भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने केंद्र सरकार के कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा अपनाई जाने वाली निवेश प्रबंधन और लेखा प्रक्रियाओं में सुधार के लिए कई उपायों पर विचार करने का सुझाव दिया है। यह सुझाव ऐसे समय में दिया गया है जब ईपीएफओ अपने सदस्यों के लिए सरकारी बॉन्डों की यील्ड की तुलना में ज्यादा वार्षिक रिटर्न या ब्याज की घोषणा करता रहा है जबकि वह अपना अधिकांश निवेश सरकारी प्रतिभूतियों में करता है।
आरबीआई की यह सलाह साल की शुरुआत में केंद्रीय श्रम मंत्रालय के अनुरोध के बाद आई है। मंत्रालय ने ईपीएफओ के लेखांकन, जोखिम प्रबंधन और आंतरिक प्रशासन सहित निवेश रणनीति एवं कोष प्रबंधन पर केंद्रीय बैंक से विशेषज्ञता की मांग की थी। ईपीएफओ औपचारिक क्षेत्र के करीब 30 करोड़ कर्मचारियों की लगभग 25 लाख करोड़ रुपये की सेवानिवृत्ति बचत का संरक्षक है।
मंत्रालय ने आरबीआई को लिखे पत्र में कहा था, ‘ईपीएफओ भविष्य निधि, पेंशन और बीमा में 25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संचित निधि का प्रबंधन और विनियमन करता है लेकिन इसमें एक स्वतंत्र नियामक तंत्र का अभाव है, जिससे हितों के टकराव की आशंका बढ़ जाती है। केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) का निवेश प्रभाग और निवेश समिति लेखांकन, पोर्टफोलियो प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में बेहतर विशेषज्ञता के साथ अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।’
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घटनाक्रम से वाकिफ एक सूत्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हर साल सदस्यों के लिए रिटर्न बनाए रखने और उसे बढ़ाने का दबाव रहता है जबकि बॉन्ड यील्ड घट गई है। इस कमी को इक्विटी निवेश पर पूंजीगत लाभ की प्राप्ति से पूरा किया गया है।’
अपने वर्तमान निवेश पैटर्न के अनुसार ईपीएफओ अपनी नई अंशदान वृद्धि का 45-65 फीसदी सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करता है और 20-45 फीसदी डेट में, 5 से 15 फीसदी इंडेक्स फंड के जरिये शेयर बाजार में तथा 0 से 5 फीसदी अल्पावधि ऋण साधनों में निवेश करता है।
वित्त वर्ष 2025 के लिए ईपीएफओ ने ईपीएफ खाते में उपलब्ध राशि पर 8.25 फीसदी ब्याज देने की घोषणा की जबकि 10 वर्ष की अवधि की सरकारी प्रतिभूतियों पर औसत यील्ड इसी दौरान औसतन 6.86 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2025 के दौरान निफ्टी50 और बीएसई सेंसेक्स का रिटर्न क्रमशः 5.3 प्रतिशत और 5.1 प्रतिशत रहा।
श्रम मंत्रालय ने आरबीआई से सलाह मांगी कि क्या उसे ईपीएफओ द्वारा प्रबंधित तीन फंडों की विशिष्ट परिसंपत्ति-देनदारी अनुपात के आधार पर एक अलग निवेश रणनीति अपनानी चाहिए या पेंशन, पीएफ और बीमा फंड को समान योजनाओं में निवेश करने का चलन जारी रखना चाहिए। मंत्रालय ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के रिटर्न के दोबारा निवेश पर भी सुझाव मांगे हैं।