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सरकार दे रही नए पोर्ट्स, रोड बनाने पर जोर मगर इन्फ्रास्ट्रक्चर AIF की रफ्तार धीमी

इन्फ्रास्ट्रक्चर AIF के जरिए जुटाई गई वास्तविक रकम मार्च 2023 तक 5,466 करोड़ रुपये रही है

Last Updated- June 14, 2023 | 7:17 PM IST
421 infra projects hit by cost overrun of Rs 4.40 trn in Nov, says MoSPI

इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में उपलब्ध मौके पर ध्यान केंद्रित वाला इन्वेस्टमेंट व्हीकल धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है जबकि नई सड़कों, रेलवे व बंदरगाहों पर सरकार काफी ध्यान दे रही है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIF) को धनाढ्य निवेशकों से मिली प्रतिबद्ध‍ता मार्च 2019 के बाद से 29 फीसदी बढ़कर 15,581 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। कुल AIF प्रतिबद्धता हालांकि इस अवधि में 196 फीसदी की उछाल के साथ 8.3 लाख करोड़ रुपये रही है।

किसी AIF में न्यूनतम 1 करोड़ रुपये के निवेश की दरकार होती है। AIF की तीन श्रेणियां हैं। कै​टेगरी-1 में वेंचर कैपिटल फंड शामिल हैं, जो स्टार्टअप, सामाजिक उद्यम, छोटे व मझोले एंटरप्राइज फंडों और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंडों में रकम का निवेश करता है।

कै​टेगरी-2 में वैसे फंड शामिल होते हैं, जो दबाव वाले कर्ज में निवेश करते हैं।

कै​टेगरी-3 में हेज फंड शामिल हैं, जो शेयर बाजारों से कमाई के लिए जटिल रणनीतियों का इस्तेमाल करते हैं, चाहे बाजार चढ़ रहा हो या लुढ़क रहा हो।

कुल प्रतिबद्ध‍ताओं में इन्फास्ट्रक्चर फंडों की हिस्सेदारी मार्च 2019 के 4.3 फीसदी के मुकाबले मार्च 2013 में घटकर 1.9 फीसदी रह गई। मार्च 2016 में कुल AIF प्रतिबद्ध‍ताओं में इनकी हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी थी।

प्रतिबद्ध‍ताएं निवेश के इरादे को प्रतिबिंबित करती हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर AIF के जरिए जुटाई गई वास्तविक रकम मार्च 2023 तक 5,466 करोड़ रुपये रही है और कुल निवेश 4,743 करोड़ रुपये का रहा है। जुटाई गई रकम कुल AIF फंडों के 1.5 फीसदी के बराबर है। किए गए निवेश की हिस्सेदारी 1.4 फीसदी है।

कुछ विकल्प मसलन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) भी हैं, जिसे स्टॉक एक्सचेंजों में खरीदा-बेचा जा सकता है। इससे समान परिसंपत्तियों में कम मेहनत के साथ निवेश की इजाजत मिलती है और यह कहना है आनंद राठी शेयर्स ऐंड स्टॉक ब्रोकर्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर रानू का। इन्फ्रास्ट्रक्चर AIF प्राय: 8 से 10 साल की लंबी अवधि के होते हैं और कई निवेशक अपनी पूंजी लंबी अवधि के लिए लगाने को प्राथमिकता नहीं देते। उन्होंने कहा, लोग छोटी अवधि वाले निवेश पर नजर डालते हैं।

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सरकार ने 2019 में 111 लाख करोड़ रुपये वाले नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (NIP) का ऐलान किया था, जिसे वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 2025 के बीच क्रियान्वित होना है।

आर्थिक समीक्षा 2022-23 में कहा गया है, नए बुनियादी ढांचे के सृजन व मौजूदा ढांचे के विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने सार्वजनिक-निजी साझेदारी, एनआईपी और नैशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) जैसी पहल की।

इसमें कहा गया है कि निजी क्षेत्र को परिसंपत्तियों की बिक्री से बुनियादी ढांचे के लिए जरूरी फंड का इंतजाम करने में मदद मिल सकती है।

आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, उम्मीद की जा रही है कि निजी कंपनियां परिसंपत्तियों का परिचालन व रखरखाव करेंगी। NMP के जरिए बैलेंस शीट को दुरुस्त करने का मौका मिलता है और यह बुनियादी ढांचे से जुड़ी नई परिसंपत्तियों में निवेश के लिए सरकार को लचीला रुख प्रदान करता है। NMP के तहत चार वर्षों में केंद्र सरकार की 6 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण अनुमानित है।

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यह महत्वाकांक्षी योजना करीब एक दशक तक भारतीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की कम भागीदारी के बाद देखने को मिली है।

निजी क्षेत्र का सबसे ज्यादा निवेश साल 2010 में देखने को मिला था जब यह 50 अरब डॉलर को छू गया था। 2012 के बाद से यह हर साल 10 अरब डॉलर से नीचे रहा जब तक कि इसने 11.9 अरब डॉलर को नहीं छू लिया।

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विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि निजी क्षेत्र का बुनियादी ढांचे में निवेश साल 2019 में 7.4 अरब डॉलर था। साल 2020 में महामारी के दौरान यह घटकर 5.2 अरब डॉलर रह गया। 2021 में यह बढ़कर 7.7 अरब डॉलर और 2022 में 11.9 अरब डॉलर पर पहुंचा।

First Published - June 14, 2023 | 7:17 PM IST

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