भारत द्वारा 2019 में अमेरिका से आने वाले कृषि उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाए जाने के बाद से व्यापार में बदलाव आया है। सेब, अखरोट और बादाम का आयात अब अमेरिका की जगह तुर्की, इटली और चिली जैसे देशों से बढ़ा है। पिछले 5 साल के दौरान अमेरिका से भारत को कृषि उत्पाद का आयात कम हो गया है।
पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देशों ने ट्रंप के कार्यकाल में लगे व्यापारिक व्यवधानों को आंशिक रूप से हटाने पर सहमति जताई है। प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाए जाने के पहले वित्त वर्ष 18 में भारत आने वाले ताजे सेब में अमेरिका की हिस्सेदारी 39.5 प्रतिशत थी और वह पहले स्थान पर था।
वित्त वर्ष 23 में अमेरिका की हिस्सेदारी घटकर सिर्फ 1.2 प्रतिशत रह गई और वह 11वें स्थान पर पहुंच गया। इस दौरान तुर्की, ईरान और इटली की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा हो गई है। इसी तरह से अखरोट गिरी के आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत थी, जबकि 29.7 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ चिली दूसरे स्थान पर था।
अब 2023 में चिली की हिस्सेदारी बढ़कर 75.2 प्रतिशत हो गई है, जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी घटकर 14.8 प्रतिशत रह गई है। वहीं संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान, वियतनाम ने धीरे धीरे बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई है। वहीं अगर हम बादाम गिरी की बात करें तो वित्त वर्ष 18 में अमेरिका इसका सबसे बड़ा स्रोत था और उसकी बाजार हिस्सेदारी 40 प्रतिशत थी।
उसके बाद अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, ईरान और सीरिया का स्थान था। बहरहाल वित्त वर्ष 23 में अफगानिस्तान बादाम का सबसे बड़ा स्रोत हो गया और उसकी भारत में बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 38.8 प्रतिशत हो गई। वहीं अमेरिका 28 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गया। उसके बाद 20.6 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ ईरान तीसरे स्थान पर है।
बहरहाल बादाम के आयात पर शुल्क बढ़ने के बावजूद छिलके वाली बादाम का अमेरिका से आयात वित्त वर्ष 18 के 83.7 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 93.8 प्रतिशत हो गया। संभवतः ऐसा इसलिए है कि अमेरिका बादाम का सबसे बड़ा उत्पादक है और भारत कैलिफोर्निया बादाम का सबसे बढ़ा खरीदार बना हुआ है।
अमेरिका के कृषि मंत्री टॉम विलसैक ने एक बयान में कहा कि शुल्क हटाया जाना अमेरिका के किसानों के लिए सबसे बड़ी जीत है। इससे अमेरिका के बाइडन हैरिस प्रशासन के दौरान कृषि उत्पादों के लिए 15 अरब डॉलर का बाजार बना है। उन्होंने कहा, ‘उत्पादक अब अमेरिका के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों को सेब, सफेद चना, दाल, बादाम और अखरोट की बिक्री बढ़ा सकेंगे।’
अमेरिकी सेब पर 20 प्रतिशत प्रतिशोधात्मक सीमा शुल्क हटाने के फैसले से भारतीय किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव पीयूष कुमार ने कहा कि भारत इस शुल्क को हटाकर कुछ भी ‘ज्यादा’ नहीं दे रहा है और ऐसा नहीं है कि ‘हमने अमेरिकी सेबों के लिए अपने दरवाजे पूरी तरह खोल दिए हैं।’ उन्होंने कहा कि वास्तव में यह भारत के लिए फायदे का सौदा है, क्योंकि इसके बदले अमेरिकी बाजार में घरेलू इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों को बाजार पहुंच मिलेगी। इन उत्पादों का निर्यात 2018 में अमेरिका के उच्च शुल्क लगाने से प्रभावित हुआ था।