वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में सार्वजनिक खर्च कम रहने के बाद सरकार को साल के बाकी बचे महीनों में खर्च में तेजी आने की उम्मीद है। वित्त मंत्रालय की अगस्त की मासिक आर्थिक समीक्षा में यह उम्मीद जताने के साथ वाहन और एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री पर नजर रखने की जरूरत भी बताई गई थी क्योंकि पहली तिमाही में बिक्री सुस्त रही।
समीक्षा में कहा गया है, ‘सार्वजनिक व्यय बढ़ रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो रही है। इसीलिए आने वाली तिमाहियों में भी कुल वृद्धि में तेजी बनी रहने की उम्मीद है। हालांकि शहरी खपत में नरमी के संकेत दिख रहे हैं और चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों में वाहनों की बिक्री पिछले साल अप्रैल से अगस्त की बिक्री के मुकाबले घटी है।’
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कल अपना छमाही एशियाई विकास अनुमान (एडीओ) जारी किया, जिसमें उसने वित्त वर्ष 2024-25 में पूंजीगत व्यय का लक्ष्य पूरा करने में सरकार की ‘विफलता’ को गिरावट का जोखिम बताया।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘पूंजीगत खर्च का तय लक्ष्य हासिल करने के लिए केंद्र सरकार को वित्त वर्ष के बाकी बचे 9 महीनों में पूंजीगत खर्च में सालाना आधार पर 39 फीसदी की तेजी लाने की जरूरत है, जो थोड़ा कठिन हो सकता है।’
समीक्षा में कहा गया है कि दुनिया भर में तेजी आने के कारण बाजार में गिरावट का जोखिम बढ़ गया है और गिरावट आई तो इसका असर पूरी दुनिया में दिख सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि तेल की कम कीमतें अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक आर्थिक संभावनाओं में लगातार बनी अनिश्चितता से पार पाना वृहद आर्थिक मोर्चे पर चुनौती है।
समीक्षा में कहा गया, ‘विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका और भू-राजनीतिक संघर्षों के बीच हमें पूरी दुनिया में नीतिगत दरों में कटौती का सिलसिला दिख सकता है।’
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 6.7 फीसदी वृद्धि हुई और आगस्त तक उच्च आवृत्ति वाले संकेतक भी ठीक रहे। इन्हें देखते हुए वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2025 में 6.5 से 7 फीसदी वृद्धि का अपना अनुमान बरकरार रखा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें गिरने के बाद भी वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में भारत से वस्तुओं का निर्यात पिछले साल पांच महीनों की तुलना में मामूली ही बढ़ पाया है।
वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि वैश्विक बाजार में मांग कमजोर बनी हुई है।’ यात्री वाहनों की बिक्री में कमी और अनबिके वाहनों के बढ़ते स्टॉक का हवाला देते हुए मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि कुछ क्षेत्रों में सुस्ती के संकेत दिख रहे हैं।