केंद्र का अनुमान है कि बुनियादी ढांचे में निजी और सार्वजनिक निवेश के लिए एक प्रतिनिधि के तौर पर सकल स्थाई पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) 2019-20 की महामारी पूर्व की अवधि को पार कर जाएगा। केंद्र ने अनुमान लगाया है कि ऐसा पूर्ण रूप से होने के साथ साथ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वास्तविक और नॉमिनल संदर्भों के हिस्से के तौर पर भी होगा।
हालांकि, विश्लेषकों के मुताबिक शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी 2021-22 के लिए जीडीपी के अग्रिम अनुमानों के हिस्से के तौर पर जीएफसीएफ पर अनुमान आशावादी हो सकता है। ऐसा इसलिए है कि पूंजीगत व्यय और बड़ी बुनियादी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का अधिकांश भार केंद्र द्वारा उठाया जा रहा है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कोविड-19 के मद्देनजर बनी हुई अनिश्चिता के कारण निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय अभी भी कमजोर है और राज्य सरकारें नई और पुरानी परियोजनाओं पर खर्च से अधिक धन स्वास्थ्य देखभाल और कल्याण योजनाओं पर करना चाहेगी और राज्यों के पूंजीगत व्यय में इजाफा किए जाने की जरूरत है।
बार्कलेज में भारत के लिए मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘पूंजीगत व्यय में केंद्र सरकार की भूमिका उचित रूप से बहुत बड़ी है खासकर यदि इस बात पर विचार करें कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार महामारी से पूर्व ही धीमी पड़ गई थी। राज्य सरकारों के राजकोषीय तनाव को देखते हुए पता चलता है कि राज्य की पूंजीगत व्यय योजनाएं केंद्र सरकार की व्यय योजनाओं के मुकाबले खराब प्रदर्शन कर रही हैं। राज्यों के राजस्वों को भी बड़ा झटका लगा है।’
बाजोरिया ने कहा कि निजी क्षेत्र के संबंध में बात करें तो यहां पर पूंजीगत व्यय में थोड़े से पिछड़ेपन का संकेत है। बजोरिया ने कहा, ‘साल के आरंभ में लग रहा था कि आर्थिक गतिशीलता दोबारा से पटरी पर आएगी। दूसरी लहर में कुछ हद तक निजी क्षेत्र संकट से बाहर आया लिहाजा मुझे लगता है कि एक ओर जहां समग्र आर्थिक प्रदर्शन अच्छा रहा है वहीं निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय को पटरी पर आने में कुछ और वक्त लगेगा।’
एनएसओ के ताजे आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 के लिए जीएफसीएफ स्थिर कीमतों पर 48.5 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी में हिस्सेदारी के लिहाज से 32.9 फीसदी रहने का अनुमान है। यह 2020-21 में अनुमानित तौर पर 42.2 लाख करोड़ (31.2 फीसदी) से अधिक है बल्कि 2019-20 के महामारी से पूर्व से भी अधिक है जो 47.3 लाख करोड़ रुपये यानी 32.5 फीसदी रहा था।
