भारत के चालू खाता में मार्च 2025 को समाप्त तिमाही (वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.3 प्रतिशत 13.5 अरब डॉलर का अधिशेष दर्ज हुआ। भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार चालू खाते में तीन तिमाहियों में घाटे के बाद यह अधिशेष दर्ज हुआ। सेवा निर्यात की वृद्धि ने अधिशेष में मुख्य तौर पर योगदान दिया।
बीते वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही) में चालू खाते का अधिशेष 4.6 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.5 प्रतिशत) था। दिसंबर, 2024 की तिमाही की समाप्ति पर चालू खाते का घाटा (सीएडी) 11.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.1 प्रतिशत) था। वित्त वर्ष 25 में चालू खाते का घाटा सुस्त होकर 23.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.6 प्रतिशत) था जबकि यह वित्त वर्ष 24 में 26 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.7 प्रतिशत) था।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने बताया कि चालू खाते के संतुलन ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में उम्मीद के अनुरूप मौसमी अधिशेष दर्शाया। यह इस तिमाही में प्राथमिक आय की निकासी में अप्रत्याशित गिरावट के बीच हमारी अपेक्षाओं से अधिक रहा। इसके चलते वित्त वर्ष 25 में चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 0.6 प्रतिशत हो गया जबकि यह वित्त वर्ष 24 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.7 प्रतिशत था। रिजर्व बैंक ने तिमाही रुझानों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही मं2 शुद्ध सेवा प्राप्तियां बढ़कर 53.3 अरब डॉलर रहीं, जो एक साल पहले (42.7 अरब डॉलर) थीं। इसने चौथी तिमाही के दौरान चालू खाते के संतुलन के अधिशेष में योगदान दिया।
वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में वस्तु व्यापार घाटा बढ़कर 59.5 अरब डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में 52.0 अरब डॉलर था। हालांकि, यह पिछली तिमाही के 79.3 बिलियन डॉलर से सुस्त था।
प्राथमिक आय खाते से शुद्ध निकासी मुख्य तौर पर निवेश आय के भुगतान को प्रदर्शित करती है और यह वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में सुस्त होकर 11.9 अरब डॉलर हो गई जबकि यह एक वर्ष पूर्व 14.8 अरब डॉलर थी। निजी हस्तांतरण प्राप्तियां मुख्य रूप से विदेशों में कार्यरत भारतीयों के धन भेजने को दर्शाती है। रिजर्न बैंक के अनुसार निजी हस्तांतरण प्राप्तियां बढ़कर 33.9 अरब डॉलर हो गई जबकि यह एक साल पहले 31.3 अरब डॉलर थी।
रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में कहा कि वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 8.8 अरब डॉलर की वृद्धि हुई, जो वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में 30.8 अरब डॉलर से काफी कम है।
रिजर्वब बैंक के आंकड़ों से पता चला है कि वित्त वर्ष 24 में 63.7 अरब डॉलर की वृद्धि के मुकाबले वित्त वर्ष 25 में 5.0 अरब डॉलर की कमी आई है।
इक्रा ने चालू खाते के भविष्य के दायरे के बारे में उम्मीद जताई है कि जून 2025 ( वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही) को समाप्त होने वाली मौजूदा तिमाही में चालू खाता फिर से घाटे में आ जाएगा, जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.3 प्रतिशत होगा। पुन: घाटे में आने की आशंका का कारण यह है कि वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही के मुकाबले वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में वस्तु व्यापार घाटे के बढ़ने और सेवा व्यापार अधिशेष में कमी आ सकती है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत का चालू खाता घाटा मौजूदा वित्त वर्ष 26 में सकल घरेलू उत्पाद का औसतन 1% रहने का अनुमान है, जो वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद प्रबंधनीय है। यह स्तर राजकोषीय वर्ष के लिए कच्चे तेल की औसत कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल पर आकलन करता है।