सरकार ने ग्राहकों को 24 घंटे में तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के रिफिल मुहैया कराने का विचार आज जारी किया। ऐसे में रसोई गैस के सिलिंडर के लिए लंबी लाइनें और देर तक इंतजार करना बीते समय की बात होना तय है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने बताया कि नए मसौदे के तहत यदि मूल वितरक बुकिंग करने के 24 घंटे में डिलिवरी नहीं कर पाता है तो समीपवर्ती वितरक चाहे किसी भी कंपनी का हो, वह ‘क्रॉस-पीएसयू सर्विस तंत्र’ के तहत डिलिवरी उपलब्ध कराएगा। ऐसा देश में पहली बार होगा कि उपभोक्ता एलपीजी सिलिंडर की डिलिवरी के लिए कंपनियों का चयन कर सकेगा। पीएनजीआरबी ने बयान में बताया, ‘यह क्रांतिकारी सोच तीन अलग -अलग काम करने वाली कंपनियों को एक एकीकृत राष्ट्रीय एलपीजी सर्विस सिस्टम में बदलती है।’
एलपीजी इंटरऑपरेबल सर्विस डिलिवरी फ्रेमवर्क सख्ती से 24 घंटे में डिलिवरी की गारंटी देगा जबकि मौजूदा समय में डिलिवरी का मानक 48 घंटे है। इसके अलावा स्वचालित क्रॉस कंपनी सेवा सक्रिय रूप से उपलब्ध रहेगी।
भारत में 33 करोड़ एलपीजी कनेक्शन हैं। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन घरेलू मार्केट में एलपीसी सिलिंडर ‘इंडेन’ ब्रांड से मुहैया करवाती है। हालांकि भारत पेट्रोलियम ‘भारत गैस’ और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपी गैस) के नाम से रसोई गैस बेचती है। यह तीन कंपनियां घरेलू एलपीजी की 88 प्रतिशत आपूर्ति करती हैं और इनके नेटवर्क में 25,566 वितरक हैं।
नियामक ने उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति ने पाया कि एलपीजी से संबंधित 17 लाख सालाना शिकायतें दर्ज होती हैं। इसमें देर से डिलिवरी की शिकायतों की अधिकता है। तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की दर्ज करीब आधी शिकायतें रिफिल डिलिवरी के मुद्दे से जुड़ी हुई हैं। लिहाजा उपभोक्ताओं को मानक 48 घंटे की जगह दिनों या हफ्तों तक डिलिवरी का इंतजार करना पड़ता है।
नियामक ने योजना लागू करने से सार्वजनिक परामर्श की प्रक्रिया शुरू की है। इसके तहत सभी साझेदारों से संचालन तंत्र के फीडबैक, तकनीकी समन्वय, नियामकीय उपबंध और लागू करने की रणनीति पर सुझाव मांगे हैं।