देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को रफ्तार देने के लिए केंद्र सरकार की प्रमुख योजना फेम2 की समय-सीमा खत्म होने में महज 10 महीने बचे हैं मगर इसके तहत जितने वाहनों को मदद दी जानी थी, अब तक सरकार उनमें से 41 फीसदी को ही मदद दे सकी है। मार्च 2019 में 15,62,090 वाहनों के लक्ष्य के साथ यह योजना शुरू की गई थी।
सरकार इस योजना को वित्त वर्ष 2024 से आगे नहीं बढ़ाना चाहती। ऐसे में निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उसे अभी 9,14,707 इलेक्ट्रिक वाहनों को इस योजना में जोड़ना होगा।
भारी उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि फेम2 योजना के तहत सबसे कम सब्सिडी इलेक्ट्रिक कारों को गई है। सरकार ने 55,000 ई-कारों को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य रखा था मगर अभी वह लक्ष्य से करीब 88 फीसदी पीछे है। इलेक्ट्रिक तिपहिया श्रेणी में भी लक्ष्य अभी 85 फीसदी दूर है।
इस योजना के तहत सबसे अधिक प्रोत्साहन इलेक्ट्रिक दोपहिया को मिला है। इस श्रेणी में 10 लाख वाहनों को सब्सिडी देने का लक्ष्य रखा गया था और करीब 56 फीसदी लक्ष्य हासिल किया जा चुका है। इलेक्ट्रिक बस श्रेणी में 33 फीसदी लक्ष्य पूरा हो पाया है।
भारी उद्योग मंत्रालय को लगता है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया और ई-बस श्रेणियों में शेष लक्ष्य को इस वित्त वर्ष के अंत तक हासिल कर लिया जाएगा। लेकिन इलेक्ट्रिक कार और ई-तिपहिया श्रेणियों में बचे लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा।
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा, ‘हम ई-दोपहिया और ई-तिपहिया श्रेणियों में लक्ष्य हासिल कर लेंगे क्योंकि हमारे पास मांग काफी है। जहां तक ई-कार और ई-बस का सवाल है तो लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल दिख रहा है क्योंकि इसमें वाणिज्यिक वाहनों को ही इस योजना में शामिल किया गया है।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमने ई-तिपहिया श्रेणी के लिए रखी गई रकम ई-दोपहिया और ई-बस के लिए देना शुरू कर दिया है।’
पिछले चार साल में मंत्रालय ने इस योजना के लिए आवंटित कुल 8,569 करोड़ रुपये में से महज आधे का इस्तेमाल किया है। ई-कार श्रेणी के लिए आवंटित 551 करोड़ रुपये का करीब 28 फीसदी और ई-तिपहिया श्रेणी के लिए आवंटित 2,500 करोड़ रुपये का महज 16 फीसदी हिस्सा ही खर्च हो
पाया है। ई-बस श्रेणी में निर्धारित 3,545 करोड़ रुपये में से केवल 33 फीसदी रकम 2,776 बसों के लिए प्रोत्साहन के तौर पर दी गई है। बाकी रकम 4,434 बसों को दी जानी है।
ई-दोपहिया श्रेणी में 5,63,760 वाहनों के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। सरकार इसमें 100 फीसदी से अधिक रकम का उपयोग पहले ही कर चुकी है। इस श्रेणी में आवंटन के मुकाबले करीब 549 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च हो गए हैं।
जून 2021 में किए गए नीतिगत बदलाव के मद्देनजर आवंटन से अधिक खर्च किया गया है। साल 2020 में कोविड के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री करीब 25 फीसदी घट गई थी। ऐसे में मांग बढ़ाने के लिए सरकार ने प्रोत्साहन को लागत के 20 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी तक कर दिया था। कोविड काल में पूरे वाहन उद्योग की बिक्री करीब 21 फीसदी घट गई थी।
उस निर्णय के बाद ई-दोपहिया के लिए अधिकतम प्रोत्साहन 30,000 रुपये से बढ़कर 60,000 रुपये हो गया था। नीतिगत बदलाव के बाद ई-दोपहिया काफी सस्ते हो गए और 2021 में उनकी बिक्री एक साल पहले के मुकाबले 436 फीसदी बढ़कर 1,56,194 वाहन तक पहुंच गई थी।