सरकार जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रस्तावित सार्वजनिक आरंभिक निर्गम के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की और समीक्षा और सरलीकरण की दिशा में काम कर रही है। यह जानकारी आज उद्योग और आंतरिक संवद्र्घन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अनुराग जैन ने दी। इस पर अंतिम निर्णय कैबिनेट करेगी।
उद्योग विभाग वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) और निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के साथ मिलकर देसी स्टॉक एक्सचेंजों में जीवन बीमाकर्ता को सफलतापूर्वक सूचीबद्घ करने की दिशा में काम कर रहा है। दोनों विभागों ने संकेत दिया कि एफडीआई नीति अपने मौजूदा स्वरूप में प्रस्तावित निवेशकों के लिए उत्पादक नहीं हो सकते हैं। जैन ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम एफडीआइ नीति को और अधिक सरल करने पर काम कर रहे हैं। एलआईसी के विनिवेश के लिए ऐसा करना तत्काल जरूरी है। हम दो दौर की वार्ता कर चुके हैं। हम उन बदलावों को एफडीआई नीति में शामिल कर मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में हैं। इसके बाद इसे कैबिनेट के पास भेजा जाएगा।’
फिलहाल, अधिकांश भारतीय बीमा कंपनियों में 74 फीसदी तक एफडीआई की अनुमति है। हालांकि, यह नियम एलआईसी पर लागू नहीं होता है क्योंकि यह एक विशेष संस्था है जिसे संसद में कानून बनाकर लाया गया था। भारतीय रिजर्व बैंक एफडीआई को किसी सूचीबद्घ कंपनी में ऐसी हिस्सेदारी की खरीद के तौर पर परिभाषित करता है जो किसी व्यक्ति या विदेश में स्थित कंपनी द्वारा या 10 फीसदी या उससे बड़ा निवेश या किसी असूचीबद्घ कंपनी में कोई विदेशी निवेश हो।