भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा पर एक गंभीर खतरे मंडराने लगा है क्योंकि तेल और गैस उद्योग में उपयोग होने वाला खनिज बेराइट (Baryte) का भंडार खत्म होने की ओर बढ़ रहा है। इसकी वजह भारत से इसका निर्यात तेजी से बढ़ना है। सेंटर फॉर डोमेस्टिक इकॉनमी पॉलिसी रिसर्च (C-DEP) ने इस खनिज के संबंध में एक अहम रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब भारत खनिज सुरक्षा, रणनीतिक भंडार और घरेलू तेल-गैस अन्वेषण क्षमता को मजबूत करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
C-DEP की रिपोर्ट के अनुसार रिपोर्ट के अनुसार भारत के कुल बेराइट भंडार का करीब 95 फीसदी हिस्सा आंध्र प्रदेश की मंगमपेट (Mangampet) खदान में स्थित है। यहां प्रमाणित भंडार 2015 में 4.9 करोड़ टन था, जो 2024 में घटकर 2.3 करोड़ टन से भी कम रह गया है यानी एक दशक में इसके भंडार में करीब 53 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
C-DEP के मुताबिक यह गिरावट घरेलू जरूरतों के लिए रणनीतिक भंडार बनाए बिना किए गए अत्यधिक निर्यात का नतीजा है। अनियंत्रित निर्यात के कारण भारत के पास उपलब्ध बेराइट भंडार अगले 10 वर्षों से भी कम समय (8.5 साल ) में समाप्त हो सकते हैं। भारत दुनिया की इकलौती बड़ी अर्थव्यवस्था है, जहां बेराइट के सुलभ भंडार इतनी तेजी से घट रहे हैं।
C-DEP की रिपोर्ट को जारी करने वाले आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (APMDC) के पूर्व प्रबंध निदेशक प्रवीण प्रकाश ने कहा, “बेराइट का तेजी से खत्म होना केवल खनिज संकट नहीं, बल्कि राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा का सवाल है। भारत अपनी 90 फीसदी कच्चे तेल की जरूरत आयात से पूरी करता है। ऐसे में सुरक्षित और कुशल ड्रिलिंग के लिए बेराइट का संरक्षण रणनीतिक प्राथमिकता बनना चाहिए।”
बेराइट तेल और गैस की ड्रिलिंग के लिए एक अनिवार्य खनिज है। यह उच्च दबाव वाले कुओं को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि घरेलू आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में अंडमान बेसिन और कृष्णा–गोदावरी (KG) बेसिन में भारत के अन्वेषण कार्यक्रमों पर तत्काल असर पड़ेगा।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि बेराइट भंडार में तेज गिरावट का मुख्य कारण अमेरिका को होने वाला निर्यात है, जो अब APMDC के उत्पादन का बड़ा हिस्सा लेता है। इसके अलावा APMDC ने बेराइट राजस्व के आधार पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी किए हैं, जिससे संरक्षण के बजाय लगातार खनन पर वित्तीय निर्भरता बढ़ गई है।
C-DEP के विश्लेषण के मुताबिक 2016 में चीन द्वारा बेराइट निर्यात सीमित करने के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा बेराइट निर्यातक बन गया। भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा 2023 में आयात किए गए सभी बेराइट का लगभग 44 फीसदी हिस्से की आपूर्ति की, जबकि कभी प्रमुख हिस्सेदारी रखने वाले चीन की हिस्सेदारी घटकर महज 17 फीसदी रह गई। अमेरिका, ईरान, कजाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों के पास भारत से कहीं अधिक भंडार हैं।
C-DEP के अध्यक्ष डॉ. जयजीत भट्टाचार्य ने कहा,“तेल उत्पादक देश जैसे अमेरिका, रूस और ईरान अपने बेराइट भंडार को दशकों तक सुरक्षित रखने के लिए निर्यात पर नियंत्रण रखते हैं। भारत को भी घरेलू अन्वेषण को सुरक्षित रखने के लिए दीर्घकालिक रणनीति अपनानी होगी।”
इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में अंडमान, कृष्णा-गोदावरी और महानदी बेसिनों में अनुमानित 22 अरब बैरल तेल के समतुल्य भंडार अभी भी खोजे जाने बाकी हैं। सी-डीईपी का अनुमान है कि इस क्षमता को अनलॉक करने के लिए 60 करोड़ टन से अधिक बेराइट की आवश्यकता होगी, जो मंगमपेट (Mangampet) में बचे भंडार से कहीं अधिक है। वर्तमान में भारत के केवल 10 फीसदी सेडिमेंट्री बेसिनों में ही सक्रिय अन्वेषण चल रहा है और सरकार का लक्ष्य इस आंकड़े को बढ़ाकर 16 फीसदी करना है।
इन हालात को देखते हुए C-DEP ने सरकार से बेराइट निर्यात पर चरणबद्ध नियंत्रण, APMDC के बॉन्ड दायित्वों के लिए वित्तीय संक्रमण योजना, निर्यात आवंटन नीति में संशोधन और बैराइट को नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन (NCMM) में शामिल करने की सिफारिश की है।
बेराइट (Baryte) बेरियम सल्फेट का एक प्राकृतिक खनिज है, जो भारी, सफेद और पानी में अघुलनशील होता है। यह तेल और गैस की ड्रिलिंग के लिए एक अनिवार्य खनिज है, जिसका कोई व्यावहारिक विकल्प नहीं है। यह उच्च दबाव वाले कुओं को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
तेल और गैस ड्रिलिंग में भारी तरल पदार्थ बनाने के अलावा इसका उपयोग पेंट में फिलर के रूप में, चिकित्सा में एक्स-रे कंट्रास्ट एजेंट (बेरियम मील) और विकिरण परिरक्षण के लिए किया जाता है। यह प्लास्टिक, रबर, आतिशबाजी और अन्य उद्योगों में भी इस्तेमाल होता है और भारत में आंध्र प्रदेश इसके प्रमुख उत्पादकों में से एक है।
| देश | बेराइट भंडार (मिलियन टन) | वार्षिक उत्पादन (मिलियन टन) | अनुमानित शेष अवधि (वर्ष) |
|---|---|---|---|
| चीन | 110 | 2.1 | 52 |
| ईरान | 100 | 0.31 | 323 |
| कज़ाखस्तान | 85 | 0.65 | 131 |
| तुर्की | 34 | 0.25 | 136 |
| रूस | 12 | 0.25 | 48 |
| अमेरिका | 150 | 2.3 | 65 |
| मोरक्को | उपलब्ध नहीं | 1.3 | — |
| भारत | 22.97 | 2.7 | 8.5 |
स्रोत: C-DEP रिपोर्ट