चार महीने का मॉनसून का मौसम मंगलवार को समाप्त हो गया और इस दौरान देश में सामान्य से आठ प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई। यह जानकारी भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने दी। आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि देश में मॉनसून का मौसम ‘बहुत सफल’ रहा, हालांकि इस दौरान बादल फटने, भूस्खलन जैसी कई आपदाएं भी आईं।
भारत में पूरे चार महीने के मॉनसून के दौरान 868.6 मिलीमीटर की सामान्य बारिश की तुलना में 937.2 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, जो आठ प्रतिशत अधिक है। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 1089.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य बारिश 1367.3 मिलीमीटर से 20 प्रतिशत कम है।
महापात्र ने बताया कि बिहार, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में मॉनसून के चार महीनों में से तीन महीनों में कम बारिश हुई। उन्होंने कहा, ‘इस मॉनसून में पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में बारिश 1901 के बाद से दूसरी बार सबसे कम रही। इस क्षेत्र में मॉनसून के दौरान सबसे कम बारिश (1065.7 मिलीमीटर) 2013 में दर्ज की गई थी।’
उन्होंने कहा, ‘हाल के समय में पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में कई वर्षों से कम बारिश होती रही है। वर्ष 2020 से इस क्षेत्र में कम वर्षा हुई है। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि पिछले 20 वर्षों में पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में वर्षा कम हुई है।’
महापात्र ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत में 747.9 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य बारिश (587.6 मिलीमीटर) से 27.3 प्रतिशत अधिक है। महापात्र ने कहा कि यह 2001 के बाद से सबसे अधिक और 1901 के बाद से छठी सबसे अधिक बारिश है।
उन्होंने बताया कि उत्तर-पश्चिम भारत के सभी जिलों में जून, अगस्त और सितंबर में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि मध्य भारत में 1125.3 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, जो 978 मिलीमीटर की सामान्य बारिश से 15.1 प्रतिशत अधिक है, जबकि दक्षिणी प्रायद्वीप में 716.2 मिलीमीटर की सामान्य वर्षा से 9.9 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई।
उन्होंने कहा कि उत्तर-पश्चिम के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर भारत के अधिकांश भागों में अक्टूबर से दिसंबर तक सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि भारत में अक्टूबर में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है, जो दीर्घावधि औसत 75.4 मिलीमीटर से 115 प्रतिशत अधिक है। भाषा