ईरान और इजरायल के बीच हाल में हुए अल्पावधि के युद्ध के बाद देश की आर्थिक वृद्धि और राजकोषीय स्थिति से जुड़ा जोखिम भले ही कम हो गया हो लेकिन वित्त मंत्रालय का कहना है कि भारत को आने वाले कुछ समय तक संतुलन साधने की आदत डालनी होगी। वित्त मंत्रालय ने कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और भू-राजनीतिक संघर्षों को महंगाई के लिए ऊपरी जोखिम बताया है।
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आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग के अधिकारियों ने मई 2025 के मासिक आर्थिक समीक्षा में लिखा, ‘शुक्र है कि दोनों देशों के बीच युद्धविराम हो गया है और तेल की कीमतें तेजी से गिरी हैं। तेल की वैश्विक आपूर्ति पर्याप्त है लेकिन बीमा लागत और रणनीतिक समुद्री मार्गों के संभावित रूप से बंद होने का अनुमानित जोखिम, भारत के लिए तेल कीमतें बढ़ा सकता है। भारत के लिए इसमें जोखिम की स्थिति बन सकती है।’वित्त मंत्रालय ने वैश्विक अनिश्चितता के बीच सतर्क और आशावादी दृष्टिकोण बनाए रखते हुए कहा कि भारत कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है और भू-राजनीति ने देश को ऐसे अवसर दिए हैं जो पहले मुश्किल लगते थे।
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समीक्षा में कहा गया है, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण लेकिन रोमांचक समय हो सकता है।’ समीक्षा में निर्माण सामग्री और वाहन बिक्री जैसे क्षेत्रों में नरमी के संकेत की बात भी दर्ज की गई। मई की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है, जो मजबूत घरेलू मांग, मुद्रास्फीति के कम होते दबाव, एक लचीले बाहरी क्षेत्र और स्थिर रोजगार के हालात के समर्थन से एक अशांत वैश्विक वातावरण के बीच सामान्य बने रहने की क्षमता दिखा रहा है।’वित्त वर्ष 2025 में, भारत की वास्तविक जीडीपी 6.5 प्रतिशत बढ़ी, जो दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुरूप है। समीक्षा में कहा गया है कि यह सकारात्मक रुझान वित्त वर्ष 2026 में भी जारी रहने की संभावना है, जिसमें शुरुआती उच्च-आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि आर्थिक गतिविधि सामान्य बनी हुई है।