केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फार्मास्युटिकल्स क्षेत्र में उच्च मूल्य के उत्पादों के लिए 15,000 करोड़ रुपये और सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर उत्पादों के लिए करीब 7,350 करोड़ रुपये के उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) की आज घोषणा की।
फार्मा क्षेत्र की योजना से देश में उच्च मूल्य वाले उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा और निर्यात में मूल्यवद्र्घन बढ़ाने की उम्मीद है। सरकार ने कहा, ‘2022-23 से 2027-28 तक छह साल के दौरान कुल 2.94 लाख करोड़ रुपये की बिक्री बढऩे और निर्यात में 1.96 लाख करोड़ रुपये का इजाफा होने की उम्मीद है।’ इस योजना से करीब 20,000 लोगों को प्रत्यक्ष और 80,000 लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार के अवसर मिलेंगे। फार्मा क्षेत्र के लिए योजना की अवधि वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2029 तक होगी।
दो श्रेणियों के फार्मास्युटिक उत्पादों को पहले चार साल के लिए 10 फीसदी की दर से प्रोत्साहन की मंजूरी दी गई है और पांचवें साल में 8 फीसदी तथा छठे साल में उत्पादन का 6 फीसदी प्रोत्साहन दिया जाएगा। इन उत्पादों में बायोफार्मास्युटिकल्स, जटिल जेनेरिक, पेंटटशुदा दवाएं, बल्क
दवाएं आदि शामिल हैं। इसी तरह कैंसर की दवाओं, मनोविकार और कार्डियोवैस्कुलर आदि दवाओं के लिए 5 फीसदी प्रोत्साहन की घोषणा की गई है। हालांकि इस योजना के तहत उत्पादन पर पांचवें साल में इन पर 4 फीसदी और छठे साल में 3 फीसदी प्रोत्साहन मिलेगा। इस योजना के लिए सरकार ने फार्मा कंपनियों को उनके सालाना कारोबार के आधार पर तीन समूहों में बांटने का निर्णय किया है। समूह ए में वित्त वर्ष 2020 के दौरान 5,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक सालाना वैश्विक कारोबार वाली फर्में शामिल हैं। समूह बी में 500 से 5,000 करोड़ रुपये सालाना कारोबार वाली फर्में और समूह सी में 500 करोड़ रुपये से कम कारोबार वाली फर्में शामिल होंगी। समूह सी के तहत एमएसएमई के लिए एक उप-श्रेणी बनाई जाएगी।
सरकार के अनुसार आईटी हार्डवेयर उत्पादों को इस योजना में लाने से 2025 तक इस क्षेत्र में मूल्यवद्र्घन 20 से 25 फीसदी बढ़ सकता है, जो वर्तमान में 5 से 10 फीसदी है। आईटी हार्डवेयर क्षेत्र के लिए इस योजना से कुल उत्पादन 3.26 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है। सरकार को उम्मीद है कि अगले चार साल में कुल उत्पादन में से 75 फीसदी निर्यात होने की उम्मीद है, जो करीब 2.45 लाख करोड़ रुपये का होगा। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस योजना से इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में 2,700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश आएगा। यह मोबाइल उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों, चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना की सफलता का ही विस्तार है। मंत्रिमंडल ने पिछले साल नवंबर में दस उद्योगों के लिए 1.46 लाख करोड़ रुपये प्रोत्साहन का प्रस्ताव किया था। इन उद्योगों में वाहन एवं कलपुर्जा, दूरसंचार उपकरण, लैपटॉप एवं पीसी, एयर कंडीशनर, इलेक्ट्रिक बैटरी आदि शामिल हैं।
फार्मा दिग्गज ल्यूपिन, सिप्ला और डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने पीएलआई योजना में भागीदारी करने में दिलचस्पी दिखाई है।
उदाहरण के लिए ल्यूपिन ने बल्क ड्रग एपीआई योजना के लिए आवेदन किया है और दूसरे चरण के लिए भी भागीदारी करने की संभावना तलाश रही है।
ल्यूपिन के प्रबंध निदेशक नीलेश गुप्ता ने हाल ही में बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था, ‘मौजूदा पीएलआई योजना और दूसरे चरण की योजना काफी असरदार है। हम अपने कारोबार और योजना के हिसाब से कुछ उत्पादों की संभावना तलाश रहे हैं। हमने पहली पीएलआई योजना के तहत आवेदन भी किया है और दूसरे चरण में भी भागीदारी कर सकते हैं।’ सिप्ला ने भी पीएलआई योजना के दूसरे चरण में भागीदारी के संकेत दिए हैं।
ईवाई इंडिया में टैक्स पार्टनर कुणाल चौधरी ने कहा कि पीएलआई योजना को आईटी हार्डवेयर तक विस्तार करने से भारत को दुनिया के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स विनिमर्ण का केंद्र बनाने में मदद मिलेगी, वहीं कलपुर्जों के मूल्यवद्र्घन में भी उल्लेखनीय इजाफा होगा।
पिछले साल घोषित पीएलआई योजना के तहत ऐपल, सैमसंग जैसी वैश्विक कंपनियों ने भागीदारी के लिए आवेदन किया है। इसके तहत 200 डॉलर से अधिक कीमत वाले मोबाइल फोन पर पांच साल के लिए 4 से 6 फीसदी प्रोत्साहन की पेशकश की गई है।
सरकार को उम्मीद है कि अन्य क्षेत्रों में भी इस योजना के विस्तार से मोबाइल विनिर्माण की तरह ही सफलता मिलेगी।पिछले साल सरकार ने स्थानीय स्तर पर बल्क दवाओं के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 6,940 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना की घोषणा की थी। इसके बाद नवंबर में मंत्रिमंडल ने फार्मा उत्पादों के लिए 15,000 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी और अब उसका स्पष्ट खाका सामने आया है।
पिछले हफ्ते सरकार ने दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए पीएलआई के तहत पांच साल तक 12,195 करोड़ रुपये प्रोत्साहन की घोषणा की थी।
