रेल मंत्रालय निजी निवेश के अपने सबसे बड़े अभियान के तहत राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के दूसरे चरण (एनएमपी 2.0) में अगले 5 साल के दौरान 2.5 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को भुनाने की तैयारी कर रहा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को ऐसी जानकारी मिली है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 10 लाख करोड़ रुपये की दूसरी मुद्रीकरण पाइपलाइन तैयारी के चरण में है। इसके लिए विभिन्न मंत्रालयों ने संभावित परिसंपत्तियों की शुरुआती सूची तैयार कर ली है और इसके जल्द ही जारी होने की उम्मीद है। दूसरी मुद्रीकरण पाइपलाइन 2029-30 तक केंद्रीय मुद्रीकरण रणनीति की बुनियाद होगी जिसकी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में की थी।
रेल मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि रेलवे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल और बहु-परिसंपत्ति दृष्टिकोण के जरिये इस लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करेगा। मुद्रीकरण की प्रक्रिया में सरकार पीपीपी के जरिये निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए आय अर्जित करने वाली परिसंपत्तियों का लाभ उठाती है। ऐसा आम तौर पर राजस्व साझेदारी मॉडल के जरिये किया जाता है।
प्रवक्ता ने कहा, ‘विभिन्न परिसंपत्तियों वाले इस दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए मंत्रालय गति शक्ति कार्गो टर्मिनल का मुद्रीकरण करने और नई मालगाड़ियां निजी निवेश के जरिये लाने की योजना बना रहा है। उम्मीद है कि स्टेशन पुनर्विकास और स्टेशनों के आसपास पीपीपी आधारित कमर्शियल डेवलपमेंट से रकम प्राप्त होगी। फिलहाल विजयवाड़ा स्टेशन के लिए ऐसा किया जा रहा है।’
रेलवे पहली मुद्रीकरण पाइपलाइन के दौरान निजी संस्थाओं को परिचालन सौंपने से हिचकिचा रहा था। मगर इस साल की शुरुआत में शीर्ष अफसरशाहों की एक बैठक में मुद्रीकरण के प्रयास तेज करने के लिए कहा गया था।
मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के अनुसार, रेलवे को शुरू में वित्त वर्ष 2030 तक 1.7 लाख करोड़ रुपये के मुद्रीकरण का लक्ष्य दिया गया था। मगर रेलवे ने पुष्टि की है कि अब इसे बढ़ाकर 2.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस प्रकार नया लक्ष्य करीब 50 फसदी अधिक हो गया है।
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मंत्रालय वाणिज्यिक एवं रिहायशी परियोजनाओं के लिए उच्च मूल्य वाले भूखंडों का मुद्रीकरण भी करेगा। ऐसा फिलहाल कोलकाता के साल्ट गोला, दिल्ली के सेवा नगर-लोधी कॉलोनी आदि जगहों पर किया जा रहा है। प्रवक्ता ने कहा, ‘रेल मंत्रालय इस मुद्रीकरण लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रहा है।’
साल 2021 में जारी पहले एनएमपी के अनुसार, रेल मंत्रालय के लिए वित्त वर्ष 2025 तक का लक्ष्य 1.52 लाख करोड़ रुपये था। मगर अधिकारियों ने बताया कि इसे संशोधित कर 1 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था।
शुरुआत में केंद्र के थिंक टैंक को उम्मीद थी कि मंत्रालय को आधी आय रेलवे स्टेशनों के मुद्रीकरण से हो जाएगी। इसमें पुनर्विकास परियोजनाओं को पीपीपी मोड में लाने की बात कही गई थी।
रेलवे को स्टेशन मुद्रीकरण परियोजनाओं में भी बाजार की जबरदस्त दिलचस्पी दिखी थी। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन जैसी बड़ी परियोजनाओं को हासिल करने की दौड़ में अदाणी रेलवेज, जीएमआर हाइवेज, गोदरेज प्रॉपर्टीज और ओबेरॉय रियल्टी जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल थीं।
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रेलवे विशेष प्रयोजन कंपनी (एसपीवी) के बंद होने के कारण निविदा रद्द कर दिए गए थे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर 2022 में 3 मेगा स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी।
अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर दो अधिकारियों ने बताया कि 1.24 लाख करोड़ रुपये के पूर्वी एवं पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के मुद्रीकरण के प्रस्ताव पर भी चर्चा शुरू हुई थी। मगर रेल मंत्रालय ने एक आधिकारिक जवाब में कहा कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
नीति आयोग ने फ्रेट कॉरिडोर प्रस्ताव की पुष्टि या खंडन नहीं किया। आयोग के प्रवक्ता ने पूछे गए सवालों के जवाब में कहा, ‘परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना 2.0 को अंतर-मंत्रालयी परामर्श प्रक्रिया के जरिये अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही इससे संबंधित विवरण सार्वजनिक किए जाएंगे।’
विशेषज्ञों का मानना है कि किसी परियोजना की परिसंपत्ति मुद्रीकरण कई कारकों पर निर्भर करती है। मगर इसमें दो कारकों की अहम भूमिका होती है जिनमें निजी क्षेत्र की दिलचस्पी और मुद्रीकरण के लिए सरकार की अपेक्षा शामिल हैं।
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर कुशल कुमार सिंह ने कहा, ‘शुरुआती आकलन से संकेत मिलता है कि कॉरिडोर के संचालन में निजी क्षेत्र की दिलचस्पी है। मगर अपेक्षित परिणाम हासिल करने के लिए उचित जोखिम-आवंटन फ्रेमवर्क की पहचान करना और मुद्रीकरण ढांचे को अंतिम रूप देना महत्त्वपूर्ण है।’