कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने संकेत दिया है कि उनकी सरकार वैश्विक स्तर पर कुशल पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए नए कदम उठाने जा रही है। इसमें भारत से आने वाले वे लोग भी शामिल हैं जिन्हें अमेरिका के H-1B वीजा शुल्क में भारी बढ़ोतरी का असर झेलना पड़ रहा है।
कार्नी ने शनिवार को लंदन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह घोषणा की।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने 21 सितंबर 2025 से नए H-1B वीजा आवेदन के लिए $100,000 (लगभग ₹83 लाख) का शुल्क लागू किया है। यह वीजा भारतीय आईटी विशेषज्ञों, इंजीनियरों और अन्य पेशेवरों के बीच बेहद लोकप्रिय है, क्योंकि इसके जरिए अमेरिकी कंपनियों में विशेष भूमिकाओं पर काम करने का मौका मिलता है। पहले यह शुल्क मात्र $460 (करीब ₹38,000) था, साथ में प्रीमियम प्रोसेसिंग जैसी अतिरिक्त फीस जुड़ती थी। अब इतनी भारी वृद्धि अधिकांश नियोक्ताओं और आवेदकों के लिए इसे असंभव बना देगी।
व्हाइट हाउस के अनुसार, यह कदम अमेरिकी नौकरियों को प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है। भारतीयों के लिए, जिनका हिस्सा हाल के वर्षों में H-1B प्राप्तकर्ताओं में 70 फीसदी से अधिक रहा है, सिलिकॉन वैली जैसे टेक हब में अवसर घट सकते हैं।
इस मौके का फायदा उठाते हुए, प्रधानमंत्री कार्नी ने कहा कि कनाडा जल्द ही ऐसे उपाय लागू करेगा जिससे अमेरिका की नीतियों से प्रभावित प्रतिभाओं को आकर्षित किया जा सके। यह 2023 के उस कार्यक्रम की तरह होगा जिसमें H-1B धारकों को तीन साल के वर्क परमिट दिए गए थे।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार तेज वीजा प्रोसेसिंग और एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम के तहत स्थायी निवास (PR) की तेज राह शामिल हो सकती है।
कनाडा को अमेरिका के मुकाबले अधिक स्थिर और स्वागतयोग्य विकल्प माना जाता है। यहां के टोरंटो, वैंकूवर और मॉन्ट्रियल जैसे टेक हब भारतीय पेशेवरों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र हैं। अमेरिका के लॉटरी आधारित H-1B सिस्टम के बजाय कनाडा का पॉइंट-बेस्ड सिस्टम अंग्रेजी दक्षता और उच्च शिक्षा वाले भारतीयों के लिए फायदेमंद है।
वीजा लागत: कनाडाई वर्क परमिट की फीस सिर्फ CAD 155 (करीब ₹9,000) है, जो अमेरिका के नए शुल्क की तुलना में बेहद सस्ती है।
जीवनयापन: कनाडा के कुछ शहरों में रहना न्यूयॉर्क या सैन फ्रांसिस्को की तुलना में सस्ता पड़ सकता है।
कर व्यवस्था: कनाडा का प्रोग्रेसिव टैक्स सिस्टम उच्च आय वालों पर अधिक कर (संघीय स्तर पर 33 फीसदी तक) लगाता है, लेकिन इसमें चाइल्ड अलाउंस जैसे लाभ परिवारों का बोझ कम कर देते हैं।
संक्षेप में, जब अमेरिका का दरवाजा संकरा हो रहा है, कनाडा भारतीय पेशेवरों के लिए नए अवसरों का द्वार खोल रहा है, जिससे वे विदेश में करियर और संपत्ति बना सकें — बिना अतिरिक्त आर्थिक बोझ के।