वित्त वर्ष 2026 की अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़कर बजट अनुमान (बीई) का 38.1 प्रतिशत या 5.98 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह बजट अनुमान का 27 प्रतिशत था। इस अवधि के दौरान पिछले साल की तुलना में पूंजीगत व्यय में वृद्धि और राजस्व की प्राप्तियों में आई कमी के कारण राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी हुई है।
इस अवधि के दौरान शुद्ध कर संग्रह में 7 प्रतिशत की गिरावट आई और यह पिछले साल की समान अवधि में हुए 33.8 प्रतिशत की तुलना में घटकर बजट अनुमान का 28.6 प्रतिशत (8.1 लाख करोड़ रुपये) रह गया। वहीं अप्रैल-अगस्त की अवधि के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में आयकर और कॉर्पोरेट कर संग्रह दोनों मामूली कमी आई है। वित्त वर्ष 2026 के पहले 5 महीनों में आयकर संग्रह में 2 प्रतिशत की गिरावट आई और सकल कर राजस्व में 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक कर दाखिल करने की समय सीमा में बढ़ोतरी के साथ प्रतिकूल आधार के कारण ऐसा हुआ है।
सीजीए के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों के दौरान पूंजीगत व्यय बजट अनुमान का 38.5 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले साल यह 27 प्रतिशत था। आम चुनाव के कारण सरकारी खर्च में कटौती की वजह से सरकार का पूंजीगत व्यय घटा था।
सीजीए के आंकड़ों से पता चला है कि वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल-अगस्त के दौरान सरकार का पूंजीगत व्यय 4.31 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। वित्त वर्ष 2026 की अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान कुल व्यय में 14 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जिसमें पूंजीगत व्यय 43 प्रतिशत बढ़ा है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘जुलाई 2025 में सालाना आधार पर 11 प्रतिशत गिरावट के बाद अगस्त 2025 में भारत सरकार का पूंजीगत व्यय पिछले साल की समान अवधि की तुलना में दोगुने से अधिक हो गया। इसकी वजह से जुलाई-अगस्त 2025 में वृद्धि 30 प्रतिशत तक पहुंच गई। यह तिमाही में आर्थिक गतिविधि के लिए अच्छा संकेत है।’
बहरहाल राजस्व के हिसाब से देखें तो अप्रैल-अगस्त के दौरान कुल प्राप्तियां वित्त वर्ष 2026 के बजट अनुमान का 36.6 प्रतिशत या 12.5 लाख करोड़ रुपये रही हैं, जबकि वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल अगस्त के दौरान यह बजट अनुमान का 38.6 प्रतिशत था।
सबसे अधिक पूंजीगत व्यय करने वाले सड़क और रेलवे मंत्रालयों ने वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल-अगस्त के दौरान बजट आवंटन के अनुपात में अधिक व्यय किया है। इन मंत्रालयों ने इन मंत्रालयों ने पिछले वित्त वर्ष जहां इन मंत्रालयों ने क्रमशः बजट का क्रमशः 39 प्रतिशत और 45 प्रतिशत व्यय किया था, वहीं इस वित्त वर्ष में क्रमशः 43 प्रतिशत और 52 प्रतिशत है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि समग्र राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बरकरार रखा जाएगा। यह वर्ष की दूसरी छमाही के उधारी कैलेंडर से भी स्पष्ट होता है।’
विशेषज्ञों ने कहा कि राजस्व में कम वृद्धि के बावजूद चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए सरकार द्वारा हाल में घोषित उधारी कैलेंडर से राजकोषीय प्रबंधन में भरोसा बढ़ता है।
नायर ने आगे कहा, “यदि त्योहारों के सीजन के बीच अक्टूबर 2025 में राज्यों के साथ कर हस्तांतरण की एक दो किस्त साझा की जाती है, तो यह कर संग्रह पर कुछ संभावित छोटी चूक के बावजूद, समग्र राजस्व लक्ष्य को पूरा करने पर और अधिक विश्वास का संकेत देगा।’
आर्थिक मामलों के विभाग की सचिव अनुराधा ठाकुर ने हाल ही में कहा कि सरकार को वित्त वर्ष 2026 के लिए 4.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को प्राप्त करने को लेकर भरोसा है।