facebookmetapixel
विश्व हृदय दिवस 2025: अब सिर्फ बुजुर्गों को नहीं, युवाओं को भी हार्ट अटैक का खतराIRCTC Ticket Booking: दिवाली पर घर जानें की तैयारी? जानें एक महीने में कितनी बार बुक कर सकते हैं ट्रेन टिकट₹30,000 करोड़ के बंपर ऑर्डर से चमकेगा Defence PSU स्टॉक, मोतीलाल ओसवाल ने कहा- ₹490 तक भरेगा उड़ानएयरपोर्ट फ्रेमवर्क को उड़ान से पहले झटकाOctober Bank Holidays List: त्योहारी मौसम में बैंक बंद! जानें कब-कब रहेगी छुट्टी; देखें RBI की हॉलिडे लिस्टकेबल एंड वायर सेक्टर के इन 2 स्टॉक्स पर रखें नजर, दमदार ग्रोथ आउटलुक पर मोतीलाल ओसवाल बुलिशउत्तर प्रदेश में 34,000 करोड़ रुपये के रक्षा और एयरोस्पेस निवेश दर्जकेंद्र ने संसदीय समितियों का कार्यकाल दो साल करने का दिया संकेतशैलेश चंद्रा होंगे टाटा मोटर्स के नए एमडी-सीईओ, अक्टूबर 2025 से संभालेंगे कमानदिल्ली बीजेपी का नया कार्यालय तैयार, PM Modi आज करेंगे उद्घाटन; जानें 5 मंजिला बिल्डिंग की खास बातें

एयरपोर्ट फ्रेमवर्क को उड़ान से पहले झटका

एयरपोर्ट ऑपरेटरों और एएआई ने एईआरए के प्रस्तावित सेवा गुणवत्ता मानकों पर जताई आपत्ति

Last Updated- September 29, 2025 | 11:37 AM IST
Airport
Representational Image

आसमान से जुड़े मसले जमीन पर भी हलचल मचा रहे हैं। एयरपोर्ट ऑपरेटरों ने नियामक की उस पहल का विरोध किया है, जिसमें सभी हवाई अड्डों पर समान सेवा गुणवत्ता मानकों को लागू करने की बात कही गई है। मामला तब शुरू हुआ जब एयरपोर्ट्स इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Aera) ने 18 अगस्त को एक ड्राफ्ट कंसल्टेशन पेपर जारी किया, जिसमें भारतीय हवाई अड्डों पर सेवा की गुणवत्ता, निरंतरता और विश्वसनीयता के लिए राष्ट्रीय ढांचे का प्रस्ताव दिया गया।

पहली नजर में एईआरए का यह मसौदा सामान्य लग सकता है, लेकिन ऑपरेटरों का कहना है कि अगर यह लागू हुआ तो संचालन में भारी व्यवधान आ सकता है। उनका तर्क है कि प्रस्तावित फ्रेमवर्क में अव्यावहारिक प्रावधान, असमान दंड, संभावित वित्तीय व संविदात्मक विवाद और राजस्व पर बड़ा असर छिपा है।

उनकी चिंताएं कई स्तरों पर हैं — जैसे 24 घंटे में सभी यात्री शिकायतें अपलोड करने की अनिवार्यता, असंभव लगने वाले बैगेज डिलीवरी टाइमलाइन, व्हीलचेयर सहायता की चुनौतियां, पीक-आवर परफॉर्मेंस मेंट्रिक्स पर जोर, असंतुलित दंड और प्रोत्साहन प्रणाली, ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स पर अस्पष्ट नियम, और कैटरिंग व ग्राउंड हैंडलिंग जैसी थर्ड-पार्टी सेवाओं की जवाबदेही। मसौदे में कहा गया है कि यदि सेवा में कमी पाई जाती है तो यात्रियों से वसूले जाने वाले यूजर डेवलपमेंट फीस (UDF) में छूट दी जाएगी और मानक से अधिक प्रदर्शन पर मामूली प्रोत्साहन।

32 मापने योग्य और 18 गुणात्मक मानक

प्रस्तावित ढांचा 32 मापने योग्य और 18 गुणात्मक पैमानों को तय करता है, जिनमें बैगेज डिलीवरी, सुरक्षा व इमीग्रेशन जांच की गति, विमान से टर्मिनल तक पहुंचने का समय, और लिफ्ट, एस्केलेटर, ट्रैवलेटर, मेडिकल सुविधाएं, व्हीलचेयर, बेबी केयर रूम, एयरोब्रिज और वाई-फाई की उपलब्धता और गुणवत्ता शामिल हैं। प्रदर्शन की निगरानी मासिक सर्वे के जरिये होगी, जिससे मानक लागू करने योग्य और सत्यापित बनेंगे।

10 सितंबर को हुई एक बैठक में एयरलाइंस, एयरपोर्ट ऑपरेटर, डीजीसीए, सीआईएसएफ और क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया मौजूद थे। Aera चेयरपर्सन एसकेजी रहाटे ने कहा कि चूंकि एयरपोर्ट डेवलपमेंट का खर्च यात्रियों से वसूले गए UDF से होता है, इसलिए सुविधाओं में “निरंतर सुधार” सुनिश्चित करना जरूरी है।

AAI की आपत्तियां

एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI), जो 100 से अधिक हवाई अड्डे चलाती है, ने कहा कि इतने विविध पोर्टफोलियो पर एक समान मानक लागू करना संभव नहीं है।

AAIअधिकारी खुर्रम नसीम ने कहा कि 24 घंटे में सभी शिकायतें अपलोड करने की अनिवार्यता अव्यावहारिक है क्योंकि शिकायतें खुद यात्रियों द्वारा दर्ज की जानी होती हैं। उन्होंने कहा कि छोटे हवाई अड्डों पर बैट्री कार (बग्गी) सेवाओं की जरूरत नहीं है और घरेलू यात्रियों के लिए मोबाइल डेटा की मौजूदगी में वाई-फाई अनिवार्य नहीं है।

एक अन्य अधिकारी, विक्रम सिंह, ने सुझाव दिया कि समयबद्ध प्रक्रियाओं पर ही निर्भर रहने की बजाय चेक-इन काउंटर जैसी इन्फ्रास्ट्रक्चर-आधारित मानक तय किए जाएं। उन्होंने चेन्नई एयरपोर्ट का उदाहरण दिया, जहां दूरस्थ स्टैंड से 15 मिनट में बैगेज ट्रांसफर व्यावहारिक नहीं है।

उन्होंने एयरोब्रिज आवंटन नियमों पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह एयरलाइन अनुरोधों पर निर्भर करता है। मेडिकल सुविधाओं पर उन्होंने कहा कि Aera को अंतरराष्ट्रीय मानकों (ICAO) के अनुरूप केवल फर्स्ट एड और रेफरल सेवाओं को अनिवार्य करना चाहिए।

निजी ऑपरेटरों की नाराजगी

दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे बड़े हवाई अड्डों को चलाने वाले निजी ऑपरेटरों ने और भी तीखे स्वर में आपत्ति जताई।

अदाणी एयरपोर्ट्स ने कहा कि दंड-प्रोत्साहन ढांचा असंतुलित है। उनके प्रतिनिधि आशु मदान ने बताया कि दंड UDF का 5 फीसदी तक हो सकता है जबकि प्रोत्साहन केवल 1.25 फीसदी तक सीमित है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रोत्साहन नकद में दिया जाए।

मदान ने फ्रेमवर्क को 2-3 साल में चरणबद्ध तरीके से लागू करने की मांग की और कहा कि तात्कालिक बदलाव संचालन को प्रभावित करेंगे। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट्स पर यह कैसे लागू होगा क्योंकि वे पहले से ही AAI के साथ हस्ताक्षरित कंसैशन एग्रीमेंट के तहत सेवा मानकों का पालन कर रहे हैं।

दिल्ली एयरपोर्ट (DIAL) के प्रतिनिधि हर्ष गुलाटी ने कहा कि पीक-आवर परफॉर्मेंस पर आधारित मापदंड परिणामों को विकृत कर देंगे और अनावश्यक कैपेक्स को बढ़ावा देंगे।

बेंगलुरु एयरपोर्ट (BIAL) ने भी यही चिंता जताई और कहा कि केवल त्योहार या छुट्टियों की भीड़ को आधार बनाने से ऑपरेटरों पर अनुचित दबाव पड़ेगा।

जीएमआर ग्रुप के के नारायण राव ने दंड-प्रोत्साहन अनुपात को अनुचित बताया और थर्ड-पार्टी सर्वे एजेंसियों की भूमिका पर स्पष्टीकरण मांगा।

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जो जल्द शुरू होने वाला है, ने अनुरोध किया कि नए हवाई अड्डों को स्थिर होने के लिए समय दिया जाए। उनकी प्रतिनिधि तृषा बेदी ने कहा कि एक मोरेटोरियम अवधि अनिवार्य होनी चाहिए।

Aera का पक्ष

  • चेयरपर्सन रहाटे ने कहा कि यह ढांचा यात्रियों को सर्वोपरि रखकर बनाया गया है और ऑपरेटरों को जिम्मेदारी लेनी होगी, भले ही सेवा में कई एजेंसियां शामिल हों।
  • उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ सुझाव जैसे ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स के लिए मोरेटोरियम और चरणबद्ध कार्यान्वयन पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पीक-ऑवर सैम्पलिंग, एयरोब्रिज आवंटन और वित्तीय असर जैसे मुद्दों पर ऑपरेटर विस्तृत लिखित स्पष्टीकरण भेजें।
  • फिलहाल मसौदे पर असहमति साफ झलक रही है। अंतिम प्रस्तुतियाँ बताएंगी कि उद्योग नए नियामकीय ढांचे के साथ तालमेल बैठा पाएगा या नहीं।

First Published - September 29, 2025 | 11:37 AM IST

संबंधित पोस्ट