अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा आज जारी रिपोर्ट के अनुसार ओमीक्रोन संक्रमण लहर के बजाय अचानक आई बाढ़ की तरह हो सकता है और भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के पूर्व स्तर तक सुधर सकती है। हालांकि ओमीक्रोन के कारण संक्रमण बढऩे से सुधार पर थोड़ा असर पड़ेगा लेकिन यह अस्थायी होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘महामारी की दूसरी लहर कमजोर पडऩे के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार ने जोर पकड़ा है और तीसरी लहर के संक्रमणों की अड़चन ही उसके सामने है।’ 13 जनवरी को 2.71 लाख से ज्यादा संक्रमण के नए मामले आए, जो मई 2021 के मध्य से सबसे अधिक हैं।
हालांकि समग्र मांग की स्थिति बनी हुई है। दिसंबर में 7.2 करोड़ ई-वे बिल जारी किए गए, जो जीएसटी के इतिहास में किसी महीने में बिलों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। इससे संकेत मिलता है कि जनवरी 2022 में भी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बेहतर रहेगा। दिसंबर में विनिर्माण और निर्माण में मजबूत वृद्घि होने के साथ ही राजमार्गों के टोल संग्रह में नवंबर के मुकाबले 16 फीसदी इजाफा हुआ है। बिजली की खपत भी दिसंबर में 4.5 फीसदी बढ़कर 110.3 अरब यूनिट रही।
यह रिपोर्ट आरबीआई के जनवरी बुलेटिन का हिस्सा है, जिसमें कहा गया है, ‘कुल मिलाकर भारत की आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं और ग्राहकों तथा कारोबार का आत्मविश्वास बढ़ा है।’
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर में श्रमिकों की भागीदारी दर 40.9 फीसदी बढ़ी, जो सितंबर 2020 के बाद सर्वाधिक है। रोजगार दर में भी 23 आधार अंक का इजाफा हुआ है किंतु बेरोजगारी दर दिसंबर में 7.9 फीसदी रही, जो चिंताजनक है। सीएमआईई के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि विनिर्माण, होटल, पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में नौकरियां घटी हैं, जबकि निर्माण, कृषि और रिटेल कारोबार में रोजगार बढ़े हैं। मगर नियोजित श्रमिकों की कुल संख्या दिसंबर में पहली बार महामारी के पहले के स्तर से पार पहुंची है। आरबीआई के अनुसार निर्यात में भी अच्छी वृद्घि देखी गई। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बैंकों की मौद्रिक और उधारी स्थिति में सुधार हो रहा है और उधारी मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है। भारत में डिजिटल भुगतान का तंत्र भी तेजी से बढ़ रहा है।’ मगर रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिकूल आधार प्रभाव के कारण मुद्रास्फीति में इजाफा हुआ है। इसके कारण वैश्विक परिदृश्य धुंधला और अनिश्चितता भरा है, जिससे उत्पादन और आपूर्ति शृंखला प्रभावित हो रही है।
