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प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं? ऐसे कर सकते हैं अतिरिक्त बचत

पत्नी के नाम पर घर खरीदने से स्टाम्प ड्यूटी में छूट, सस्ते होम लोन, दोहरे टैक्स लाभ और संपत्ति की सुरक्षा जैसे फायदे मिलते हैं

Last Updated- September 29, 2025 | 4:21 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

घर खरीदना आमतौर पर किसी भी परिवार का सबसे बड़ा निवेश होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदना वित्तीय और कानूनी दोनों मोर्चों पर लाभ दे सकता है? इन्वेस्टमेंट बैंकर सार्थक आहूजा ने हाल में एक विस्तृत लिंक्डइन पोस्ट में बताया कि यह रणनीति कैसे दम्पतियों को पैसा बचाने, कर लाभ पाने और परिसंपत्तियों की सुरक्षा करने में मदद कर सकती है। भारतीय परिवारों के संदर्भ में यह विकल्प क्यों समझदारी हो सकता है, यहां विस्तार से समझें।

स्टाम्प ड्यूटी में बचत

कई भारतीय राज्यों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति रजिस्ट्रेशन पर स्टाम्प ड्यूटी कम लगती है। स्टाम्प ड्यूटी वह कर है जो रजिस्ट्रेशन के समय चुकाया जाता है। महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के लिए दरें प्रायः पुरुषों से 1-2 प्रतिशत कम होती हैं।

उदाहरण के लिए, 3 करोड़ रुपये की संपत्ति पर यह अंतर शुरुआती स्तर पर ही करीब 6 लाख रुपये तक की बचत दिला सकता है।

बहुत-से दम्पति जॉइंट ओनरशिप (50:50) भी चुनते हैं। इससे कुल लेन-देन मूल्य हिस्सों में बंटने के कारण समग्र स्टाम्प ड्यूटी का बोझ घट सकता है, साथ ही पत्नी के हिस्से पर कम दर का लाभ भी मिलता है।

कम ब्याज दर पर होम-लोन

बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां महिला उधारकर्ताओं के लिए प्रायः 0.5-1 प्रतिशत तक कम ब्याज दर ऑफर करती हैं। लंबे टेन्योर में यह अंतर ईएमआई और कुल ब्याज लागत में लाखों रुपयों की बचत कर सकता है।

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इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में महिलाओं के लिए ब्याज सब्सिडी का प्रावधान है, जिससे लोन और सस्ता हो सकता है।

दोहरे कर लाभ (double tax benefits)

यदि पति-पत्नी संयुक्त स्वामित्व में घर लेते हैं और संयुक्त उधारकर्ता (co-borrowers) हैं, तो दोनों को होम-लोन पर कर लाभ मिल सकता है:

  • धारा 80C: लोन के मूलधन (principal) के पुनर्भुगतान पर 1.5 लाख रुपये तक की कटौती प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष।
  • धारा 24(b): लोन के ब्याज (interest) पर 2 लाख रुपये तक की कटौती प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष (स्व-अधिवासित संपत्ति के लिए लागू सीमा)।

यह व्यवस्था परिवार के कुल कर भार को काफी हल्का कर सकती है।

कानूनी सुरक्षा और एसेट प्रोटेक्शन

पत्नी के नाम पर (या संयुक्त नाम पर) संपत्ति रखने से कानूनी सुरक्षा की एक परत भी जुड़ती है। यदि पति किसी व्यवसायिक देनदारी या कानूनी दावे का सामना कर रहा हो, तो सामान्यतः, पत्नी का वैध हिस्सा — बशर्ते वह वित्तीय योगदानकर्ता और सह-स्वामी हो — लेनदारों की सीधी पहुंच से सुरक्षित रहता है। इस प्रकार, संपत्ति स्वामित्व व्यक्तिगत वित्तीय जोखिमों के विरुद्ध ढाल का काम कर सकता है।

इन बातों का रखें ध्यान

भारतीय कर कानून में क्लबिंग प्रावधान महत्वपूर्ण हैं। यदि संपत्ति पत्नी के नाम पर है, परंतु उसने वित्तीय योगदान नहीं किया, तो उस संपत्ति से होने वाली किराया आय (या संबंधित आय) पति की आय में जोड़कर कर योग्य मानी जा सकती है।

इसलिए पत्नी का वास्तविक वित्तीय योगदान (डाउन पेमेंट/ईएमआई का हिस्सा) और दस्तावेजों में सह-स्वामित्व व सह-उधारकर्ता की स्थिति — दोनों सुनिश्चित करना कर व कानूनी लाभों के लिए आवश्यक है।

First Published - September 29, 2025 | 4:12 PM IST

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