Gold Outlook: इस समय सोने की कीमत दबाव में है, और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि अब लोगों को भरोसा नहीं रहा कि अमेरिका दिसंबर में ब्याज दरें कम करेगा। पहले उम्मीद थी कि दरें घटेंगी, जिससे सोने को फायदा मिलता, लेकिन अब यह उम्मीद कम हो गई है और इसका सीधा असर सोने पर पड़ा है। 20 नवंबर को सोना $4038 से $4110 के बीच ऊपर-नीचे होता रहा। भारत में भी सोना सस्ता हुआ और एमसीएक्स पर दिसंबर वायदा ₹1,22,292 पर था, जो लगभग 0.62% नीचे था। मजे की बात यह है कि इससे एक हफ्ता पहले, 14 नवंबर तक, सोने में 2% की बढ़त हुई थी, क्योंकि उससे पहले तीन हफ्ते लगातार गिरावट आई थी। लेकिन अब अमेरिका से आए नए आर्थिक आंकड़ों ने सोने को फिर से नीचे धकेल दिया है, और इसलिए सोने की कीमत फिलहाल दबाव में चल रही है।
अमेरिका के नए आर्थिक आंकड़ों ने बाजारों को चौंका दिया है। सितंबर के नॉन-फार्म पे-रोल आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में 1,19,000 नई नौकरियां जोड़ीं, जबकि अनुमान सिर्फ 50,000 का था। प्राइवेट सेक्टर में भी हालत अच्छी रही और 97,000 नौकरियां बढ़ीं। लेकिन मैन्युफैक्चरिंग में लगातार पांचवें महीने 6,000 नौकरियां कम हो गईं। बेरोजगारी दर भी बढ़कर 4.44% हो गई, जबकि लेबर पार्टिसिपेशन रेट 62.4% तक बढ़ा। लोगों की कमाई भी बहुत ज़्यादा नहीं बढ़ी, महीने में सिर्फ 0.2% और साल में 3.8% बढ़ी। इन सारे आंकड़ों से साफ लगता है कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत है, जिससे यह उम्मीद कमजोर हुई है कि फेडरल रिज़र्व जल्द दरें घटाएगा। यही बात सोने को नीचे धकेल रही है।
डॉलर इंडेक्स थोड़ा गिरकर 100.18 पर था। अमेरिका के 2 साल वाले बॉन्ड पर ब्याज 3.54% और 10 साल वाले बॉन्ड पर 4.09% था। आमतौर पर जब बॉन्ड का यह ब्याज (यील्ड) नीचे आता है, तो सोने की कीमत ऊपर जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि अमेरिका की नौकरी वाली रिपोर्ट बहुत मजबूत आई है। इसी वजह से लोग सोच रहे हैं कि फेड अब जल्द ब्याज दरें नहीं घटाएगा। इन कम होती उम्मीदों के कारण, डॉलर और बॉन्ड यील्ड गिरने के बावजूद सोने को कोई फायदा नहीं मिल पाया।
दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना अब सिर्फ 34% रह गई है, जबकि 29 अक्टूबर की FOMC बैठक से पहले यह संभावना 90% तक थी। FOMC मिनट्स भी दिखाते हैं कि नीति-निर्माता दिसंबर कट को लेकर सहमत नहीं हैं। कई फेड अधिकारी साफ तौर पर कह चुके हैं कि महंगाई अभी भी ऊंची है और उसे देखते हुए दरें घटाना जल्दबाजी होगी। यह स्थिति सोने पर निकट अवधि के लिए दबाव बनाए रख सकती है।
19 नवंबर तक दुनिया भर के गोल्ड ETF में कुल 97.40 मिलियन औंस सोना रखा गया था। यह पिछले साल के मुकाबले 17.56% ज्यादा है, यानी इस साल लोगों ने 452 टन अतिरिक्त सोना ETF में डाला है। दूसरी तरफ, COMEX (जो सोने का बड़ा बाज़ार है) की इन्वेंट्री 20 नवंबर तक घटकर 17.51 मिलियन औंस रह गई। यह 2 सितंबर के बाद सबसे कम है और अप्रैल में जो सबसे ज्यादा स्तर था (22.45 मिलियन औंस) उससे 22% कम है। इसका मतलब यह है कि बाज़ार में असली सोना कम होता जा रहा है। जब सोने की उपलब्धता कम होती है, तो लंबी अवधि में यह सोने की कीमत को ऊपर ले जा सकता है।
जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची $112 बिलियन का बड़ा आर्थिक पैकेज देने वाली हैं। यह पैकेज पिछले साल के मुकाबले 27% ज्यादा है। चीन भी अपनी कमजोर हो रही प्रॉपर्टी मार्केट को बचाने के लिए बड़े कदम उठाने जा रहा है। इसमें पहली बार घर खरीदने वालों को सब्सिडी देना, टैक्स में छूट देना और घर खरीदने की लागत कम करना शामिल हो सकता है। जर्मनी भी एक नया आर्थिक पैकेज लाएगा, जो साल 2026 के बीच में लागू होगा। दुनिया के इन बड़े देशों के ऐसे कदमों से वैश्विक अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी, और लंबे समय में इससे सोने की मांग भी बढ़ सकती है।
जापान और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। चीन ने जापान से आने वाले समुद्री खाद्य पदार्थों पर रोक लगा दी है, और डर है कि वह जापान को ‘रेयर अर्थ’ धातुएं भी भेजना बंद कर सकता है। ये धातुएं जापान की फैक्ट्रियों और उद्योगों के लिए बहुत जरूरी होती हैं। दूसरी तरफ, इजरायल और गाजा में लड़ाई फिर शुरू हो गई है। नए एयरस्ट्राइक में 25 लोग मारे गए हैं, और 10 अक्टूबर की सीजफायर के बाद से अब तक 300 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। दुनिया में ऐसे बढ़ते तनाव की वजह से सोने की कीमत को सहारा मिल सकता है, क्योंकि डर और अस्थिरता के समय लोग सोने को सुरक्षित निवेश मानते हैं।
आने वाले दिनों में अमेरिका कई जरूरी आर्थिक रिपोर्टें जारी करेगा- जैसे PMI, उपभोक्ता भरोसा, रिटेल सेल्स, GDP, महंगाई का नया डेटा (PCE), और व्यक्तिगत खर्च के आंकड़े। इन्हीं रिपोर्टों पर तय होगा कि अमेरिका का फेड दिसंबर में ब्याज दरों को लेकर क्या फैसला करेगा। क्योंकि फेड के पास अभी अक्टूबर का रोजगार और महंगाई का डेटा नहीं है, इसलिए स्थिति में काफी अनिश्चितता बनी हुई है। इसी बीच ब्रिटेन 26 नवंबर को अपना बजट पेश करेगा और यूरोप के नए आंकड़े भी बाजार की दिशा तय करेंगे।
निकट अवधि में सोने की चाल पूरी तरह इस बात पर निर्भर करेगी कि दिसंबर रेट कट की संभावना बढ़ती है या घटती है। अगर अमेरिकी रोजगार बाजार मजबूत दिखता है, तो सोने पर दबाव रह सकता है। तकनीकी रूप से सोने के लिए $4000 और $3972 महत्वपूर्ण सपोर्ट स्तर हैं। इनके टूटने पर $3929 तक गिरावट की आशंका है। ऊपर की ओर $4160 से $4200 मजबूत रेजिस्टेंस बने हुए हैं।
(डिस्क्लेमर: यह लेख मिराए एसेट शेयरखान में करेंसी और कमोडिटी विभाग के प्रमुख राय प्रवीण सिंह की राय पर आधारित है। यहां व्यक्त किए गए विचार पूरी तरह उनके निजी हैं।)