भारत से अफ्रीकी देशों को होने वाला दवा निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 5 फीसदी घट गया। निर्यात उस समय कम हुआ है, जब गाम्बिया जैसे अफ्रीकी देशों में भारत से निर्यात की गई दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हुए हैं।
वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में तैयार फार्मा उत्पादों (एपीआई को छोड़कर) का कुल 19.9 अरब डॉलर निर्यात हुआ मगर अफ्रीका महाद्वीप की हिस्सेदारी केवल 18 फीसदी रही।
दक्षिण अफ्रीका में दवाओं का निर्यात 7.6 फीसदी, केन्या में 6 फीसदी, तंजानिया में 1.1 फीसदी बढ़ा किंतु नाइजीरिया में निर्यात में 13.5 फीसदी, इथियोपिया में 1.4 फीसदी, यूगांडा में 22.7 फीसदी और घाना में 17.4 फीसदी कमी आई है।
भारत की सस्ती जेनरिक दवाएं अफ्रीका में किफायती स्वास्थ्य सेवा देने में खासी मददगार साबित होती हैं। इनमें एचआईवी/एड्स, मलेरिया, क्षय रोग तथा अन्य बीमारियों की दवाएं शामिल हैं।
पिछले साल अक्टूबर में पश्चिम अफ्रीकी देश गाम्बिया में 70 बच्चों की मौत कथित तौर पर कफ सिरप पीने से होने के बाद हरियाणा की मेडन फार्मा के कफ सिरप की जांच की गई थी। इन मौतों को कफ सिरप में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल के दूषित होने से जोड़ा गया था। कफ सिरप में दूषित पदार्थ की खबर के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सिफारिश की थी कि ऐसी दवाओं का निर्यात करने से पहले सरकारी प्रयोगशालाओं में अनिवार्य जांच कराई जाए।
पूर्वी अफ्रीका, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीकी कस्टम यूनियन में भारत से दवाओं का निर्यात बढ़ा है, लेकिन अन्य दक्षिण अफ्रीकी देशों, पश्चिम अफ्रीका और मध्य अफ्रीका में निर्यात में गिरावट आई है।
वित्त वर्ष 2023 में अफ्रीका को कुल 3.6 अरब डॉलर मूल्य की दवाओं का निर्यात किया गया, जिनमें पश्चिम अफ्रीका को 95.8 करोड़ डॉलर, पूर्वी अफ्रीका को 85.3 करोड़ डॉलर और एससीयू को 66.3 करोड़ डॉलर मूल्य की दवाओं का निर्यात हुआ।
वित्त वर्ष 2023 में खुदरा बिक्री वाली दवाओं के निर्यात में 15.7 फीसदी कमी आई और मलेरिया-रोधी दवाओं का निर्यात 11.3 फीसदी घटा। मगर सूजन, दर्द निवारक और ऐंटी-सेप्टिक दवाओं और क्षय रोग के उपचार वाली दवाओं का निर्यात बढ़ा है।
अफ्रीकी देशों में दवाओं का निर्यात घटने के पीछे कई कारण
फार्मास्यूटिकल निर्यात संवर्द्धन परिषद के महानिदेशक उदय भास्कर ने कहा कि अफ्रीकी देशों में दवाओं का निर्यात घटने के पीछे कई कारण हैं।
उन्होंने कहा, ‘महामारी के दौरान अफ्रीकी देशों ने गैर-लाभकारी तथा अन्य गैर-सरकारी संगठनों से मिली रकम से दवाएं एवं अन्य चिकित्सा उत्पाद खरीदे थे। अब उन संगठनों का धन दूसरी जगह खर्च होने से दवाओं के ऑर्डर में भी कमी आई है। इसके साथ ही नाइजीरिया जैसे देश में मुद्रा का गंभीर संकट है, उसकी वजह से भी मांग कुछ कम हुई है।’
नाइजीरिया में सन फार्मा जैसी बड़ी भारतीय दवा कंपनियों की मौजूदगी है। सन फार्मा नाइजीरिया में शीर्ष 10 कंज्यूमर हेल्थकेयर कंपनियों में से एक है।
भास्कर ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि भारतीय दूतावास फार्मास्यूटिकल निर्यात संवर्द्धन परिषद के साथ मिलकर निर्यातकों की मदद के लिए नाइजीरिया में व्यापार संगठनों तथा खाद्य एवं औषधि प्रशासन जैसे हितधारकों के साथ बैठक करा रहा है।
भास्कर ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 में अफ्रीकी देशों को 3.64 अरब डॉलर मूल्य की दवाओं का निर्यात किया गया, जो वित्त वर्ष 2022 के 3.85 अरब डॉलर से 5.3 फीसदी कम है।