वृहद आर्थिक अनिश्चितताएं बनी रहेंगी और इस महीने भारतीय आईटी सेवा प्रदाता कंपनियों के एक बार फिर निचले एक अंक में वृद्धि दर दर्ज किए जाने का अनुमान है और साल की दूसरी छमाही में भी तत्काल कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
हालांकि वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों में कोई खास गिरावट नहीं देखी गई, जैसा कि जुलाई में कंपनियों ने कहा था, लेकिन अब अमेरिका में स्थिति और खराब हो गई है। अमेरिका टीसीएस और इन्फोसिस जैसी कंपनियों के लिए राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत है। यह बदलाव नए एच-1बी नियमों से लेकर आउटसोर्सिंग पर टैरिफ के खतरे तक कई वजहों से हुआ है। इससे चिंता और बढ़ गई है और शायद कंपनियों को ग्राहकों को बेहतर सेवा देने के लिए भविष्य के बिजनेस मॉडल में कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपने विश्लेषण में कहा कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही टियर-1 आईटी सेवा कंपनियों के लिए सामान्य तिमाही रहने की उम्मीद है, जिसमें कोई आश्चर्यजनक या चौंकाने वाली घटना नहीं होगी। रुचि मुखीजा, सीमा नायक और अदिति पाटिल ने सेक्टर के दूसरी तिमाही के प्रदर्शन पर अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘हालांकि, प्रत्यक्ष टैरिफ की आशंका और एच-1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर की फीस लगाने से निफ्टी आईटी में लगभग 8 फीसदी की गिरावट आई है। हम उम्मीद करते हैं कि टियर-1 कंपनियां तिमाही आधार पर 0.5-1.5 प्रतिशत राजस्व वृद्धि दर्ज करेंगी, जिनमें एचसीएलटी के सबसे आगे रहने की संभावना है।’
30 सितंबर, 2025 को समाप्त होने वाली दूसरी तिमाही कई मायनों में महत्त्वपूर्ण होगी। यह पहली बार होगा जब बड़ी आईटी फर्मों का मैनेजमेंट नए एच1-बी वीजा पर हाल में लगाई गई 1,00,000 डॉलर की फीस और हायर ऐक्ट पर अपनी राय साझा करेगा। बाजार मांग संबंधित परिवेश से जुड़े संकेतों पर ध्यान देगा।
अनअर्थइनसाइट के संस्थापक गौरव वासु का अनुमान है कि दूसरी तिमाही में लार्ज और मिडकैप कंपनियों की वृद्धि सिर्फ 1-3 प्रतिशत रहेगी। उन्होंने कहा, ‘छुट्टियों का मौसम, कर्मचारियों की छुट्टी और टेक बजट आकलन चक्र के कारण तीसरी और चौथी तिमाही आमतौर पर कमजोर रहती हैं।’
वासु ने कहा कि वित्त वर्ष 2027 में वृद्धि कमजोर पड़कर 1 से -1 फीसदी रह सकती है। इसका कारण होगा अमेरिकी प्रशासन का स्थानीयकरण को बढ़ावा देना, वीजा फीस में बढ़ोतरी और हायर एक्ट, जो न केवल भारत बल्कि फिलीपींस, मैक्सिको या पोलैंड जैसे अन्य तकनीकी गंतव्यों के लिए भी आईटी सेवाओं और जीसीसी के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफॉर्मेशन की आउटसोर्सिंग या ऑफशोरिंग पर प्रत्यक्ष असर डालेंगे।
एक्सेंचर का अगले वित्त वर्ष में महज 2-5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान यह संकेत देता है कि आईटी मांग का माहौल अभी भी सुस्त है और मुश्किलों से बाहर निकलने में अभी और समय लगेगा। यह और भी चिंता की बात है कि दुनिया की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी ने 31 अगस्त को समाप्त हुई अपनी चौथी तिमाही और पूरे साल के लिए 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। इसके बावजूद अगर कंपनी कम राजस्व वृद्धि का अनुमान लगा रही है तो यह भारतीय आईटी क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में आईटी सर्विसेज और इंटरनेट के मुख्य विश्लेषक अभिषेक पाठक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इस वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में कुछ भी नहीं बदला है क्योंकि आईटी उद्योग जेन एआई से प्रेरित बदलाव के दौर से गुजर रहा है और ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से हर दिन नई अनिश्चितताएं सामने आ रही हैं।’