मणिपुर में कई महीने तक चले जातीय संघर्ष का राज्य की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा है। वित्त वर्ष 2024 में राज्य का वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 24 फीसदी तक घट कर 1,095 करोड़ रुपये पर आ गया है। यह गिरावट ऐसे समय दर्ज की गई जब पूरे देश के जीएसटी संग्रह में दोहरे अंक में वृद्धि हुई है।
मणिपुर में म्यांमार से लगती सीमा पर पिछले साल 3 मई को दंगे भड़क उठे थे। राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी आदिवासियों और मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले मेतैई समुदाय के लोगों के बीच सरकार से मिलने वाले आरक्षण और आर्थिक लाभ को लेकर तनाव बढ़ा था, जो धीरे-धीरे भीषण संघर्ष में तब्दील हो गया। पिछले साल सितंबर में राज्य पुलिस ने कहा था कि इन दंगों में 175 लोगों की जान चली गई और आग लगने की 5,172 घटनाएं दर्ज की गईं।
पूर्वोत्तर में रहने वाले और एक व्यापार संगठन से जुड़े पदाधिकारी ने बताया, ‘राज्य में हालात पहले से बेहतर हैं लेकिन अभी सामान्य नहीं हुए हैं। यदि राज्य के इतिहास को देखें तो लंबे समय से ऐसे संघर्ष होते रहे हैं। यहां हालात अचानक बदलते हैं। कुछ दिन शांति बनी रहेगी और एक दिन पता चलेगा कि कोई बड़ी घटना हो गई। ऐसा पहले से होता रहा है और आगे भी वर्षों तक जारी रहेगा। यहां हालात एकदम बदलने वाले नहीं हैं।’
दंगों का असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर स्पष्ट नजर आ रहा है। बीते फरवरी में राज्य में खुदरा महंगाई दर 10.96 फीसदी पर पहुंच गई थी। उन्होंने बताया, ‘कई मामलों में खपत कम हो गई है, क्योंकि बड़ी संख्या में युवा राज्य से बाहर चले गए हैं। लगातार पूर्ण बंदी के कारण लोग राज्य के बाहर से अपनी जरूरत के सामान खरीद रहे हैं। राज्य का होटल उद्योग भी बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ है, क्योंकि बिजनेस या पर्यटन उद्देश्य से लोग यहां आने से कतरा रहे हैं।’
राज्य का लगभग 77 फीसदी क्षेत्रफल वनों से घिरा है और यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य तौर पर कृषि आधारित है। राज्य की आय में हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट और रेशम आधारित उद्योग का खासा योगदान है। राज्य में दो चरणों में लोक सभा चुनाव होने हैं। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा और दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। बाहरी मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र में दोनों चरणों में मतदान होगा।
निर्वाचन आयोग ने मणिपुर के हालात का जायजा लिया, जिसमें पाया गया कि लंबे चले संघर्ष के कारण बड़ी संख्या में मतदाता अपने पैतृक घरों को छोड़कर जा चुके हैं। वे राज्य के विभिन्न जिलों में राहत शिविरों में रह रहे हैं। आयोग ने ऐसे स्थानों पर विशेष पोलिंग बूथ बनाने का फैसला किया है, जहां बड़ी संख्या में शरणार्थी रह रहे हैं।