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रूस के ट्रेड पार्टनर्स पर US लगा सकता है 500% टैरिफ, नए बिल को ट्रंप का समर्थन; भारत पर क्या होगा असर?

यूएस के इस कदम को यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए रूस की आर्थिक क्षमता को कम करने की अमेरिकी कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है।

Last Updated- November 17, 2025 | 1:27 PM IST
Donald Trump Russia Snnctions
File Image

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक नए बिल का समर्थन किया है, जिसमें उन देशों पर कड़े प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है, जो रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं। यानी, रूस के ट्रेड पार्टनर्स हैं। इस कदम को यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए रूस की आर्थिक क्षमता को कम करने की अमेरिकी कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है।

फ्लोरिडा से व्हाइट हाउस लौटने से पहले ट्रंप ने कहा कि वे उस नए बिल के समर्थन में हैं, जिसमें रूस के साथ व्यापार करने वाले किसी भी देश पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। ट्रंप ने कहा, “रिपब्लिकन एक बहुत सख्त कानून ला रहे हैं, जिसमें रूस के साथ व्यापार करने वाले किसी भी देश पर भारी प्रतिबंध लगाए जाएंगे… मैंने सुझाव दिया कि ईरान को भी इस सूची में जोड़ा जा सकता है।”

भारत पर क्या असर पड़ेगा?

ब्लूमबर्ग के अनुसार, इस बिल के तहत ट्रंप उन देशों से आयात पर 500% तक टैरिफ लगा सकते हैं, जो रूस के साथ व्यापार करते हैं। इसका सबसे बड़ा असर भारत और चीन पर पड़ सकता है, क्योंकि दोनों रूस के प्रमुख व्यापार साझेदार हैं।

CREA के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में भारत रूस से €3.1 बिलियन (₹28,000 करोड़+) की एनर्जी खरीद का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार रहा। इसमें क्रूड ऑयल 81%, कोयला 11%, और तेल उत्पाद 7% शामिल थे। चीन पहले स्थान पर है, जिसने अक्टूबर में €5.8 बिलियन की खरीद की।

ट्रंप पहले भी लगा चुके हैं टैरिफ

ट्रंप प्रशासन पहले ही भारत से आयातित सामान पर 50% टैरिफ लगा चुका है, जिसमें से 25% पेनल्टी रूस से तेल खरीदने के लिए है। दोनों देशों में बातचीत जारी है, लेकिन अब तक कोई नई डील नहीं बनी है।

भारत क्या रूस से खरीद घटा रहा है?

रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकारी रिफाइनरीज भले ही रूसी तेल पर निर्भरता घटा रहे हों, लेकिन निजी कंपनियों ने सितंबर में खरीदी बढ़ा दी। CREA डेटा बताता है, निजी रिफाइनर भारत के कुल रूसी तेल आयात का दो-तिहाई खरीद रहे हैं जबकि सरकारी रिफाइनरियों ने अक्टूबर में अपनी खरीद दोगुनी कर दी। यानी, भारत अब भी रूसी तेल का बड़ा खरीदार है, भले ही ट्रंप दावा करें कि मोदी ने उन्हें खरीद रोकने का आश्वासन दिया था। भारत सरकार ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा है कि हमारा पहला लक्ष्य भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है।

भारत ने एनर्जी सोर्सिंग में विविधता बढ़ाई

अमेरिका से LPG आयात की नई डील इसका बड़ा संकेत है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को घोषणा की कि, भारत की PSU ऑयल कंपनियों ने 2026 के लिए 2.2 MTPA LPG आयात का अमेरिकी अनुबंध किया है, जो भारत के वार्षिक आयात का 10% है और यह US से पहला स्टक्चर्ड LPG कॉन्ट्रैक्ट है। पुरी ने बताया कि दुनिया के सबसे बड़े और तेजी से बढ़ते LPG बाजार ने अब अमेरिका के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।

उन्होंने ने बताया कि देश की तीन सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने 2026 के लिए अमेरिका से 22 लाख टन प्रति वर्ष (MTPA) LPG आयात का समझौता किया है। यह मात्रा भारत के कुल सालाना LPG आयात का लगभग 10% है और यह अमेरिकी LPG का भारतीय बाजार के लिए पहला स्ट्रक्चर्ड कॉन्ट्रैक्ट है।

First Published - November 17, 2025 | 1:27 PM IST

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