अक्टूबर में त्योहारी सीजन की रिकॉर्ड बिक्री के बाद नवंबर में इलेक्ट्रिक दोपहिया पंजीकरण 21 प्रतिशत लुढ़ककर 1,10,761 रह गया, जबकि वैश्विक ब्रांडों के बाजार में आने से प्रतिस्पर्धा का नया दौर शुरू हो रहा है। उन्हें उन देसी कंपनियों से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा रहा है, जिन्हें अपनी खुद की रैंकिंग में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। नवंबर में पंजीकरण पिछले साल इसी महीने में पंजीकृत 1,16,437 वाहनों से भी कम रहा।
किसी समय बाजार में अग्रणी रहने वाली ओला इलेक्ट्रिक का पंजीकरण प्रति माह 10,000 से नीचे गिरकर 8,254 तक लुढ़क गया, जो अक्टूबर में दर्ज किए गए पंजीकरण का लगभग आधा हिस्सा है। ‘वाहन’ के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इसके परिणामस्वरूप इसकी बाजार हिस्सेदारी भी दो अंकों से फिसलकर केवल 7.4 प्रतिशत रह गई।
ऐसा पहली बार हुआ कि कंपनी को हीरो मोटोकॉर्प ने बाजार हिस्सेदारी की रैंकिंग में पीछे धकेलकर पांचवें स्थान पर कर दिया। धीमी शुरुआत के बावजूद हीरो ने ओला को पीछे छोड़कर चौथा स्थान हासिल कर लिया है और केवल टीवीएस मोटर कंपनी, बजाज ऑटो और एथर एनर्जी से पीछे है, जिसमें इसकी लगभग 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
हीरो की सतर्कतापूर्ण इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) रणनीति यानी अपना विडा ब्रांड बनाने के साथ-साथ एथर की भी मदद करना, काम करती दिख रही है। वाहन के आंकड़ों के अनुसार हीरो ने नवंबर में 11,795 विडा इलेक्ट्रिक स्कूटर (ई-स्कूटर) पंजीकृत किए, जिससे उसकी बाजार हिस्सेदारी 10.6 प्रतिशत हो गई। एथर और हीरो ने संयुक्त रूप से 31,814 वाहन पंजीकृत किए और बाजार में लगभग 29 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया।
ईवी क्षेत्र में उतरने वाला पहला जापानी ब्रांड होंडा मोटरसाइकिल ऐंड स्कूटर इंडिया की शुरुआत कुछ खास नहीं रही, हालांकि उसे उम्मीद थी कि वह इस श्रेणी में हलचल मचा देगा, जैसा कि उसने एक बार एक्टिवा के साथ किया था। फरवरी में अपनी ईवी पेश करने के बाद से होंडा ने केवल 3,177 स्कूटर पंजीकृत किए हैं, जो जून में 411 के शीर्ष स्तर पर थे। नवंबर में केवल 379 वाहन पंजीकृत किग गए थे।
इसके अलावा सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के आंकड़ों के मुताबिक होंडा ने शुरुआत के छह महीने बाद – अगस्त से ई-स्कूटर नहीं बनाए हैं। अप्रैल और अगस्त के बीच होंडा ने 4,726 वाहन बनाए, लेकिन इसी अवधि के दौरान केवल 2,531 वाहन ही बेचे।
कंपनी दो मॉडल – एक्टिवा ई और क्यूसी1 उपलब्ध कराती है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि घर पर चार्जिंग का सीमित समर्थन और बैटरी-स्वैपिंग स्टेशनों की कमी मुख्य रुकावटें हैं।