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कैश मार्केट में जबरदस्त उछाल: आठ महीने की ऊंचाई पर पहुंचा कारोबार

सितंबर 2024 में  यह 1.3 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई पर था। लेकिन फिर भी जून 2024 के 1.65 लाख करोड़ रुपये के ऊंचे स्तर से 28 प्रतिशत कम है।

Last Updated- May 30, 2025 | 10:11 PM IST
Rupee
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

मई में कैश मार्केट में उछाल आठ महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई। इस बाजार को इक्विटी मार्केट में हुए चौतरफा सुधार से मदद मिली। कैश मार्केट के लिए औसत दैनिक कारोबार (एनएसई और बीएसई दोनों पर संयुक्त रूप से) पिछले महीने के मुकाबले 11 प्रतिशत बढ़कर 1.19 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह सितंबर 2024 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। सितंबर 2024 में  यह 1.3 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई पर था। लेकिन फिर भी जून 2024 के 1.65 लाख करोड़ रुपये के ऊंचे स्तर से 28 प्रतिशत कम है।

विश्लेषकों के अनुसार कैश मार्केट के कारोबार में वृद्धि दो मुख्य कारणों से आई, संबंधित शेयर मूल्य में वृद्धि और निवेशक धारणा में सुधार। इसके विपरीत मई में वायदा और विकल्प यानी एफऐंडओ सेगमेंट के लिए औसत दैनिक कारोबार की मात्रा (एडीटीवी) 5 प्रतिशत घटकर 348.2 लाख करोड़ रुपये रह गई जो अप्रैल में 368.2 लाख करोड़ रुपये थी।

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टॉरस फाइनैंशियल मार्केट के मुख्य कार्याधिकारी प्रकाश गगडानी ने बताया, ‘डेरिवेटिव की मात्रा में वृद्धि की कमी का कारण इसे नियंत्रित करने के उपायों को माना जा सकता है। इसके अलावा, व्यापार प्रतिबंधों ने भी गिरावट में योगदान दिया है। पहले, बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद डेरिवेटिव वॉल्यूम बढ़ जाता था, लेकिन अब वह रुझान उलट गया है। मार्जिन और लॉट साइज में वृद्धि के साथ-साथ अस्थिरता बढ़ने से भी डेरिवेटिव वॉल्यूम में गिरावट आ रही है। पिछले छह महीनों में अस्थिरता बढ़ने के कारण ऑप्शन के खरीदारों और विक्रेताओं दोनों को नुकसान हुआ है।’

नकद कारोबार मार्च 2025 के बाद से बढ़ा है। इससे पहले फरवरी में यह 15 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया था। फरवरी में नकदी कारोबार घटकर 93,076 करोड़ रुपये पर रह गया जो नवंबर 2023 के बाद से सबसे कम था। इससे पहले नकद कारोबार पूर्ववर्ती चार महीनों में से तीन में घटा था।

नकद करोबार में हालिया वृद्धि मुख्य रूप से व्यापक बाजार में तेजी की वजह से आई है जिसे कई सकारात्मक कारकों से बढ़ावा मिला है। इनमें भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम और संभावित अमेरिकी व्यापार समझौते की उम्मीदें शामिल हैं।

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राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने टैरिफ बढ़ोतरी पर 90 दिनों की रोक  लगाई जो विशेष रूप से भारत बाजारों के लिए फायदेमंद रही। इसके अलावा, वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने से भारत सहित उभरते बाजार (ईएम) अधिक आकर्षक हो गए हैं। मई में निफ्टी इंडेक्स में 1.71 प्रतिशत की तेजी आई जबकि निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉल कैप 100 इंडेक्स में 6.1 प्रतिशत और 8.7 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई।

गगडानी ने कहा, ‘पिछले तीन महीनों में हमने सभी सूचकांकों में अच्छी तेजी देखी। गिरावट के शिकार मिडकैप और स्मॉलकैप ने सस्ते शेयरों में अच्छे अवसर मुहैया कराए। इसके अलावा विदेशी और संस्थागत निवेशक पिछले दो महीनों में शुद्ध खरीदार रहे और तेजी की इस धारणा ने छोटे निवेशकों पर भी असर डाला।’

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हालांकि, गगडानी ने अकेले नकद कारोबार के आधार पर इसे खुदरा निवेशकों की सतत वापसी या दीर्घकालिक निवेश में सुधार के संकेत के रूप में देखने के खिलाफ आगाह किया है।

गगडानी का कहना है, ‘नकद कारोबार में यह तेजी स्वभाविक से कहीं अधिक चक्रीय है। हम अभी भी अमेरिकी व्यापार शुल्कों को लेकर अनिश्चितता से जूझ रहे हैं क्योंकि 90 दिन की रोक जुलाई में समाप्त होने वाली है। कंपनियों के नतीजों में अभी तक कोई खास सुधार नहीं दिखा है। हालांकि तिमाही के लिए वे शुरू में अनुमान से बेहतर थे। इसके अलावा, मॉनसून सीजन का असर भी देखा जाना बाकी है।’

First Published - May 30, 2025 | 9:51 PM IST

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