भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) से मिले भारी भरकम लाभांश की बदौलत मई में राजस्व 1.6 लाख करोड़ रुपये बढ़ने से केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष अप्रैल-मई में कम होकर अंतरिम बजट अनुमानों का 3 प्रतिशत रह गया। यानी अप्रैल-मई अवधि में राजकोषीय घाटा या व्यय और राजस्व में अंतर कम होकर लगभग 50,000 करोड़ रुपये रह गया।
पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 11.8 प्रतिशत (2.1 लाख करोड़ रुपये) रुपये रहा था। शुक्रवार को महालेखा परीक्षक (सीजीए) ने ये आंकड़े जारी किए। वित्त वर्ष 2024 के लिए आरबीआई ने केंद्र सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपये लाभांश के रुप में दिए हैं।
सरकार के लिए राजस्व के आंकड़े भी व्यय से अधिक रहे। सीजीए के अनुसार अधिक राजस्व मिलने से सरकार के पास 90,923 करोड़ रुपये अधिशेष रकम जमा हो गई। कर राजस्व में इजाफा और आरबीआई से मिले भारी भरकम लाभांश के दम पर राजस्व प्राप्ति बजट में अनुमानित आंकड़े का अप्रैल-मई अवधि में 19 प्रतिशत तक पहुंच गया। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह लगभग 15 प्रतिशत रहा था।
सरकार ने चालू वित्त के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। उम्मीद से अधिक कर राजस्व के दम पर सरकार वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.6 प्रतिशत तक सीमित करने में सफल रही। सरकार वित्त वर्ष 2025-26 तक इसे और कम कर 4.5 प्रतिशत तक समेटना चाहती है।
वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा 16.54 लाख करोड़ रुपये रहा था, जबकि बजट अनुमान 17.86 लाख करोड़ रुपये था। इन आंकड़ों पर इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘आरबीआई से मिली रकम और कुछ हद तक कर प्राप्तियों से राजस्व में हुई बढ़ोतरी से सरकार के पास अब व्यय को बढ़ावा देने और राजकोषीय स्थिति तेजी से मजबूत करने की गुंजाइश बढ़ गई है।’