दिल की बीमारी अब सिर्फ बुजुर्गों की चिंता नहीं रही। दुनिया भर में युवा और दिखने में स्वस्थ लोग भी दिल के दौरे से जान गंवा रहे हैं। लंबे कार्य घंटे, बढ़ता तनाव और असंतुलित जीवनशैली के चलते युवा पीढ़ी भी उन खतरों का सामना कर रही है जो कभी केवल बुढ़ापे से जोड़े जाते थे। विश्व हृदय दिवस 2025 याद दिलाता है कि दिल की सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, बल्कि आज की अनिवार्यता है।
हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। इसे 2000 में वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन (WHF) ने शुरू किया था, ताकि हृदय रोगों (CVDs) के बारे में जागरुकता फैलाई जा सके। ये बीमारियां दुनिया में मौत का सबसे बड़ा कारण हैं।
इस वर्ष की थीम है — “Don’t Miss the Beat!”, जो सभी लोगों तक जीवनरक्षक हृदय देखभाल पहुँचाने और 2030 तक लक्ष्य हासिल करने की अपील करता है।
भारत में शोध बताते हैं कि 20-30 की उम्र के युवाओं में दिल के दौरे के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। तनाव भरी नौकरियां, नाइट शिफ्ट्स, प्रोसेस्ड डाइट और निष्क्रिय जीवनशैली — सब मिलकर खामोशी से खतरा बढ़ाते हैं।
डॉ बिलाल थंगल टी एम, मेडिकल लीड, NURA–AI हेल्थ स्क्रीनिंग सेंटर के अनुसार: “दिल की समस्याओं में हाल के वर्षों की वृद्धि यह बताती है कि हृदय रोग अक्सर बिना किसी चेतावनी के विकसित हो सकते हैं। ज्यादातर लोग तब ध्यान देते हैं जब नुकसान गंभीर और अपूरणीय हो चुका होता है। अब केवल जागरुकता नहीं, बल्कि तुरंत कार्रवाई की जरूरत है।”
वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक, हर साल 2.05 करोड़ मौतें दिल की बीमारियों से होती हैं — कैंसर, हादसों और संक्रमणों से भी अधिक। अच्छी खबर यह है कि इन मौतों का 80 प्रतिशत जीवनशैली में बदलाव और समय पर इलाज से रोका जा सकता है।
भारत में हृदय रोग हर चार मौतों में से एक के लिए जिम्मेदार हैं। और सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि पश्चिमी देशों की तुलना में भारतीय युवाओं में हार्ट अटैक जल्दी आते हैं।
डॉ बिलाल कहते हैं: “युवाओं में दिल का दौरा तेजी से बढ़ना चिंताजनक है। नियमित चेकअप और स्क्रीनिंग से धमनियों में कैल्शियम जमा या छोटी रक्त नलिकाओं में बदलाव जैसे छिपे खतरों का पता लगाया जा सकता है।”
नहीं। जीवनशैली के साथ-साथ जेनेटिक्स यानी डीएनए की भी अहम भूमिका है। डॉ संदीप शाह, जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, न्यूबर्ग डायग्नॉस्टिक्स बताते हैं: “हृदय स्वास्थ्य केवल खानपान या तनाव पर निर्भर नहीं करता। हमारी आनुवंशिक संरचना भी उतनी ही अहम है। आज जेनेटिक टेस्टिंग से कोलेस्ट्रॉल मेटाबॉलिज्म, रिद्म एब्नॉर्मैलिटी और कुछ हृदय रोगों का पता लक्षणों से पहले ही लगाया जा सकता है।” भारत में अचानक कार्डियक अरेस्ट के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में जेनेटिक और एडवांस स्क्रीनिंग जान बचाने में मदद कर सकती है।
दिल की सुरक्षा के लिए हमेशा बड़े बदलाव ही नहीं, छोटे-छोटे रोजमर्रा के कदम भी कारगर हैं: