Jio IPO: रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलीकॉम कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड को लेकर इनवेस्टमेंट बैंकरों ने 130 अरब डॉलर से 170 अरब डॉलर तक के वैल्यूएशन का प्रस्ताव दिया है। अगर ऐसा हुआ, तो यह भारत के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ साबित हो सकता है। ये जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है।
अगर जियो को 170 अरब डॉलर का वैल्यूएशन मिलता है, तो यह भारती एयरटेल लिमिटेड (₹12.7 ट्रिलियन) से आगे निकल जाएगी और भारत की शीर्ष दो या तीन कंपनियों में शामिल होगी। फिलहाल रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो मुकेश अंबानी के नियंत्रण में है, लगभग ₹20 ट्रिलियन की मार्केट वैल्यू पर सबसे आगे है। सूत्रों के अनुसार, इनवेस्टमेंट बैंकरों के प्रस्ताव 130 अरब डॉलर से 170 अरब डॉलर के बीच हैं। बातचीत अभी जारी है, इसलिए अंतिम निर्णय फिलहाल तय नहीं हुआ है।
अंबानी ने अगस्त में कहा था कि जियो की लिस्टिंग 2026 की पहली छमाही में हो सकती है। उन्होंने इस योजना का जिक्र पहली बार 2019 में किया था। 2020 में मेटा प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक) और अल्फाबेट (गूगल) ने जियो में मिलाकर 10 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया था, जिससे कंपनी की वैल्यू तेजी से बढ़ी।
यह रिलायंस समूह का पहला बड़ा आईपीओ होगा, जब से रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड ने 2006 में बाजार में प्रवेश किया था। पहले अनुमान था कि जियो का आईपीओ 6 अरब डॉलर से अधिक जुटा सकता है, जो 2024 में ह्युंडई मोटर इंडिया लिमिटेड के 3.3 अरब डॉलर के रिकॉर्ड से बड़ा होता। हालांकि, भारतीय बाजार के नए नियमों के कारण अब यह राशि घटकर लगभग 4.3 अरब डॉलर रह सकती है।
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नए नियमों के तहत, जिन कंपनियों की लिस्टिंग के बाद मार्केट वैल्यू ₹5 ट्रिलियन से अधिक होती है, उन्हें कम से कम ₹15,000 करोड़ के शेयर बाजार में बेचने होंगे और सिर्फ 2.5% हिस्सेदारी ही सार्वजनिक करनी होगी।
सितंबर 2025 के अंत तक जियो के पास 506 मिलियन (50.6 करोड़) ग्राहक थे। जियो का औसत प्रति उपयोगकर्ता राजस्व (ARPU) ₹211.4 था, जबकि भारती एयरटेल का एआरपीयू ₹256 रहा।
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रिलायंस के डिजिटल सर्विसेज बिजनेस ने जुलाई-सितंबर तिमाही में 17% सालाना बढ़ोतरी दर्ज की। इसका मुख्य कारण जियो के 5G नेटवर्क का विस्तार और बढ़ती सब्सक्राइबर संख्या रही। यही वजह है कि जियो का प्रस्तावित वैल्यूएशन इतना ऊंचा माना जा रहा है। रिलायंस की ओर से फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है। (ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)