भारतीय मूल के 34 वर्षीय जोहरान ममदानी ने मंगलवार को न्यूयॉर्क सिटी के मेयर चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की। उन्होंने अपने विजयी भाषण के दौरान पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के शब्दों का उल्लेख करते हुए कहा कि शहर ‘पुराने से नए’ युग की ओर बढ़ रहा है। ममदानी ने रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लिवा तथा दिग्गज नेता एवं न्यूयॉर्क के पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो को हराया। कुओमो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे और अंतिम समय में उन्हें ट्रंप ने समर्थन दिया था।
ममदानी प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्माता मीरा नायर और कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर महमूद ममदानी के पुत्र हैं। ममदानी का जन्म युगांडा में हुआ था। चुनाव में शानदार जीत के साथ ही वह अमेरिका के सबसे बड़े शहर में मेयर बनने वाले पहले दक्षिण एशियाई और मुस्लिम व्यक्ति बन गए हैं। ममदानी की ऐतिहासिक जीत को 84 लाख से अधिक की आबादी वाले इस शहर के प्रशासनिक कामकाज में प्रगतिशील राजनीति की वापसी के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने श्रमिक वर्ग के मुद्दों को प्राथमिकता देने का संकल्प जताया है। ममदानी ने न्यूयॉर्क में रहने को किफायती बनाने के लिए मुफ्त बाल देखभाल, मुफ्त बस सेवाएं और सरकार द्वारा संचालित किराने की दुकानों जैसी पहल का प्रस्ताव रखा है।
न्यूयॉर्क मेयर के चुनाव में कुल 83 प्रतिशत मतदान हुआ। इनमें ममदानी को 50.6 प्रतिशत वोट (9,48,202) मिले। कुओमो को 7,76,547 वोट (41.3 प्रतिशत) प्राप्त हुए जबकि स्लिवा को मात्र 1,37,030 वोट हासिल हुए।
ममदानी के आधिकारिक प्रोफाइल के अनुसार, उन्होंने ‘फोरक्लोजर प्रिवेंशन हाउसिंग काउंसलर’ के रूप में काम किया, जहां उन्होंने क्वींस क्षेत्र में कम आय वाले रंगभेद से प्रभावित लोगों को उनके घरों से बेदखल होने से बचाने में मदद की। अपने इस काम के दौरान ममदानी को राजनीति में आने की प्रेरणा मिली। वर्ष 2020 में वह पहली बार न्यूयॉर्क विधान सभा के लिए चुने गए और 36वें असेंबली जिले का प्रतिनिधित्व किया।
ममदानी ने चुनाव में जीत के बाद आधी रात को ही डाउनटाउन ब्रुकलिन स्थित ‘ब्रुकलिन पैरामाउंट’ में अपने हजारों समर्थकों के सामने जोशीले विजयी भाषण में कहा, ‘भविष्य हमारे हाथों में है। दोस्तों, हमने एक राजनीतिक वंश को उखाड़ फेंका है।’
ममदानी ने अपने भाषण में ट्रंप को चुनौती दी, जिन्होंने राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में प्रवासन मामले में कड़ी कार्रवाई शुरू की है। उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क को प्रवासियों द्वारा चलाया जाएगा और उनकी ऐतिहासिक जीत के साथ इसका ‘नेतृत्व भी एक प्रवासी’ करेगा।
ममदानी की जीत का राजनीतिक महत्त्व इसलिए भी बढ़ गया है, क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप मूल रूप से न्यूयॉर्क से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने लोगों से लगातार अपील की थी कि वे डेमोक्रेटिक-सोशलिस्ट को वोट न दें। ममदानी की जीत के साथ न्यूयॉर्क शहर और अमेरिका में एक नए राजनीतिक व वैचारिक दौर की शुरुआत हो गई है। अब एक लोकतांत्रिक व समाजवादी विचारधारा का व्यक्ति उस शहर की बागडोर संभालने जा रहा है, जहां पूंजीवाद का दबदबा रहा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि चुनाव प्रचार से उनकी अनुपस्थिति और ‘शटडाउन’ के कारण रिपब्लिकन पार्टी मंगलवार का मेयर चुनाव हार गई। जनवरी में राष्ट्रपति ट्रंप के व्हाइट हाउस में लौटने के बाद पहले बड़े चुनाव में डेमोक्रेट का दबदबा रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ’ पर पोस्ट में कहा, ‘चुनाव विश्लेषकों के अनुसार, ‘ट्रंप का चुनाव प्रचार में नहीं उतरना और ‘शटडाउन’, दो कारण थे, जिसके चलते रिपब्लिकन चुनाव हार गए।’
भारतीय मूल के ममदानी प्रसिद्ध फिल्मकार मीरा नायर और कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर महमूद ममदानी के पुत्र हैं। उनका जन्म व पालन-पोषण युगांडा की राजधानी कंपाला में हुआ। वह 7 वर्ष की आयु में अपने परिवार के साथ न्यूयॉर्क शहर आ गए थे।
ममदानी ने वर्ष 2018 में अमेरिकी नागरिकता प्राप्त की थी। यहां ‘ब्रॉन्क्स हाई स्कूल ऑफ साइंस’ से पढ़ाई की और बॉडविन कॉलेज से एफ्रीकाना स्टडीज में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। पद्यम भूषण से सम्मानित 68 वर्षीय मां मीरा नायर का जन्म ओडिशा के राउरकेला में हुआ था।
उन्होंने सलाम बॉम्बे, मिसीसिपी मसाला, मॉनसून वेंडिंग, द नेमसेक जैसी कई चर्चित फिल्में बनाई और निर्देशित की, जिन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले। भारतीय जड़ों की झलक ममदानी के भाषण और उसके बाद भी दिखी जब विजयी भाषण के पूरा होते ही मंच हॉल में बॉलीवुड की 2004 में आई फिल्म धूम का गाना ‘धूम मचा ले…’ गूंज उठा।
ममदानी ने न्यूयॉर्क शहर की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत की बात करते हुए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू के 1947 में दिए भाषण का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘आपके सामने खड़े होकर मुझे जवाहरलाल नेहरू के शब्द याद आते हैं- इतिहास में कभी-कभी ऐसा क्षण आता है जब हम पुराने से नए युग में कदम रखते हैं, जब एक युग समाप्त होता है और जब किसी राष्ट्र की लंबे समय से दबाई गई आत्मा को अभिव्यक्ति मिलती है।’