वजह से 32.91 लाख रुपये

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इसके अलावा शेट्टी ने दूसरा उदाहरण दिया: 8 लाख का लोन, 10% ब्याज, 2 साल का कोर्स + 6 महीने मोरेटोरियम: मोरेटोरियम में कुल ब्याज बना 2 लाख रुपये। अगर उस दौरान ब्याज चुकाते रहे तो बाद की EMI 13,215 से घटकर 10,572 रुपये हो गई और कुल ब्याज में 1.2 लाख रुपये की बचत हुई।

कुछ गलतियों से बचना जरूरी!

एक्सिस बैंक के प्रवक्ता कहते हैं कि सबसे बड़ी गलती लोग एडमिशन कन्फर्म होने के बाद लोन के लिए भागते हैं। पहले से प्री-एडमिशन सैंक्शन लेना चाहिए। प्रोफेसर धीमान कहती हैं कि ज्यादातर फैमिली ट्यूशन फीस के अलावा रहना-खाना, एग्जाम फीस आदि का खर्च भूल जाती हैं, जिससे बाद में पैसों की कमी हो जाती है।

शेट्टी कहते हैं कि ये भी चेक कर लें कि बैंक 100% खर्च कवर करता है या सिर्फ 80-85%।

विदेश में पढ़ाई के छुपे हुए खर्चे

एक्सिस बैंक के प्रवक्ता के मुताबिक स्टूडेंट्स वीजा फीस, इंश्योरेंस, लैपटॉप, रेंट डिपॉजिट, करेंसी के उतार-चढ़ाव जैसे खर्चों को कम आंकते हैं। प्रोफेसर धीमान ने बताया कि वीजा इंटरव्यू के लिए आने-जाने का खर्च, हेल्थ इंश्योरेंस और हाई लिविंग डिपॉजिट भी बहुत होते हैं।

साथ ही शेट्टी ने चेताया कि करेंसी कमजोर हुई तो कुल खर्च बढ़ जाता है, खासकर जब भारत से कमजोर रुपये में EMI भरनी हो।

अभी फॉरेन एजुकेशन लोन की ब्याज दरें

  • स्टेट बैंक ऑफ इंडिया: 9.15%
  • यूनियन बैंक ऑफ इंडिया: 8.25%
  • पंजाब नेशनल बैंक: 8.35%
  • ICICI बैंक: 10.25%
  • IDFC फर्स्ट बैंक: 9.50%

ये दरें संकेतक हैं, प्रोफाइल और लोन की शर्तों के हिसाब से बदल सकती हैं।

(नोट: उपरोक्त दरें BankBazaar.com के डेटा के अनुसार हैं।)

First Published : November 21, 2025 | 3:13 PM IST