कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2013-14 के 5 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में करीब 16 प्रतिशत हो गई है। नैशनल काउंसिल आफ अप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के एक अध्ययन के मुताबिक शीर्ष प्रबंधन में महिलाओं की हिस्सेदारी इस अवधि के दौरान 14 प्रतिशत से बढ़कर 22 प्रतिशत हो गई है।
हालांकि अभी भी भारत मझोले व वरिष्ठ स्तर के प्रबंधन की भूमिका में पीछे है और इस स्तर पर महिलाओं की हिस्सेदारी महज 20 प्रतिशत है, जबकि2919 के आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर हिस्सेदारी 33 प्रतिशत है।
अध्ययन में हिस्सा लेने वाली करीब 60 प्रतिशत कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन में मार्च 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक महिलाएं नहीं थीं। महिला डायरेक्टर की अनिवार्यता पूरी करने के लिए 1 अप्रैल 2015 की तिथि तय की गई थी। बाजार पूंजी के हिसाब से एनएसई में शामिल शीर्ष 10 फर्मों में से 5 फर्मों में मार्च 2023 तक शीर्ष प्रबंधन टीम में कोई महिला नहीं थी।
सर्वे में शामिल एनएसई में सूचीबद्ध आधी से ज्यादा फर्मों में शीर्ष प्रबंधन में एक भी महिला नहीं थी और करीब 10 प्रतिशत फर्मों में महज 1 महिला थी। इस अध्ययन की लेखिका रत्ना सहाय ने कहा कि बोर्ड में कम से कम एक महिला का होना बेहतर आर्थिक प्रदर्शन और कम वित्तीय जोखिम से जुड़ा है, और यह असर बड़ी और मझोले आकार की फर्मों के लिए महत्त्वपूर्ण है।