facebookmetapixel
UP International Trade Show: प्रधानमंत्री मोदी करेंगे उद्घाटन, नोएडा में कल से शुरू होगा ट्रेड शो; क्या है इस बार खास?मराठवाड़ा में भारी बारिश और बाढ़ से तबाही, सरकार ने दिवाली से पहले किसानों को आर्थिक मदद का आश्वासन दियाफ्री बिजली से डिस्कॉम्स लाखों करोड़ के घाटे में!लद्दाख में हिंसक हुआ विरोध, 4 लोगों की मौत, 30 घायल; सोनम वांगचुक ने जताया दुखZerodha Fund House का AUM 2 साल में ₹8,000 करोड़ के पार, सिर्फ डायरेक्ट प्लान से हासिल की सफलताअब कतर में भी चलेगा UPI, शुरू हुई पेमेंट सर्विस; भारतीय यात्रियों को मिलेगी बड़ी सुविधाJioBlackRock Flexi Cap Fund: स्कीम की 6 खास बातें, निवेश से पहले जरूर जान लेंलद्दाख में हिंसक हुआ विरोध, प्रदर्शनकारियों ने लेह में बीजेपी दफ्तर में लगाई आगCabinet Decisions: चुनाव से पहले बिहार को बड़ा तोहफा, ₹6014 करोड़ के रेलवे और हाईवे प्रोजेक्ट को मिली मंजूरीशिपबिल्डिंग और मरीन सेक्टर को तगड़ा बूस्ट, मोदी सरकार ने ₹69,725 करोड़ के पैकेज को दी मंजूरी

दंगों में झुलसी मणिपुर की अर्थव्यवस्था, FY24 में GST कलेक्शन 24 फीसदी गिरकर 1,095 करोड़ रुपये रहा

Violence in Manipur: निर्वाचन आयोग ने मणिपुर के हालात का जायजा लिया, जिसमें पाया गया कि लंबे चले संघर्ष के कारण बड़ी संख्या में मतदाता अपने पैतृक घरों को छोड़कर जा चुके हैं।

Last Updated- April 09, 2024 | 11:48 PM IST
BJP repeating mistakes like Congress in Manipur
Representative Image

मणिपुर में कई महीने तक चले जातीय संघर्ष का राज्य की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा है। वित्त वर्ष 2024 में राज्य का वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 24 फीसदी तक घट कर 1,095 करोड़ रुपये पर आ गया है। यह गिरावट ऐसे समय दर्ज की गई जब पूरे देश के जीएसटी संग्रह में दोहरे अंक में वृद्धि हुई है।

मणिपुर में म्यांमार से लगती सीमा पर पिछले साल 3 मई को दंगे भड़क उठे थे। राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी आदिवासियों और मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले मेतैई समुदाय के लोगों के बीच सरकार से मिलने वाले आरक्षण और आर्थिक लाभ को लेकर तनाव बढ़ा था, जो धीरे-धीरे भीषण संघर्ष में तब्दील हो गया। पिछले साल सितंबर में राज्य पुलिस ने कहा था कि इन दंगों में 175 लोगों की जान चली गई और आग लगने की 5,172 घटनाएं दर्ज की गईं।

पूर्वोत्तर में रहने वाले और एक व्यापार संगठन से जुड़े पदाधिकारी ने बताया, ‘राज्य में हालात पहले से बेहतर हैं लेकिन अभी सामान्य नहीं हुए हैं। यदि राज्य के इतिहास को देखें तो लंबे समय से ऐसे संघर्ष होते रहे हैं। यहां हालात अचानक बदलते हैं। कुछ दिन शांति बनी रहेगी और एक दिन पता चलेगा कि कोई बड़ी घटना हो गई। ऐसा पहले से होता रहा है और आगे भी वर्षों तक जारी रहेगा। यहां हालात एकदम बदलने वाले नहीं हैं।’

दंगों का असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर स्पष्ट नजर आ रहा है। बीते फरवरी में राज्य में खुदरा महंगाई दर 10.96 फीसदी पर पहुंच गई थी। उन्होंने बताया, ‘कई मामलों में खपत कम हो गई है, क्योंकि बड़ी संख्या में युवा राज्य से बाहर चले गए हैं। लगातार पूर्ण बंदी के कारण लोग राज्य के बाहर से अपनी जरूरत के सामान खरीद रहे हैं। राज्य का होटल उद्योग भी बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ है, क्योंकि बिजनेस या पर्यटन उद्देश्य से लोग यहां आने से कतरा रहे हैं।’

राज्य का लगभग 77 फीसदी क्षेत्रफल वनों से घिरा है और यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य तौर पर कृषि आधारित है। राज्य की आय में हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट और रेशम आधारित उद्योग का खासा योगदान है। राज्य में दो चरणों में लोक सभा चुनाव होने हैं। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा और दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। बाहरी मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र में दोनों चरणों में मतदान होगा।

निर्वाचन आयोग ने मणिपुर के हालात का जायजा लिया, जिसमें पाया गया कि लंबे चले संघर्ष के कारण बड़ी संख्या में मतदाता अपने पैतृक घरों को छोड़कर जा चुके हैं। वे राज्य के विभिन्न जिलों में राहत शिविरों में रह रहे हैं। आयोग ने ऐसे स्थानों पर विशेष पोलिंग बूथ बनाने का फैसला किया है, जहां बड़ी संख्या में शरणार्थी रह रहे हैं।

First Published - April 9, 2024 | 11:27 PM IST

संबंधित पोस्ट