अमेरिका विभिन्न देशों पर शुल्क बाधाओं को कम करने और व्यापार सौदों पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बढ़ा रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए भारत और अमेरिका व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव और प्रस्तावित सौदे के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल ने इसकी जानकारी दी।
भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में वाणिज्य सचिव ने कहा, ‘हम अमेरिका के साथ एक समझौते पर बातचीत कर रहे हैं और उसे अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। हम आसियान व्यापार समझौते की समीक्षा करते हुए बातचीत कर रहे हैं।’ अग्रवाल ने कहा, ‘इससे भारत के लिए ढेर सारे अवसर पैदा होंगे और हमारे शुल्क द्विपक्षीय रूप से कम हो जाएंगे। शुल्क और नियामक परिदृश्य स्पष्ट होने से लोग लंबी अवधि का निवेश निर्णय लेने में सक्षम होंगे।’
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अमेरिका के साथ अंतरिम समझौते के सवाल पर एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि अग्रवाल के नेतृत्व में अधिकारियों का एक दल अगले हफ्ते की शुरुआत में वाशिंगटन जा सकता है ताकि अंतरिम व्यापार समझौते के साथ-साथ व्यापक व्यापार समझौते यानी द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर आगे चर्चा की जा सके। दोनों देशों ने साल के अंत तक द्विपक्षीय व्यापार करार को अंतिम रूप देने का लक्ष्य रखा है।
इस बीच अमेरिका ने देश-विशिष्ट पर जवाबी शुल्क लागू करने की तारीख तीन सप्ताह से अधिक बढ़ाकर 1 अगस्त कर दिया है। इससे अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए और बातचीत की गुंजाइश बनी है। ऐसे में अधिकारियों के दल की अमेरिका यात्रा महत्त्वपूर्ण है।
डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के साथ व्यापार समझौते करके शुल्क तथा गैर शुल्क बाधाओं को कम करने के लिए देशों पर दबाव बढ़ा रहे हैं। मंगलवार से उन्होंने 21 व्यापार भागीदारों को औपचारिक पत्र भेजे हैं, जिनमें मुख्य रूप से एशियाई देश शामिल हैं। पत्र में इन देशों पर 1 अगस्त से 20 से 40 फीसदी तक जवाबी शुल्क लगाने की चेतावनी दी गई है। हालांकि भारत को इन देशों की सूची से बाहर रखा गया है।
इससे पहले ट्रंप प्रशासन ने 2 अप्रैल को भारत से आयात पर 26 फीसदी शुल्क सहित विभिन्न देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी। बाद में इसने व्यापार सौदों पर बातचीत करने के लिए उन शुल्क पर 90 दिनों के लिए रोक की घोषणा की थी मगर 10 फीसदी का बुनियादी शुल्क बरकरार रखा था।
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भारत और अमेरिका का लक्ष्य 9 जुलाई तक अंतरिम समझौते को अंतिम रूप देना था। मगर कुछ मुद्दों पर मतभेद बने रहे। कृषि और डेरी दोनों पक्षों के बीच विवाद के प्रमुख क्षेत्र रहे हैं।
अमेरिका भारत पर ज्यादा बाजार खोलने के लिए दबाव डाल रहा है। दबाव के बावजूद अपने प्रस्ताव में भारत ने अभी तक राजनीतिक रूप से संवेदनशील कृषि से संबंधित कई वस्तुओं को सौदे में शामिल रखने से परहेज किया है।