JioBlackRock Flexi Cap Fund Portfolio: अगर आपने जियोब्लैकरॉक के फ्लेक्सी कैप फंड में पैसा लगाया है या निवेश करने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए एक बड़ा अपडेट है। फंड ने अपना पहला पोर्टफोलियो जारी कर दिया है, जिससे यह पता चलता है कि NFO पीरियड के दौरान जुटाए गए 1,500 करोड़ रुपये को कहां पर लगाया गया है। बता दें कि यह पूरा पोर्टफोलियो BlackRock की AI-आधारित Aladdin तकनीक से बनाया गया है। यह सिस्टम मशीन लर्निंग, बिग डेटा और एक्सपर्ट्स के अनुभव को मिलाकर बेहतर और जोखिम कम करने वाली इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी तैयार करता है।
जियोब्लैकरॉक म्युचुअल फंड का यह पहला एक्टिव इक्विटी फंड है। बेंचमार्क से बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए फंड हाउस ने पूरा पैसा बाजार में लगाया है, यानी कोई कैश रिजर्व नहीं रखा। ज्यादातर फंड रिडेम्प्शन या टैक्टिकल फैसलों के लिए थोड़ा कैश अलग रखते हैं।
वैल्यू रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फंड के पास अभी 142 स्टॉक्स हैं — इतने कम समय में इतनी ज्यादा डाइवर्सिफिकेशन काफी खास माना जा सकता है। फंड का सबसे बड़ा हिस्सा 30.87% फाइनेंशियल सेक्टर में लगाया गया है। इसके बाद इंडस्ट्रियल्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर का नंबर आता है।
तुलना के लिए, ज्यादातर फ्लेक्सी-कैप फंड अपने कॉर्पस का लगभग 4.1% हिस्सा कैश में रखते है। यहां तक कि सबसे लोकप्रिय फंड जैसे पराग पारिख फ्लेक्सी कैप (21%) और एचडीएफसी फ्लेक्सी कैप फंड (10%) भी काफी कैश अपने पास रखते हैं।
फंड ने अपने पोर्टफोलियो में कुल 142 शेयर शामिल किए हैं और करीब 96% निवेश इक्विटी में लगाया है। पोर्टफोलियो का सबसे बड़ा हिस्सा लार्ज कैप शेयरों को मिला है, जबकि कुछ निवेश मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में भी किया गया है। करीब 65% हिस्सा लार्ज कैप, 21% मिड कैप और लगभग 14% स्मॉल कैप शेयरों में लगाया गया है।
यह एलोकेशन कैटेगरी औसत की तुलना में थोड़ा ज्यादा कंज़र्वेटिव है। आम तौर पर फ्लेक्सी-कैप फंड्स औसतन 61% लार्ज कैप और 18% स्मॉल कैप में निवेश रखते हैं। यह साफ दिखाता है कि फिलहाल फंड का झुकाव स्थिर, मजबूत और भरोसेमंद कंपनियों की तरफ है।
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फंड की टॉप 10 होल्डिंग्स भारत की बड़ी और मशहूर कंपनियों की लिस्ट जैसी ही दिखाई देती हैं। सभी नाम लार्ज कैप शेयरों के हैं, इसमें कोई हैरानी नहीं है। प्राइवेट और सरकारी बैंकों की तिकड़ी — एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और भारतीय स्टेट बैंक — मिलकर पोर्टफोलियो का 17% से ज्यादा हिस्सा बनाती हैं।
| Company | Net Asset (%) |
|---|---|
| HDFC Bank | 8.9 |
| ICICI Bank | 5.4 |
| Reliance Industries | 5.2 |
| Infosys | 4.1 |
| State Bank of India | 3.4 |
| Larsen & Toubro | 3.2 |
| Tata Consultancy Services | 2.7 |
| Bharti Airtel | 2.4 |
| HCL Technologies | 2.3 |
| Adani Ports and Special Economic Zone | 2.0 |
स्त्रोत: वैल्यू रिसर्च
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फंड का सबसे बड़ा हिस्सा फाइनेंशियल सेक्टर में लगाया गया है, जहां इसका लगभग 31% पैसा लगा है। इसके बाद इंडस्ट्रियल्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर का नंबर आता है, जहां पर करीब 14% से ज्यादा पैसा लगाया गया है। कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी और एनर्जी-यूटिलिटीज में भी फंड का अच्छा एक्सपोजर है। फंड ने इन सेक्टर्स में अन्य फ्लेक्सी कैप फंड्स की तुलना में ज्यादा निवेश किया है। इसके अलावा मटेरियल्स, कंज्यूमर स्टेपल्स और हेल्थकेयर सेक्टर में भी निवेश फैला हुआ है। हालांकि हेल्थकेयर सेक्टर में फंड की हिस्सेदारी (4.64%) कैटेगरी एवरेज (8.03%) से कम है। रियल एस्टेट और डाइवर्सिफाइड सेक्टर में फंड का एक्सपोजर बहुत कम है और यह कैटेगरी एवरेज से भी नीचे है।
| Sector | Fund (%) | Category (%) |
|---|---|---|
| Financial | 30.87 | 29.84 |
| Industrials | 14.42 | 12.30 |
| Technology | 13.68 | 13.06 |
| Consumer Discretionary | 11.15 | 11.98 |
| Energy & Utilities | 10.45 | 6.46 |
| Materials | 8.92 | 7.79 |
| Consumer Staples | 6.12 | 5.73 |
| Healthcare | 4.64 | 8.03 |
| Real Estate | 0.33 | 1.12 |
| Diversified | 0.02 | 0.28 |
स्त्रोत: वैल्यू रिसर्च
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इस फंड की सबसे बड़ी खासियत है इसका AI-आधारित निवेश मॉडल। यह भारत का पहला एक्टिव इक्विटी फंड है जो ब्लैकरॉक के ‘सिस्टेमैटिक एक्टिव इक्विटीज’ (SAE) पर चल रहा है। ब्लैकरॉक का सिस्टमैटिक एक्टिव इक्विटीज अप्रोच बिग डेटा, एडवांस्ड एनालिटिक्स और विशेषज्ञों के अनुभव (ह्यूमन एक्सपर्टीज) का इस्तेमाल करता है, ताकि बेहतर निवेश परिणाम दिए जा सकें। आसान भाषा में कहें तो, AI और फंड मैनेजर एक साथ मिलकर स्टॉक चुनते हैं।
पर्दे के पीछे, पूरा पोर्टफोलियो Aladdin सिस्टम पर चलता है—यह BlackRock का दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाला रिस्क और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म है, जिसे दुनिया भर के बड़े एसेट मैनेजर्स उपयोग करते हैं।
यह सिस्टम कंपनी के फंडामेंटल्स, वैल्यूएशन, मार्केट सेंटिमेंट, और यहां तक कि सोशल मीडिया ट्रेंड्स तक का विश्लेषण करता है, ताकि उभरते रुझानों को समय रहते पकड़ सकें।