जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र की वरिष्ठ प्रोफेसर और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में उप प्रबंध निदेशक (Deputy Managing Director) रहीं ऐनी क्रुएगर ने रुचिका चित्रवंशी से भारत की वृद्धि के विभिन्न पहलुओं पर बात की। प्रमुख अंश…
स्वाभाविक रूप से आईएमएफ ने जो कहा, वही मेरे भी विचार हैं। सामान्य की तुलना में परिदृश्य ज्यादा अनिश्चित है। इसे लेकर कोई संदेह नहीं है। दुनिया में जो होता है, उसका असर भारत और भारत की गतिविधियों का असर शेष दुनिया पर पड़ता है।
भारत का इस समय जो प्रदर्शन है,उससे बहुत बेहतर कर सकता है, अगर आर्थिक नीतियों व अन्य चीजों को व्यवस्थित कर ले। अगर ऐसा किया जाता है तो भारत सर्वाधिक सफल देशों में होगा। निश्चित रूप से ऐसा हो सकता है।
भारत की उत्पादन से जुड़़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को लेकर आपकी क्या राय है?
सामान्य रूप से देखें तो भारत सरकार ने इस तरह के तमाम काम किए हैं। इसके बजाय सरल, सीधा और सबके लिए समान अवसर दिया जाना बेहतर होगा।
भारत ने इलेक्ट्रॉनिक सामान के लिए आयात लाइसेंस का प्रावधान किया है, इन प्रतिबंधों के बारे में आपका क्या कहना है?
मेरा मानना है कि प्रतिबंध नहीं होने चाहिए। इसका अक्सर कोई असर नहीं होता। पहले ही बहुत देरी हो चुकी है। बंदरगाहों व अन्य जगहों तेजी लाने और व्यवस्था को और कुशल बनाने की ज्यादा जरूरत है।
अगर चीन में गंभीर और लंबी मंदी आती है तो शेष दुनिया की वृद्धि भी ज्यादा सुस्त होगी। चीन की तेज वृद्धि हम सबके लिए बेहतर है। चीन की वृद्धि से चिंतित होने की वजह नहीं है।
माइक्रोसॉफ्ट बीते 10 सालों से शिफ्ट करने का प्रयास कर रहा है। अब तक कितना शिफ्ट किया है? ज्यादा नहीं। भारत में नौकरशाही बहुत धीमी गति से काम करती है। भारत में मंजूरी की प्रक्रिया बहुत धीमी है। ऐसा अन्य देशों में नहीं होता है।