प्रमुख आईटी कंपनी विप्रो का मुनाफा घटने के कारण वित्त वर्ष 2023 के लिए चेयरमैन रिशद प्रेमजी के कुल वेतन पैकेज में एक साल पहले के मुकाबले करीब 50 फीसदी की कमी आई है। वित्त वर्ष 2023 के लिए प्रेमजी का कुल वेतन पैकेज 9,51,353 डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2022 के मुकाबले करीब 50 फीसदी कम है। वित्त वर्ष 2022 में उनका वेतन पैकेज 18,19,022 डॉलर रहा था।
कंपनी ने अमेरिकी प्रतिभूति एवं एक्सचेंज आयोग (US Securities and Exchange Commission) को दी सूचना में कहा है, ‘रिशद प्रेमजी पिछले वित्त वर्ष में विप्रो लिमिटेड के सकल शुद्ध लाभ पर 0.35 फीसदी की दर से कमीशन मिलना चाहिए। मगर वित्त वर्ष 2023 में वृद्धिशील सकल शुद्ध लाभ नकारात्मक रहा, इसलिए वित्त वर्ष 2023 में प्रेमजी को कोई कमीशन नहीं बना।’
वित्त वर्ष 2023 के लिए प्रेमजी को वेतन एवं भत्ते के तौर पर 8,61,620 डॉलर, अन्य आय के तौर पर 15,390 डॉलर और दीर्घावधि वेतन मद में 74,343 डॉलर दिए गए। एक साल पहले की तुलना में उन्हें बतौर वेतन एवं भत्ता 23 फीसदी कम रकम मिली। वित्त वर्ष 2022 में वेतन एवं भत्ता मद में उन्हें 11,19,362 डॉलर प्राप्त हुए थे। वित्त वर्ष 2023 में विप्रो का शुद्ध लाभ एक साल पहले के मुकाबले 0.4 फीसदी घटकर 3,074 करोड़ रुपये रह गया।
यह पहला मौका नहीं है, जब प्रेमजी के वेतन पैकेज में कटौती की गई है। वित्त वर्ष 2020 में उन्होंने अपना वेतन पैकेज करीब 31 फीसदी घटा लिया था क्योंकि शुरुआती दिनों में कोविड के कारण कंपनी का कारोबार प्रभावित हुआ था।
वित्त वर्ष 2023 के लिए विप्रो के सीएफओ जतिन दलाल का वेतन पैकेज भी कम हुआ है। उनका कुल वेतन पैकेज 10,84,693 डॉलर रहा जो वित्त वर्ष 2022 में 15,91,142 डॉलर था।
अलबत्ता कंपनी के सीईओ थियरी डेलापोर्ट 1,00,26,942 डॉलर के कुल वेतन पैकेज के साथ भारत में सबसे अधिक वेतन पाने वाले सीईओ बने रहे। साल भर पहले के 1,05,19,174 डॉलर के मुकाबले उनका वेतन पैकेज वित्त वर्ष 2023 में महज 4.7 फीसदी कम रहा।
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वित्त वर्ष 2019 में लगभग सभी प्रमुख फार्मा कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों का वेतन घटा था। सन फार्मास्युटिकल्स के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक (MD) दिलीप सांघवी ने उस साल बतौर वेतन केवल 1 रुपया लिया था। उसी साल ल्यूपिन के एमडी नीलेश गुप्ता के वेतन में 80 फीसदी की कटौती की गई थी क्योंकि कंपनी के मुनाफे में 32 फीसदी की गिरावट आई थी।
कोविड के दौरान भी कई कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों एवं शीर्ष प्रबंधन ने कम वेतन लिए थे। L&T के तत्कालीन ग्रुप चेयरमैन एएम नाइक और सीईओ एवं एमडी एसएन सुब्रमण्यन के वेतन में भी कटौती की गई थी। वित्त वर्ष 2020 में नाइक का कुल वेतन पैकेज घटकर 6.18 करोड़ रुपये रह गया जो वित्त वर्ष 2019 में 8.15 करोड़ रुपये रहा था। इसी प्रकार सुब्रमण्यन का वेतन पैकेज 43 फीसदी कम हुआ था।
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ओयो के संस्थापक एवं सीईओ रितेश अग्रवाल ने कोविड के कारण कारोबार प्रभावित होने के कारण वित्त वर्ष 2020 में अपना वेतन पैकेज 100 फीसदी कम कर लिया था। कंपनी के समूचे वरिष्ठ नेतृत्व ने कंपनी की स्थिति का ध्यान में रखते हुए स्वैच्छिक तौर पर 25 से 50 फीसदी कम वेतन लेने का निर्णय किया था।
कोविड काल में पहली बार टाटा समूह की कंपनियों में भी वेतन काटा गया था। टीसीएस के सीईओ एवं एमडी राजेश गोपीनाथ के वेतन पैकेज में 13 फीसदी की कटौती की गई थी। इसी प्रकार टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा पावर, ट्रेंट, टाटा इंटरनैशनल, टाटा कैपिटल और वोल्टास के सीईओ एवं एमडी के साथ-साथ टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखन को भी करीब 20 फीसदी कम वेतन मिला था।