कैलेंडर वर्ष 2024 की पहली तिमाही में भारतीय स्टार्टअप कंपनियों के लिए फंडिंग एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 29 फीसदी कम होकर 1.6 अरब डॉलर रह गई। ट्रैक्सन की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। क्रमिक आधार पर एक तिमाही पहले के 2 अरब डॉलर के मुकाबले फंडिंग में 20 फीसदी की गिरावट आई है।
मार्केट रिसर्च फर्म ट्रैक्सन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका, चीन और ब्रिटेन के बाद भारत पहली तिमाही में जुटाई गई फंडिंग के आधार पर विश्व में चौथे स्थान पर रहा। 2023 की तीन तिमाहियों में बढ़त के बाद भारत में निवेश कम हो गया है। अंतिम चरण की फंडिंग में 46 फीसदी से अधिक गिरावट आई है, लेकिन शुरुआती चरण में 28 फीसदी का इजाफा हुआ है।
पहली तिमाही में भारतीय कंपनियों ने 1.6 अरब डॉलर जुटाए हैं। शैडोफॉक्स और क्रेडिट सैसन ने सबसे ज्यादा रकम जुटाई है। दोनों कंपनियों ने मिलकर 10 करोड़ डॉलर से अधिक की रकम हासिल की है। कैपिलरी, रेंटोमोजो और कैप्टन फ्रेश अन्य ऐसी स्टार्टअप कंपनियां हैं जो फंडिंग हासिल करने में शीर्ष स्थान पर हैं।
पहली तिमाही में दो नए यूनिकॉर्न बने हैं। जिन स्टार्टअप कंपनियों का मूल्यांकन 1 अरब डॉलर से अधिक होता है उन्हें यूनिकॉर्न कहा जाता है। पहली तिमाही में यूनिकॉर्न बनी कंपनियों में फिनटेक फर्म पेरिफियोज और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) विशेषज्ञ कृत्रिम का नाम है।
ट्रैक्सन की सह-संस्थापक नेहा सिंह ने कहा, ‘फंडिंग में मंदी और आर्थिक उतार-चढ़ाव के बाद भी भारत का प्रौद्योगिकी स्टार्टअप परिवेश अभी भी दुनिया भर में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले प्रौद्योगिकी परिवेश में से एक है। भले ही इस तिमाही में मंदी है लेकिन हमें उम्मीद है कि सरकार की पहल और विश्व की सबसे बड़ी युवा आबादी वाले देश के कारण हम तेजी से वापसी करेंगे।
भारत का मजबूत प्रौद्योगिकी परिवेश और जनसांख्यिकीय लाभ उज्ज्वल भविष्य का वादा करते हैं और वैश्विक तकनीक दिग्गज के रूप में स्थिति और मजबूत करते हैं।’ पहली तिमाही (15 मार्च तक) में खुदरा, फिनटेक और एंटरप्राइज ऐप्लिकेशन क्षेत्र की कंपनियों ने सबसे ज्यादा रकम जुटाई।
खुदरा क्षेत्र की कंपनियों ने 49.4 करोड़ डॉलर जुटाई, जो पिछली तिमाही की तुलना में 34 फीसदी कम है। एंटरप्राइज ऐप्लिकेशन क्षेत्र की कंपनियों को 44.8 करोड़ डॉलर मिले। यह पिछले तिमाही के 30.2 करोड़ डॉलर के मुकाबले 48 फीसदी अधिक हैं। फिनटेक को 42.9 करोड़ डॉलर मिले, जो पिछली तिमाही के 28.9 करोड़ डॉलर से 48 फीसदी ज्यादा है।