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केंद्र ने संसदीय समितियों का कार्यकाल दो साल करने का दिया संकेत

सांसदों की चिंता जताई थी कि एक साल का कार्यकाल गहन अध्ययन और प्रभावी रिपोर्ट तैयार करने के लिए अपर्याप्त

Last Updated- September 29, 2025 | 10:54 AM IST
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File Image

केंद्र सरकार संसदीय स्थायी समितियों का कार्यकाल एक साल से बढ़ाकर दो साल करने पर विचार कर रही है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, कई सांसदों ने कहा था कि मौजूदा एक साल की अवधि समितियों को किसी विषय की गहराई से जांच करने और ठोस सिफारिशें देने का पर्याप्त समय नहीं देती।

इस पर अंतिम निर्णय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति सी पी राधाकृष्णन से चर्चा के बाद लिया जाएगा। इन समितियों का कार्यकाल आमतौर पर सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत से शुरू होता है।

सांसदों की मांग

कई सदस्यों ने सरकार से कार्यकाल बढ़ाने का आग्रह किया ताकि समितियां गहनता से विषयों की समीक्षा कर सकें और सार्थक सिफारिशें तैयार कर सकें।

शशि थरूर का कार्यकाल बढ़ सकता है

प्रस्ताव का राजनीतिक महत्व भी है। अगर कार्यकाल बढ़ाने का फैसला हुआ तो कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जिन्हें 26 सितंबर 2024 को संसदीय स्थायी समिति (विदेश मामलों) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, एक और साल इस पद पर बने रहेंगे। यह ऐसे समय में होगा जब उनकी पार्टी नेतृत्व से दूरी की अटकलें लगती रही हैं और वे कई बार पार्टी लाइन से अलग रुख अपनाते रहे हैं।

संसदीय समितियों की संरचना

  • स्थायी समितियां नई लोकसभा के गठन के बाद राजनीतिक दलों से परामर्श कर बनाई जाती हैं।
  • अध्यक्ष पद का बंटवारा दलों की संख्या बल के आधार पर होता है। आमतौर पर एक बार चुने गए अध्यक्ष का कार्यकाल पूरी लोकसभा तक रहता है, जब तक दल खुद बदलाव न चाहे।
  • सदस्य चाहें तो समिति बदलने का अनुरोध कर सकते हैं, जिसे प्रायः स्वीकार कर लिया जाता है।
  • वर्तमान में कुल 24 विभागीय स्थायी समितियां हैं — जिनमें 8 राज्यसभा और 16 लोकसभा सदस्यों द्वारा अध्यक्षता की जाती है।
  • इसके अलावा संसद में वित्तीय समितियां, तदर्थ समितियां और अन्य पैनल भी बनाए जाते हैं ताकि विधेयकों की समीक्षा या विशेष मुद्दों की जांच हो सके।

First Published - September 29, 2025 | 10:54 AM IST

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