Union Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न संपत्तियों पर पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था में बड़े बदलावों की घोषणा की है। इनमें इक्विटी पर कम अवधि और दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर शामिल हैं। सभी वित्तीय और गैर वित्तीय संपत्तियों से दीर्घावधि पूंजी लाभ (एलटीसीजी) पर कर की दरें अब 12.5 प्रतिशत होंगी। शेयर और इक्विटी म्युचुअल फंडों से हुए कम अवधि के पूंजीगत लाभ (एसटीसीजी) पर कर 20 प्रतिशत होगा जो पहले 15 प्रतिशत था।
सेंट्रम ब्रोकिंग (रिटेल) में ईडी और सीईओ संदीप नायक ने कहा, ‘पूंजीगत लाभ कर और प्रतिभूति लेनदेन कर में बढ़ोतरी पूंजी बाजारों के लिए निराशाजनक है।’ सीतारमण ने निवेशकों को कुछ राहत भी दी है। इक्विटी पर एलटीसीजी से छूट पहले 1 लाख रुपये सालाना तक की राशि पर मिलती थी जिसे अब बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये सालाना कर दिया गया है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज में चीफ इन्वेस्टमेट स्ट्रैटेजी डॉ वीके विजयकुमार ने कहा, ‘एसटीसीजी कर 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जाना तेज वृद्धि है। एलटीसीजी कर 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत करना मामूली वृद्धि है क्योंकि एलटीसीजी कर छूट की सीमा 1 लाख रुपये बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये सालाना कर दी गई है।’
सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के दीर्घावधि या अल्पावधि पूंजीगत लाभ कर लागू होने या न होने के निर्धारण के लिए होल्डिंग की अवधि अब 12 महीने कर दी गई है। गैर सूचीबद्ध संपत्तियों के लिए यह अवधि 24 महीने होगी। निवेशकों द्वारा रखी जाने वाली प्रमुख गैर सूचीबद्ध संपत्तियों में प्रॉपर्टी और सोना शामिल है।
सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार दीपेश राघव ने कहा, ‘इससे पहले रीट्स के लिए भी 36 महीने की होल्डिंग अवधि होती थी। इसे अब खत्न कर दिया गया है।’
प्रॉपर्टी जैसी गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर एलटीसीजी के मामले में भी 12.5 प्रतिशत की दर से कर लगेगा। पहले 3 वर्ष से अधिक अवधि तक रखने पर इंडेक्सेशन के बाद 20 प्रतिशत कर लगता था। बजट में इंडेक्सेशन लाभ खत्म करने का प्रस्ताव किया गया है जो प्रॉपर्टी सहित दीर्घावधि परिसंपत्तियों पर मिलता था।
एनरॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘इस समय प्रॉपर्टी, सोने और अन्य गैर सूचीबद्ध संपत्तियों पर मिलने वाले दीर्घावधि पूंजीगत लाभों पर इंडेक्सेशन का लाभ खत्म करने का विपरीत असर पड़ सकता है क्योंकि इससे रियल एस्टेट निवेशकों पर सीधा असर पड़ता है।’
रियल एस्टेट निवेशकों पर कुछ विशेष परिस्थितियों में असर होगा। उदाहरण के लिए अगर कोई संपत्ति 50 लाख रुपये में खरीदी जाती है और 10 साल बाद 60 लाख रुपये में बेची जाती है। ऐसी स्थिति में पहले के नियम के मुताबिक पूंजीगत लाभ की गणना विक्रय मूल्य में से अधिग्रहण की इंडेक्स लागत घटाकर की जाती थी। इडेक्सेशन लाभ 10 साल बाद हुआ। ऐसे में संपत्ति की लागत बिक्री मूल्य से अधिक हो सकती थी और निवेशक को कोई कर नहीं देना पड़ता था। अब उसे 10 लाख रुपये लाभ पर कर देना होगा।
केंद्रीय बजट 2024 के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक स्पष्टीकरण से पुरानी संपत्तियों के मालिकों को कुछ राहत मिली है। वित्त सचिव डॉ टीवी सोमनाथन ने साफ किया कि 2001 तक मिला इंडेक्सेशन लाभ बना रहेगा।
मार्च 2023 में जब डेट फंड पर कर लगाया गया था तो गोल्ड फंड और विदेशी इक्विटी फंडों पर भी इसी तरह का कर लगा था। नियमों में कहा गयाथा कि अगर फंड में 35 प्रतिशत से कम घरेलू इक्विटी है तो इस पर डेट फंड की तरह कर होगा। अब परिभाषा बदल दी गई है। मौजूदा डेट फंड कराधान नियम सिर्फ तभी लागू होंगे जब फंड में 65 प्रतिशत या इससे ज्यादा डेट संपत्तियां होंगी।
गोल्ड और विदेशी इक्विटी फंडों को डेट फंड में नहीं शामिल किया जाएगा। राघव ने कहा, ‘दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर अब बिना इंडेक्सेशन के 12.5 प्रतिशत की दर से कर लगेगा। इससे पहले स्लैब दर के हिसाब से कर लगता था।’