अधिकतर बैंकों में 30 से 65 लाख तक रुपये के आवास ऋण पर ब्याज दरें फिलहाल 8.25 से 10.50 फीसदी के बीच हैं। असल में ज्यादातर बैंकों के होम लोन की दरें बाह्य बेंचमार्क यानी रीपो से जुड़ी होती हैं। ऐसे में रीपो में वृद्धि से ब्याज दरों में इजाफा भी पक्का हो जाता है।
ब्याज और अवधि पर असर
दरों में बढ़ोतरी का होम लोन लेने वालों पर किस तरह असर पड़ता है, उसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। मान लें कि किसी व्यक्ति ने इस साल मई में 7 फीसदी ब्याज पर 15 साल के लिए 50 लाख रुपये का होम लोन लिया है। उस समय होम लोन पर मासिक किस्त (ईएमआई) 44,941 रुपये तय की गई थी और उस हिसाब से 15 साल की अवधि में कुल 30.89 लाख रुपये बतौर ब्याज चुकाने पड़ते। लेकिन होम लोन पर ब्याज बढ़कर 9.25 फीसदी होने से ईएमआई करीब 6,519 रुपये बढ़कर 51,460 रुपये हो जाएगी।
इतना ही नहीं, 15 साल के दौरान मूलधन पर ब्याज पहले के 30.89 लाख रुपये से बढ़कर 42.63 लाख रुपये हो जाएगा। ब्याज दर में इजाफे के समय कर्ज लेने वाले को दो विकल्प मिलते हैं, जिनमें से एक विकल्प ईएमआई को पहले जितना ही रखने का भी होता है। लेकिन इसमें ऋण अदायगी की अवधि बढ़ जाती है। ब्याज दर 7 फीसदी से बढ़कर 9.25 फीसदी होने की स्थिति में आपको पहले तय 180 महीनों की जगह 254 महीने (15 साल की जगह 21 साल 2 महीने) तक मासिक किस्त का भुगतान करना होगा। ऐसे मामले में ब्याज भी करीब 2 गुना चुकाना होगा।
मांग बनी रह सकती है
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ समय में आवासीय संपत्तियों की मांग बढ़ी है और होम लोन बढ़ने के बावजूद इसमें आगे भी मजबूती बने रहने की उम्मीद है। एनारॉक समूह के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘जब तक ब्याज दरें एक अंक में रहेंगी, तब तक मकानों की मांग बनी रहेगी या इसमें कमी आई भी तो मामूली होगी।’ उन्होंने कहा कि आवासीय संपत्ति बाजार इस समय खुद रहने के लिए घर खरीदने वाले ग्राहकों के बल पर चल रहा है और ग्राहक आम तौर पर कम ब्याज दर का इंतजार करने के बजाय अपने लिए घर बनाने की चाहत रखते हैं।
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मकान खरीदने की योजना बना रहे लोग खरीद टालने के इच्छुक नहीं होंगे क्योंकि संपत्तियों के दाम में भी तेजी देखी जा रही है। बैंकबाजार डॉट कॉम के मुख्य कार्याधिकारी आदिल शेट्टी ने कहा, ‘अगले कुछ साल तक ब्याज दरें ऊंची बनी रह सकती हैं या इन में थोड़ी कमी आ सकती है।’
होम लोन के लिए सही समय का इंतजार करना बेकार होता है क्योंकि यह लंबे समय की देनदारी होती है और इस दौरान ब्याज दर में उतार-चढ़ाव होता ही रहता है, जिससे कर्ज लेने वाले बच नहीं सकते। नए होम लोन वाले वाले होम एडवांटेज, मैक्ससेवर जैसे विकल्प अपना सकते हैं। इनके तहत ऋणदाता संस्था आपको ओवरड्राफ्ट खाता, बचत या चालू खाता खोलने की सुविधा देती है।
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कर्ज लेने वाला अपने पास मौजूद अतिरिक्त रकम को इस खाते में जमा कर सकता है और जरूरत पड़ने पर उसे निकाल सकता है। पैसाबाजार के मुख्य कार्याधिकारी एवं सह-संस्थापक नवीन कुकरेजा ने कहा, ‘होम लोन पर ब्याज की गणना ओवरड्राफ्ट खाते में जमा की गई रकम को बकाया मूलधन में से घटाकर की जाती है। इस तरह यह सुविधा होम लोन लेने वालों को अपनी तरलता बनाए रखते हुए प्री-पेमेंट का लाभ प्रदान करती है।’
प्री-पेमेंट की योजना बनाएं
ब्याज दरें बढ़ने पर मौजूदा कर्जदार को ईएमआई बढ़ाने का विकल्प चुनना चाहिए। कुकरेजा ने कहा कि ईएमआई बढ़ाने से ब्याज लागत कम होती है। हालांकि आपकी आर्थिक स्थिति सहज नहीं हो तो आप ईएमआई बढ़ाने के बजाय लोन की अवधि बढ़ाने का विकल्प चुन सकते हैं, लेकिन इसमें ब्याज लागत बढ़ जाएगी। होम लोन लेने और कुछ समय तक मासिक किस्त का भुगतान करने से आपके क्रेडिट प्रोफाइल में सुधार होता है। ऐसे में आप कम ब्याज दर वाले ऋणदाताओं के पास अपना लोन ट्रांसफर करा सकते हैं।