Q4 results: LIC Housing Finance ने वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) और चौथी तिमाही (Q4FY25) के लिए मुनाफा बढ़ाने में सफलता पाई है। Q4FY25 में कंपनी का नेट प्रॉफिट साल-दर-साल 25% बढ़कर ₹1,370 करोड़ हो गया। वहीं पूरे साल का मुनाफा ₹5,430 करोड़ रहा, जो पिछले साल की तुलना में 14% अधिक है।
जहां मुनाफा बढ़ा है, वहीं नेट ऑपरेटिंग इनकम में 3% की गिरावट दर्ज की गई और यह ₹2,170 करोड़ रही। हालांकि, बेहतर लिक्विडिटी मैनेजमेंट और प्राइम लेंडिंग रेट (PLR) में 10 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी के चलते नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) में तिमाही आधार पर 15 बेसिस पॉइंट का सुधार हुआ। लेकिन यह PLR बढ़ोतरी बाद में FY26 की पहली तिमाही में वापस ले ली गई है।
कंपनी को फीस और अन्य स्रोतों से ₹160 करोड़ की आय हुई, जो पिछले साल की तुलना में 240% ज्यादा है। यह बढ़त पुराने डूबे हुए खातों से रिकवरी के कारण आई है। वहीं, कंपनी का ऑपरेटिंग खर्च 18% बढ़कर ₹450 करोड़ रहा, जिससे कॉस्ट-इनकम रेशियो बढ़कर 19.4% हो गया। इन खर्चों के चलते प्री-प्रोविजन ऑपरेटिंग प्रॉफिट (PPOP) थोड़ा गिरकर ₹1,880 करोड़ रह गया।
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कंपनी ने संकेत दिए हैं कि आने वाले वित्त वर्ष FY26 में नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) पर दबाव बने रहने की आशंका है। इसका कारण यह है कि बैंकों के बीच कर्ज देने की होड़ बढ़ रही है और ब्याज दरों में गिरावट का असर लोन रेट्स पर पड़ने वाला है। चूंकि LIC हाउसिंग के ज़्यादातर लोन तिमाही आधार पर रेट रिसेट होते हैं, जुलाई 2025 से कम ब्याज दरें लागू होने के कारण कंपनी की आमदनी घट सकती है। इसके अलावा, अगर RBI दरों में कटौती करता है तो NIM और घट सकता है। कंपनी ने FY26 के लिए 2.6% से 2.8% NIM का अनुमान जताया है।
हालांकि कंपनी ने FY25 में मुनाफा बढ़ाया, लेकिन लोन ग्रोथ काफी सीमित रही। LIC हाउसिंग अब अफोर्डेबल हाउसिंग और गैर-हाउसिंग सेगमेंट की ओर रुख कर रही है, लेकिन यह प्रक्रिया धीमी है। FY26 में कंपनी का लक्ष्य ₹2,000 करोड़ के अफोर्डेबल हाउसिंग लोन देना है, लेकिन मैनेजमेंट मानता है कि इस क्षेत्र में ठोस विस्तार में 2 से 3 साल लग सकते हैं।
FY25 की चौथी तिमाही में कंपनी ने कुल ₹19,200 करोड़ के लोन बांटे, जो साल-दर-साल 5% और पिछली तिमाही की तुलना में 24% अधिक है। इंडिविजुअल होम लोन में 8% और नॉन-हाउसिंग कमर्शियल लोन में 19% की बढ़ोतरी हुई, लेकिन बिल्डर और प्रोजेक्ट लोन 42% घट गए। कंपनी की कुल लोन बुक अब ₹3.08 लाख करोड़ तक पहुंच गई है, जो साल-दर-साल 7.3% की बढ़त है।
कंपनी की ग्रॉस स्टेज 3 और नेट स्टेज 3 एसेट्स में तिमाही आधार पर 30 और 25 बेसिस पॉइंट का सुधार हुआ है। स्टेज 3 पर प्रोविजन कवरेज रेशियो 51.3% पहुंच गया है। पूरे साल में ₹1,800 करोड़ की वसूली हुई, जिनमें से ₹615 करोड़ Q4FY25 में रिकवर हुए। FY26 में कंपनी को ₹1,500 करोड़ की रिकवरी की उम्मीद है। हालांकि, कुछ बड़े प्रोजेक्ट लोन अब भी डिफॉल्ट में हैं और कंपनी इनके लिए सेटलमेंट ऑफर देने की प्रक्रिया में है।
कंपनी ने FY26 के लिए 10-15% डिसबर्समेंट ग्रोथ, डबल डिजिट लोन ग्रोथ, 2.6-2.8% NIM और 2% स्प्रेड का अनुमान जताया है। ग्रॉस NPA घटकर 2.2% से नीचे आ सकता है और क्रेडिट कॉस्ट 9-15 बेसिस पॉइंट के बीच रहने की उम्मीद है। हालांकि, कमजोर ग्रोथ, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और NIM में उतार-चढ़ाव के कारण FY26 कंपनी के लिए चुनौतीपूर्ण रह सकता है। स्टॉक की वैल्यूएशन फिलहाल कम है और इसके पीछे वजह यही सुस्त ग्रोथ है।