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विदेश घूमने जा रहे हैं? ट्रैवल इंश्योरेंस लेते समय ये गलतियां बिल्कुल न करें, नहीं तो होगा बड़ा नुकसान

विदेश जाने से पहले ट्रैवल इंश्योरेंस की बारीकियों को समझना जरूरी है, ताकि कवरेज, सब-लिमिट या बीमारी छिपाने जैसी गलती से आपका क्लेम अटके नहीं

Last Updated- December 17, 2025 | 8:18 PM IST
Air Travel
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

विदेश घूमने की प्लानिंग में फ्लाइट, होटल, घूमने-फिरने की जगहें सब कुछ सोच लिया जाता है, लेकिन ज्यादातर लोग इंटरनेशनल ट्रैवल इंश्योरेंस को हल्के में ले लेते हैं। जबकि बाहर कुछ अनहोनी हो जाए तो यही इंश्योरेंस बड़ा सहारा बन सकता है। फोनपे इंश्योरेंस के CEO विशाल गुप्ता बताते हैं कि भारतीय यात्री अक्सर कुछ आम गलतियां कर बैठते हैं, जिनसे बाद में भारी नुकसान हो सकता है।

कवरेज की रकम कम रखना सबसे बड़ी भूल

शेंगेन देशों के लिए वीजा लेने के लिए कम से कम 30,000 यूरो का कवर जरूरी होता है, लेकिन ये सिर्फ वीजा की शर्त है, सुरक्षा के लिए नहीं। विशाल गुप्ता कहते हैं, “अमेरिका या यूरोप जैसे देशों में मेडिकल खर्चा बहुत ज्यादा होता है। वहां एक दिन ICU में रहने से ही पूरी कवरेज रकम खत्म हो सकती है और बाकी लाखों रुपये खुद की जेब से देने पड़ सकते हैं।”

पहले से मौजूद बीमारियां छिपाना पड़ता भारी

कई लोग डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसी पुरानी बीमारियां छिपा देते हैं ताकि प्रीमियम कम देना पड़े। गुप्ता चेतावनी देते हैं, “अगर विदेश में हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़े और वो बीमारी छिपाई गई पुरानी बीमारी से जुड़ी हुई निकले, तो क्लेम तुरंत रिजेक्ट हो सकता है।”

सिर्फ मेडिकल कवर पर ध्यान देना, बाकी चीजें भूल जाना

ट्रैवल इंश्योरेंस में सिर्फ इलाज ही नहीं, फ्लाइट डिले, कैंसिलेशन और सामान खोने जैसी परेशानियों का भी कवर मिलता है। गुप्ता बताते हैं, “अगर फ्लाइट छह घंटे से ज्यादा लेट हो जाए तो होटल और खाने का खर्चा क्लेम किया जा सकता है। सामान खोने पर एयरलाइन का लिखित डॉक्यूमेंट जरूर रखें, वरना इंश्योरेंस कंपनी क्लेम नहीं मानेगी।”

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सब-लिमिट को नजरअंदाज करना

कई पॉलिसी में रूम रेंट या सर्जरी जैसे खर्चों पर अलग-अलग कैप यानी सब-लिमिट होती है। गुप्ता कहते हैं, “भले ही कुल कवरेज रकम ज्यादा हो, लेकिन सब-लिमिट की वजह से क्लेम में बहुत कटौती हो सकती है।”

अपनी ट्रिप के हिसाब से सही इंश्योरेंस चुनें

कवरेज रकम और फीचर्स आपकी यात्रा की जगह, मकसद और दिनों के हिसाब से होने चाहिए।

जगह का असर: गुप्ता सलाह देते हैं, “जिस देश में जा रहे हैं, वहां इलाज का औसत खर्चा चेक कर लें। अमेरिका-यूरोप में बहुत महंगा पड़ता है, जबकि साउथ ईस्ट एशिया या मिडिल ईस्ट में थोड़ा कम, लेकिन फिर भी काफी ज्यादा होता है।”

यात्रा का मकसद: बिजनेस ट्रिप पर जाने वाले लोग फ्लाइट डिले, मिस्ड कनेक्शन और लैपटॉप-डिवाइस कवर को प्राथमिकता दें। घूमने-फिरने वाले लोगों को एडवेंचर स्पोर्ट्स, कार रेंटल या क्रूज कवर की जरूरत पड़ सकती है।

बुजुर्ग यात्रियों के लिए खास ध्यान: गुप्ता कहते हैं, “बुजुर्गों को पुरानी बीमारियां पूरी तरह बतानी चाहिए। कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन वाली पॉलिसी लें और कम खर्च वाले देशों में भी ज्यादा कवरेज रखें।”

पॉलिसी की बारीकियां अच्छे से पढ़ें

एक्सक्लूजन और शर्तें ध्यान से देखें:

एडवेंचर स्पोर्ट्स की सीमाएं: ज्यादातर पॉलिसी में सिर्फ लाइसेंस वाले इंस्ट्रक्टर की निगरानी में किए गए मनोरंजन वाले एक्टिविटी का कवर मिलता है। प्रोफेशनल लेवल पर प्राइज मनी वाली एक्टिविटी शामिल नहीं होती।

डिडक्टिबल और सब-लिमिट: डिडक्टिबल वो फिक्स रकम है जो आपको खुद देनी पड़ती है, उसके बाद इंश्योरेंस शुरू होता है। गुप्ता बताते हैं, “लोग अक्सर नहीं जानते कि डिडक्टिबल से कम का क्लेम बिल्कुल नहीं मिलेगा।”

विदेश यात्रा का इंश्योरेंस सिर्फ औपचारिकता नहीं है। सही तरीके से समझकर और अपनी जरूरत के मुताबिक लिया गया प्लान भारी-भरकम मेडिकल बिल, ट्रिप में रुकावट और दूसरी परेशानियों से बचा सकता है।

First Published - December 17, 2025 | 8:17 PM IST

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