भारी उद्योग मंत्रालय 13 जुलाई से उन इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन विनिर्माताओं की सुनवाई करेगा, जिन्होंने भारत में फास्टसर एडॉप्शएन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड ऐंड) इलेक्ट्रिक व्ही,कल्सा (FAME 2) के तहत चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) के दिशानिर्देशों का कथित तौर पर उल्लंघन किया है।
इन विनिर्माताओं में हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा जैसी शीर्ष इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियां शामिल हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि इस सुनवाई का उद्देश्य कंपनियों को सरकारी फॉर्मूला स्वीकार करने का मौका देना है, जिसके तहत कथित उल्लंघनकर्ताओं को दावा की गई सब्सिडी सरकार को वापस करनी होगी और योजना से अयोग्य ठहराए जाने के बाद दी गई सब्सिडी छोड़नी होगी।
भारी उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा इस सप्ताह उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि अगर कंपनियां इस फॉर्मूले पर सहमति जताने से इनकार करती हैं, तो सरकार उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने पर विचार कर रही है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ‘हमने उन्हें नोटिस भेजा है। अगर वे हमारे फॉर्मूले से सहमत नहीं होते हैं, तो वे कानूनी कार्रवाई का सामना करना करेंगे।’ अपनी जांच के तहत मंत्रालय ने पाया है कि आधा दर्जन से अधिक विनिर्माता आयातित उत्पादों का उपयोग कर रहे थे और पीएमपी के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहे थे।
मंत्रालय 13 फर्मों की जांच कर रहा था। हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा ऑटोटेक, ग्रीव्स इलेक्ट्रिक, बेनलिंग इंडिया, रिवोल्ट इंटेलीकॉर्प और एएमओ मोबिलिटी ने कथित तौर पर फेम के मानदंडों का उल्लंघन किया है।
भारी उद्योग मंत्रालय ने अपनी जांच के पहले दौर में हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा ऑटोटेक (ओकिनावा) को 249 करोड़ रुपये की वसूली का नोटिस जारी किया था।
फेम 2 योजना से दोनों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया था। हीरो इलेक्ट्रिक के मामले में उसे लगभग 133 करोड़ रुपये लौटाने हैं और उसके द्वारा दावा की गई 500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि छोड़नी होगी।