वित्त वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट पेश किए जाने के पहले आए आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से दिसंबर 2023 के बीच केंद्र का राजकोषीय घाटा 9.8 लाख करोड़ रुपये हो गया है। बुधवार को लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक यह राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य का 55 प्रतिशत है।
राजकोषीय घाटा पिछले साल की समान अवधि के 9.9 लाख करोड़ रुपये की तुलना में थोड़ा कम है, जो पूरे साल के लक्ष्य का 59.8 प्रतिशत था।
सरकार ने घाटे को कम करके इस साल के अंत तक इसे सकल घरेलू उत्पाद के 5.9 प्रतिशत करने और वित्त वर्ष 26 तक जीडीपी का 4.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है।
सीजीए के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में कुल राजस्व प्राप्तियां लक्ष्य का 77.6 प्रतिशत रही हैं, जो पिछले साल की समान अवधि में 80.3 प्रतिशत थीं।
कर राजस्व बजट अनुमान के 74.2 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो पिछले साल 80.4 प्रतिशत था।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘इक्रा यह उम्मीद नहीं कर रही है कि वित्त वर्ष 2024 में राजकोषीय घाटा 17.9 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के पार जाएगा। बहरहाल केंद्रीय बजट में लगाए गए अनुमान की तुलना में नॉमिनल जीडीपी कम रहने के कारण राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6 प्रतिशत पर पहुंच सकता है।’
वित्त वर्ष 2024 में अप्रैल-दिसंबर के दौरान सरकार का पूंजीगत व्यय लक्ष्य का 67.3 प्रतिशत रहा है। तीसरी तिमाही में पूंजीगत व्यय 24 प्रतिशत बढ़ा है। दिसंबर 2023 में पूंजीगत व्यय पिछले साल की समान अवधि की तुलना में दोगुना बढ़कर 880 अरब रुपये हो गया।
सरकार को पूरे साल के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य हासिल करने के लिए वित्तवर्ष 2024 की चौथी तिमाही में करीब 3.3 लाख करोड़ रुपये खर्च करने हैं।
नायर ने कहा कि इक्रा को उम्मीद है कि सरकार का पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2024 के बजट अनुमान से 0.75 लाख करोड़ रुपये कम रहेगा, इसके बावजूद इसमें पिछले साल की तुलना में 26 प्रतिशत की तेज वृद्धि होगी।
केंद्र का राजस्व व्यय वित्त वर्ष 24 के अप्रैल-दिसंबर के दौरान बजट अनुमान का 68 प्रतिशत रहा है, जो पिछले साल में 72.9 प्रतिशत था।
विशेषज्ञों का कहना है कि सब्सडी और मनरेगा के कारण राजस्व व्यय वित्त वर्ष 2024 के बजट अनुमान के पार जा सकता है।