आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल अब कमोबेश हर क्षेत्र में बढ़ रहा है तो भारतीय मौसम विभाग भी पीछे नहीं रहा है। विभाग ने मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए एआई के कई मॉडल इस्तेमाल करने शुरू कर दिए हैं मगर इस बात की हिचक बरकरार है कि एआई इसमें कितना कारगर रहेगा। मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने यह चिंता जताई है।
मौसम विभाग पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन काम करता है और मंत्रालय ने मौसम विभाग, पुणे के भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय मध्यम श्रेणी पूर्वानुमान केंद्र और अन्य संस्थानों से प्रतिभाशाली लोगों को लेते हुए विशेषज्ञों की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाई है, जो पूर्वानुमान के मॉडलों में एआई के इस्तेमाल जैसे जरूरी मसले पर विचार-विमर्श करेगी।
मौसम विभाग ने अपने यहां भी एक समिति का गठन किया है, जो एआई के जरिये पूर्वानुमान पर काम करेगी और उन समस्याओं को भी देखेगी, जिनमें एआई से मदद मिल सकती है। विभाग संचार के लिए चैटजीपीटी जैसा ही एक ऐप्लिकेशन तैयार करने के लिए एआई की मदद ले रहा है। इसके अलावा कई भाषाओं में मौसम का पूर्वानुमान देने वाले ऐप्लिकेशन ‘भाषिणी’ में भी एआई का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। भाषिणी मौसम के पूर्वानुमान को अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार कर देती है।
महापात्र ने हाल ही में बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमने आईआईटी, आईआईएम जैसे कई सार्वजनिक और निजी शोध संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी भी की है ताकि उनके साथ मिलाकर एआई के जरिये काम करने वाले मॉडल या ऐप्लिकेशन तैयार किए जा सकें।’ उन्होंने यह भी बताया कि मौसम विभाग यूरोपियन सेंटर फॉर वेदर फोरकॉस्टिंग जैसी यूरोपीय एजेंसियों के पास मौजूद एआई मौसम पूर्वानुमान मॉडलों समेत कई मॉडलों का अध्ययन कर रहा है और उन्हें अपने काम में इस्तेमाल करने की कोशिश भी कर रहा है।
विभाग इस समय हीट फैक्टर की गणना और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के मार्ग का पता लगाना जैसे रोजमर्रा के छोटे-मोटे कामों में भी एआई का इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन महापात्र स्वीकार करते हैं, ‘एआई के ये बहुत छोटे-मोटे इस्तेमाल हैं। वर्षा, तापमान, हवा की रफ्तार या किसी अन्य घटना या पैमाने का पूर्वानुमान लगाने के एआई से चलने वाला कोई राष्ट्रीय, वैश्विक या क्षेत्रीय मॉडल अभी तक तैयार नहीं हो पाया है, जिसे हम भौतिक मॉडल के तौर पर इस्तेमाल कर सकें। मगर मंत्रालय इन्हें तैयार कर रहा है।’
उन्होंने यह भी माना कि भारत में पूरी तरह एआई के जरिये मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाला मॉडल कब तक तैयार होगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता। उन्होंने केवल इतना कहा कि ऐसा मॉडल तैयार करने का प्रयास अभी चल रहा है। मगर महापात्र के मुताबिक यह समस्या केवल भारत में नहीं है बल्कि चीन या यूरोप के किसी देश में कहीं भी ऐसा उदाहरण नहीं मिलता, जिसमें मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए पूरी तरह एआई पर भरोसा किया जा रहा हो। अभी तो कहीं भी भौतिक मॉडल को हटाकर एआई मॉडल तैनात नहीं किया गया है।