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सैलरी जल्द खत्म हो जाती है? एक्सपर्ट ने इससे बचने के लिए बताया 50-30-20 फॉर्मूला, ऐसे कर सकते हैं शुरू

एक्सपर्ट्स ने सैलरी को समझदारी से मैनेज करने के लिए 50-30-20 रूल अपनाने, खर्च ट्रैक करने और इमरजेंसी फंड बनाने की सलाह दी है

Last Updated- November 21, 2025 | 5:41 PM IST
Rupee
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

जब पहली सैलरी खाते में आती है तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता। लेकिन अक्सर महीना खत्म होने से पहले ही पैसे गायब हो जाते हैं! ये कहानी लगभग हर उस लड़के-लड़की की है जो पहली बार नौकरी करके कमाना शुरू करता है।

फाइनेंशियल प्लानिंग स्टैंडर्ड्स बोर्ड (FPSB) के CEO दांते डी गोरी कहते हैं, “पैसे को मैनेज करना यानि कमाई, खर्च और बचत, तीनों को एक साथ संभालना, शुरू में बहुत भारी लगता है।” बता दें कि फाइनेंशियल प्लानिंग स्टैंडर्ड्स बोर्ड (FPSB) दुनिया के 28 देशों में सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लैनर (CFP) सर्टिफिकेशन जारी करता है।

उनका मानना है कि शुरुआत आसान रखो तो सब आसान हो जाता है।

दांते कहते हैं, “सबसे सिंपल तरीका है 50-30-20 रूल। इससे नए लोगों को साफ-साफ लाइन खींची हुई मिलती है और लगता भी नहीं कि बहुत सख्ती हो रही है।”

क्या है यह रूल?

  • 50% पैसे जरूरतों पर (घर का किराया, बिजली-पानी का बिल, राशन, आने-जाने का खर्च)
  • 30% पैसे मनपसंद चीजों पर (बाहर खाना, शॉपिंग, मूवी, घूमना-फिरना)
  • 20% पैसे बचत या भविष्य के गोल में (इमरजेंसी फंड, निवेश, रिटायरमेंट)

दांते बताते हैं कि एक युवा प्रोफेशनल ने सिर्फ कुछ महीने अपने फालतू खर्च नोट किए और देखते-ही-देखते उसका इमरजेंसी फंड तैयार हो गया। साथ ही पैसों को लेकर कॉन्फिडेंस भी आ गया।

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नए लोग अक्सर कहां गलती करते हैं?

दांते कहते हैं, “छोटे-छोटे रोज के खर्च को लोग सीरियसली नहीं लेते। सुबह की कॉफी, ऑनलाइन कुछ सामान ऑर्डर कर दिया, लास्ट मिनट कैब बुक कर ली, ये सब मिलकर बड़ा गड्ढा कर देते हैं।”

दूसरी गलती: एकदम से सब कुछ परफेक्ट करने की कोशिश। एक-साथ सौ बदलाव लाने की बजाय एक-दो छोटे बदलाव से शुरू करो।

विप्लव मजूमदार, प्लानयोरवर्ल्ड डॉट कॉम के फाउंडर और CFO हैं। वे कहते हैं, “शुरू में बजट को बहुत टाइट बना दोगे तो टिकेगा नहीं। पहले रोज का, महीने का, तिमाही का, सालाना के खर्चे को ट्रैक करें। फिर देखो कि जो बचत तुमने प्लान की थी, बैंक में उतने पैसे बचे भी या नहीं।”

उनका जोर इस बात पर है कि बजट मतलब पहले बांटो, फिर खर्च करो। खर्च करने के बाद हिसाब लगाने से कुछ नहीं होता।

अचानक खर्च आ जाए तो?

बीमारी, नौकरी में दिक्कत या कोई बड़ा खर्च, जिंदगी में कभी भी आ सकता है।

दांते कहते हैं, ऐसे वक्त में पहले जरूरी चीजों को प्राथमिकता दो, मनपसंद खर्च कुछ दिन के लिए रोक दो और इमरजेंसी फंड का सहारा लो।

वे आगे कहते हैं “थोड़ा-थोड़ा भी अगर इमरजेंसी फंड बनाते रहो तो मुश्किल वक्त में टेंशन बहुत कम हो जाती है।”

लंबे समय तक बजट चलाने का सीक्रेट?

दोनों एक्सपर्ट एक बात पर सहमत हैं कि सिंपल रहो और लगातार चलते रहो।

50-30-20 जैसे आसान रूल फॉलो करो, हर खर्च नोट करो (आने वाले बड़े खर्च भी ध्यान में रखो), और बचत को अपने भविष्य के सपनों से जोड़ो।

विप्लव कहते हैं, “आपका सुरक्षित कल आज की बचत में छुपा है। बजट सिर्फ अंकगणित नहीं, ये आदत है, जागरूकता है, अनुशासन है। और यही आदत आपको फाइनेंशियल फ्रीडम की की ओर ले जाती है ।”

First Published - November 21, 2025 | 5:41 PM IST

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