India Petroleum Exports: भारत के पेट्रोलियम उत्पादों के पारंपरिक खरीदारों जैसे नीदरलैंड, फ्रांस, इंडोनेशिया ने अपने आयात में कटौती शुरू कर दी है। वहीं भारत ने अपने निर्यात में विविधीकरण करते हुए अब जॉर्डन, हॉन्गकॉन्ग और स्पेन जैसे नए देशों में अपना रिफाइंड पेट्रोलियम भेजना शुरू कर दिया है।
इस साल जनवरी में डॉनल्ड ट्रंप के पदभार संभालने के बाद अमेरिका ने भारत पर सस्ते रूसी कच्चे तेल की खरीद को रोकने के लिए दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 7 अगस्त को रूसी तेल खरीदने के कारण भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगा दिया था, जो 27 अगस्त से लागू हो गया और इस तरह से भारत पर कुल अमेरिकी शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत पर पहुंच गया।
अमेरिका ने यूरोपीय संघ से भारत पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने को भी कहा है और साफतौर पर उसके सदस्य देशों को भारतीय पेट्रोलियम उत्पाद खरीदने से हतोत्साहित किया जा रहा है।
वाणिज्य विभाग द्वारा जारी किए गए अलग-अलग आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान भारत के पेट्रोलियम उत्पादों के शिपमेंट में मात्रा के हिसाब से 5.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। भारत के कुल निर्यात में पेट्रोलियम उत्पादों की हिस्सेदारी भी वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में घटकर 13.8 प्रतिशत रह गई है, जो वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में 17.1 प्रतिशत थी।
चालू वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों के लिए भारत के सबसे बड़े केंद्र नीदरलैंड ने भारत से आयात की मात्रा में 20.4 प्रतिशत की कटौती की। नीदरलैंड में रोटरडम का बंदरगाह यूरोप के ट्रांस-शिपमेंट और स्टोरेज हब के रूप में कार्य करता है, जहां से रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों को यूरोपीय देशों में आपूर्ति की जाती है। वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही के दौरान ऊर्जा आयात में सबसे अधिक कमी फ्रांस (-85 प्रतिशत), इंडोनेशिया (-81.1 प्रतिशत), ब्रिटेन (-50.1 प्रतिशत), मलेशिया (-43.2 प्रतिशत) और दक्षिण अफ्रीका (-22.3 प्रतिशत) जैसे देशों में आई है।
बहरहाल इन परंपरागत देशों को होने वाले निर्यात में कमी को देखते हुए भारत ने अन्य देशों में निर्यात करने की कवायद शुरू कर दी, जिसका उत्साहजनक परिणाम आया है। वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में भारत ने जॉर्डन (18086 प्रतिशत), हॉन्गकॉन्ग (17006 प्रतिशत), स्पेन (13436 प्रतिशत), फिलीपींस (2235 प्रतिशत) और नामीबिया (1068 प्रतिशत) को निर्यात तेजी से बढ़ाया और पारंपरिक देशों में निर्यात में आई कमी की भरपाई करने की कोशिश की। इस दौरान चीन (145 प्रतिशत) और अर्जेंटीना (110 प्रतिशत) ने भी भारत से अपने ऊर्जा आयात को दोगुने से अधिक कर दिया।
यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को समाप्त कराने की कवायद के तहत अमेरिका ने पिछले महीने एक नया प्रयास किया। उसने रूस के सबसे बड़े तेल उत्पादकों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध दिए। इस कदम से रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और नायरा एनर्जी सहित भारत के निजी रिफाइनरों द्वारा तेल की खरीद प्रभावित होने की उम्मीद है। हालांकि व्यापारियों के माध्यम से रूस का कच्चा तेल खरीदने वाली सरकारी रिफाइनिंग कंपनियों के ऊपर इस फैसले का फिलहाल कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है।
एक रिफाइनरी के अधिकारी ने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर कहा, ‘निजी कंपनियां रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर सतर्क रही हैं। इसीलिए कंपनियों ने व्यापार मार्ग बदल दिए होंगे। पहले उनके उत्पाद यूरोप जा रहे थे, लेकिन अब क्षेत्र अधिक संवेदनशील होता जा रहा है, जिससे कंपनियां अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका की ओर रुख कर रही हैं।’
भारत की प्रमुख तेल शोधन कंपनियों में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) जैसी सरकारी कंपनियां ज्यादातर घरेलू बाजार में आपूर्ति करती हैं। वहीं निजी क्षेत्र की आरआईएल (आरआईएस) और नायरा पेट्रोलियम उत्पाद निर्यात करती हैं।